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|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

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आपका हार्दिक अभिनन्दन है

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25 March 2022

Eating Rules

खतरनाक है, बंद बोतल का पानी 
10.01.2024 News Clip
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अखबार में  रखकर, तली हुई खाद्य सामग्री न खाए
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पुराने समय की कहावत
चैते गुड़, वैसाखे तेल । जेठ के पंथ , अषाढ़े बेल ।
सावन साग, भादौ दही। कुवांर करेला, कार्तिक मही ।।
अगहन जीरा, पूसै धना। माघे मिश्री, फागुन चना ।
जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर न धरै ।।
⇓⇓⇓⇓⇓अर्थ ⇓⇓⇓⇓⇓
चैत्र माह (मार्च-अप्रैल ) में नया गुड़ न खाएं 
बैसाख माह (अप्रैल-मई) में नया तेल न लगाएं
जेठ माह (मई -जून) में दोपहर में नहीं चलना चाहिए
अषाढ़ माह (जून-जुलाई) में बेल न खाएं
सावन माह (जुलाई-अगस्त ) में साग न खाएं 
भादों माह (अगस्त-सितम्बर) में दही न खाएं 
क्वार /आश्विन माह (सितम्बर-अक्टूबर) में करेला न खाएं 
कार्तिक माह (अक्टूबर-नवम्बर) में जमीन पर न सोएं 
अगहन/ मार्घशीर्ष माह (नवम्बर-दिसंबर ) में जीरा न खाएं  
पूस माह (दिसंबर-जनवरी) में धनिया न खाएं  
माघ माह (जनवरी-फ़रवरी) में मिश्री न खाएं 
फागुन माह (फ़रवरी-मार्च) में चना न खाएं 
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प्राचीन कहावत 
ज्वर, जुकाम और पावना 
इनका एक उपाय
 लगण दीजे तान के 
कभी ना वापस आय 
(अर्थ : बुखार, जुकाम और खांसी होने पर उपवास /अल्प आहार/हल्का भोजन करें )
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09.12.2023 news clip
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गुड़ खाने के फायदे
गुड़ मैग्नीशियम का एक बेहीतरीन स्रोत है। गुड़ खाने से मांसपेशियों, नसों और रक्त वाहिकाओं को थकान से राहत मिलती है और खून की कमी दूर करने में भी यह बेहद मददगार साबित होता है। गुड़ का नियमित सेवन करना रक्तसंचार को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही रक्तचाप की समस्याओं में भी फायदेमंद है। पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज में भी गुड़ का सेवन बहुत लाभकारी है। खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाना आपके पाचन को बेहतर बनाता है। गुड़ का प्रतिदिन सेवन आपको सर्दी, खांसी और जुकाम से भी बचाता है। सर्दी के दिनों में गले और फेफड़ों में संक्रमण बहुत जल्दी फैलता है, इससे बचाने में भी गुड़ आपकी बहुत मदद कर सकता है। सर्दी और संक्रमण की ज्यादातर दवाईयों में गुड़ का प्रयोग किया जाता है।
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गुणकारी जामुन : 
       जामुन एक औषधि है। जामुन की लकड़ी का टुकडा पानी में रख दे तो पानी में शैवाल, हरी काई नहीं लगेगी । प्राचीन समय में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो  तलहटी में जामून की लकड़ी का फर्श बिछाया जाता था जिसे जमोट कहते थे । जामुन विटामिन सी और आयरन से भरपूर होता है, पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है, जामुन के पत्तियों में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त शुगर को नियंत्रित करने करती है। चाय में जामुन पत्तियां डाल कर सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को काफी लाभ मिलता है , जामुन की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण भी  होते हैं. इसका सेवन मसूड़ों से निकलने वाले खून को रोकने में और संक्रमण को फैलने से रोकता है। 

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कहानी : मांस का मूल्य
सम्राट ने एक बार अपनी सभा मे पूछा : 
देश की खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए सबसे सस्ती वस्तु क्या है ?
मंत्री परिषद् तथा अन्य सदस्य सोच में पड़ गये !
 चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा आदि तो बहुत श्रम के बाद मिलते हैं और वह भी तब, जब प्रकृति का प्रकोप न हो, ऎसी हालत में अन्न तो सस्ता हो ही नहीं सकता !
तब शिकार का शौक पालने वाले एक सामंत ने कहा :
राजन, 
सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ "मांस" है, 
इसे पाने मे मेहनत कम लगती है और पौष्टिक वस्तु खाने को मिल जाती है । 
सभी ने इस बात का समर्थन किया, लेकिन प्रधान मंत्री चाणक्य चुप थे । 
तब सम्राट ने उनसे पूछा : 
प्रधानमंत्री जी, आपका इस बारे में क्या मत है ? 
चाणक्य ने कहा : मैं अपने विचार कल आपके समक्ष रखूंगा !
रात होने पर प्रधानमंत्री उस सामंत के महल पहुंचे, सामन्त ने द्वार खोला, इतनी रात गये प्रधानमंत्री को देखकर घबरा गया ।
प्रधानमंत्री ने कहा : 
 महाराज एकाएक बीमार हो गये हैं, राजवैद्य ने कहा है कि किसी बड़े आदमी के हृदय का दो तोला मांस मिल जाए तो राजा के प्राण बच सकते हैं, इसलिए मैं आपके पास आपके हृदय का सिर्फ दो तोला मांस लेने आया हूं । इसके लिए आप एक हजार स्वर्ण मुद्रायें ले लें ।
यह सुनते ही सामंत के चेहरे का रंग उड़ गया, उसने प्रधानमंत्री के पैर पकड़ कर माफी मांगी और उल्टे एक हजार स्वर्ण मुद्रायें देकर कहा कि इस धन से वह किसी और सामन्त के हृदय का मांस खरीद लें ।
प्रधानमंत्री बारी-बारी सभी सामंतों, सेनाधिकारियों के यहां पहुंचे और सभी से उनके हृदय का दो तोला मांस मांगा, लेकिन कोई भी राजी न हुआ, उल्टे सभी ने अपने बचाव के लिये प्रधानमंत्री को एक हजार , दो हजार यहां तक कि कुछेक ने तो पांच से दस हजार तक स्वर्ण मुद्रायें दे दीं ।
इस प्रकार करीब एक करोड़ स्वर्ण मुद्राओं का संग्रह कर प्रधानमंत्री सवेरा होने से पहले वापस अपने महल पहुंचे और राजसभा में प्रधानमंत्री ने राजा के समक्ष  एक करोड़ स्वर्ण मुद्रायें रख दीं । 
सम्राट ने पूछा :  
यह सब क्या है ? 
तब प्रधानमंत्री ने बताया कि दो तोला मांस खरिदने के लिए इतनी धनराशि इकट्ठी हो गई फिर भी दो तोला मांस नही मिला ।
राजन ! अब आप स्वयं विचार करें कि मांस कितना सस्ता है ?
जीवन अमूल्य है, हम यह न भूलें कि जिस तरह हमें अपनी जान प्यारी है, उसी तरह सभी जीवों को भी अपनी जान उतनी ही प्यारी है।

मानव आहार, शाकाहार !
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दिल को बीमार बनाता है चाउमीन में प्रयोग  होने वाला अजीनोमोटो 

हमारे पुराने ज्ञान में विज्ञान छुपा था


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पुराने समय की बात है जब  देगची , भगौना, पतीला (खुला बर्तन) आदि  में दाल / चावल / खिचड़ी / राबड़ी आदि  बनता था, जब अनाज उबलता था तो बार-बार एक  झाग की परत जमा होती रहती थी, जिसे खाना पकाने वाली बार-बार उतार कर नीचे किसी बर्तन में डाल देती थी बाद में उसे फेक दिया करती थी। पूछने पर कहती कि "इसे खाने से तबियत खराब हो जाती है"

बाद में बड़े होने पर पता चला वो झाग शरीर मे यूरिक एसिड बढ़ाता है और खाना पकाने वाली इसीलिए उस  झाग फेंक दिया करती थी।  खाना पकाने  वाली ( आम औरत )  ज्यादा पढ़ी लिखी तो होती नही थी पर ये बातें उसे अपनी माँ , दादी , नानी से सीखा था।

 अब कूकर में दाल / चावल / खिचड़ी / राबड़ी आदि  बनता है, पता नही झाग कहा जाता होगा,  दाल / चावल / खिचड़ी / राबड़ी आदि खाने से अकसर पेट खराब हो जाता  हैं

डॉक्टर कहते हैं एसिडिटी है या फ़ूड प्वाइजनिंग हो गया 

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 भोजन के नियम 

साभार : प्रिंट एवं सोशल मीडिया

30 August 2021

SHREE KRISHANA

जय श्रीकृष्ण 

 भगवान श्री कृष्ण 
 भगवान विष्णु के 8 वें अवतार 
वासुदेव और देवकी की 8 वीं संतान 
भाद्रपद मास की 8 वीं तिथि को जन्मे 
 जन्म तिथि :- मास : भाद्रपद , तिथि : अष्टमी , नक्षत्र : रोहिणी , समय: 00:00 पूर्वाह्न
उनकी मां उग्रा वंश से थीं और पिता यादव वंश से
महाभारत युद्ध मृगशिरा शुक्ल एकादशी को शुरू हुआ था । 
(आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईसा पूर्व में हुआ) 
 भीष्म की मृत्यु उत्तरायण की पहली एकादशी को हुई थी।
 गुजरात में "भालका तीर्थ स्थल " उस स्थान को दर्शाता है
 जहां कृष्ण ने अपना अवतार समाप्त ( देहोतसर्ग ) किया 
जय श्रीकृष्ण 

19 August 2021

One Time Registration , Haryana

CET 2025 ( Group -C)

सावधान 

CET 2025 के लिए फार्म अप्लाई करने वालो, एक फर्जी लिंक भी एक्टिव किया हुआ है जिस पर HSSC एक्शन ले रहा है 

आप सही पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवाए 

click Here for

 OneTime Registration




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NEWS
हरियाणा में CET की फर्जी वेबसाइट बनाकर ठगी: 14 लाख अभ्यर्थियों का पैसा गया, एक महिला के खाते में ट्रांसफर हुए

सूचना:
CET 2025 का रजिस्ट्रेशन आयोग के आधिकारिक रजिस्ट्रेशन पोर्टल जो कि onetimeregn.haryana.gov.in है, पर ही अपना आवेदन करें! एवं आवेदन करते समय पोर्टल डोमेन के अंत में GOV.IN का ध्यान जरूर दें।
आप सभी सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर इसे ज्यादा लोगों तक फैला कर जागरूकता फैलाएं।

इस पोस्ट को अधिक अधिक से बच्चों तक शेयर करें! ताकि आपके व आपके बच्चों/दोस्त/परिवार वालों के साथ Froud ना हो

14 August 2021

INDIAN NATIONAL MOVEMENTS


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INDIAN NATIONAL MOVEMENTS
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• Government of India Act 1858
• Indian National Congress (1885)
• Partition of Bengal (1905)
• Swadeshi Movement (1905)
• Muslim League (1906)
• Morley-Minto Reforms (1909)
• Lucknow Pact (1916)
• Home Rule Movement (1916-­1920)
• The Gandhian Era (1917-1947)
• The Rowlatt Act (1919)
• Jallianwalla Bagh Massacre (1919)
• Khilafat Movement (1920)
• Non-Cooperation Movement (1920)
• Chauri Chaura Incident (1922)
• Swaraj Party (1923)
• Simon Commission (1927)
• Dandi March (1930)
• Gandhi-Irwin Pact (1931)
• The Government of India Act, 1935
• Quit India Movement (1942)
• Cabinet Mission Plan (1946)
• Interim Government (1946)
• Formation of Constituent Assembly (1946)
• Mountbatten Plan (1947)
• The Indian Independence Act, 1947
• Partition of India (1947)

देश भक्ति दोहे

आज हिमालय की चोटी से फिर हम ने ललकरा है
दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है।                           
-प्रदीप

जो भरा नहीं है भावों से, 
बहती जिसमें रस-धार नहीं। 
वह हृदय नहीं है पत्थर है, 
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं॥

सिंहासन हिल उठे राजवंषों ने भृकुटी तनी थी,

बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,

गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,

दूर फिरंगी को करने की सब ने मन में ठनी थी.

चमक उठी सन सत्तावन में, यह तलवार पुरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.                            -सुभद्राकुमारी चौहान


अंधा चकाचौंध का मारा क्या जाने इतिहास बेचारा, 

साक्षी हैं उनकी महिमा के सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल 

कलम, आज उनकी जय बोल।                                        -रामधारी सिंह ‘दिनकर'

 

अतिथि देवो भवः कहें, दुश्मन को दें दंड।

भारत जितना शांत है, उतना रहे प्रचंड।।

                                                                                                                          साभार : लेखकगण / कविगण और सोसल मिडिया 

                                                                                                                                                              संकलन कर्ता - रमेश खोला 

18 July 2021

VISHAV_GURU

भारत : विश्वगुरु

Click Here for Ramesh Khola's कटु वचन 

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गौरवशाली भारतीय (NRI)

CEO गूगल - सुंदर पिचाई

CEO माइक्रोसॉफ्ट - सत्या नडेला

CEO यूट्यूब - नील मोहन

CEO एडोब - शांतनु नारायण

CEO आईबीएम - अरविंद कृष्णन

CEO मोटोरोला मोबी - संजय झा 

CEO अल्बर्ट्सन - विवेक शंकरण

अब बताओ विश्व में आज भी कौन विश्व  की श्रेष्ठ संस्थाओं को चला रहे है , अर्थात आज भी संसार भारतीयों के ज्ञान पर निर्भर है , यानी आज भी भारत विश्व गुरु है
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महीनों के नाम
1. चैत्र (चैत ) शुक्लपक्ष (अर्धमास ) ,
{चैत्र मास का शुक्लपक्ष (अर्धमास) हमारा प्रथम मास होता है,  चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (एकम) को हम नववर्ष मानते हैं }
बैसाख (वैशाख  
ज्येष्ठ (जेठ) , 
 4 आषाढ़ (साढ़) , 
 5 श्रावण (सावन) , 
श्रावण अधिमास
श्रावण (सावन)
6 भाद्रपद (भादवा) , 
 7 अश्विन (आशोज) , 
 8 कार्तिक (कातक) ,
मार्गशीर्ष (मंगसिर /गहन ) ,
 10  पौष (पौह) ,
11. माघ (माह) , 
12. फाल्गुन (फागण)   
13. चैत्र (चैत ) कृष्णपक्ष  (अर्धमास ) 
(चैत्र मास का कृष्णपक्ष (अर्धमास) हमारा अंतिम मास होता है)

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हमारे वैदिक मासों (महीनों ) के नाम नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं।
जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नाम है
1. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास
2. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास
3. ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मास
4. पूर्वाषाढा नक्षत्र / उत्तराषाढा नक्षत्र  से आषाढ़
5. श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास 
6. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र  / उत्तराभाद्रपद नक्षत्र  से भाद्रपद 
7. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास 
8. कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मास 
9. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास 
10. पुष्य नक्षत्र से पौष मास 
11. माघा नक्षत्र से माघ मास
12. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र / उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र  से फाल्गुन मास

विदेशियों ने भारत के ज्ञान को चुरा कर,  अपने नाम करना चाहा  जिसे आप नीचे  दिया गया विवरण पढ़कर खुद समझ जाओगे 
विदेशियों ने भारत की नक़ल कि  लेकिन नक़ल में अक्ल की जरुरत होती है 

1. जनवरी महीने का नाम रोमन के देवता 'जेनस' के नाम पर रखा गया | हम नक्षत्रों के नाम पर नामकरण करें तो भी पिछड़े और अंधविश्वासी और वो देवी देवताओं के नाम पर नामकरण करें तो ज्ञानी ..... उन्हें तब तक शायद नक्षत्रों का ज्ञान भी नहीं था

2. फरवरी महीने का नाम रोम की देवी 'फेब्रुएरिया' के नाम पर रखा गया | हम नक्षत्रों के नाम पर नामकरण करें तो भी पिछड़े और अंधविश्वासी और वो देवी देवताओं के नाम पर नामकरण करें तो ज्ञानी ..... उन्हें तब तक शायद नक्षत्रों का ज्ञान भी नहीं था

3. मार्च महीने का नाम रोमन देवता 'मार्स' के नाम पर रखा गया | हम नक्षत्रों के नाम पर नामकरण करें तो भी पिछड़े और अंधविश्वासी और वो देवी देवताओं के नाम पर नामकरण करें तो ज्ञानी ..... उन्हें तब तक शायद नक्षत्रों का ज्ञान भी नहीं था

4. अप्रैल महीने का नाम लेटिन शब्द 'ऐपेरायर' से बना है, जिसका मतलब है 'कलियों का खिलना'। ऐसा लगता है उन्हें ऋतु (महीनों का समूह) और महीने का अंतर् तक नहीं पता था | रोम में इस महीने में बसंत मौसम की शुरुआत होती है जिसमें फूल और कलियां खिलती हैं , वो हमारी बसन्त ऋतु को नहीं मानते क्योकि हम तो पिछड़े और अंधविश्वासी हैं उनकी नज़र में और हमारे कुछ ज्यादा पढ़े लिखे लोगो की नज़र में भी 

5. मई महीने का नाम रोमन के देवता 'मरकरी' की माता 'माइया' के नाम पर रखा गया |  हम नक्षत्रों के नाम पर नामकरण करें तो भी पिछड़े और अंधविश्वासी और वो देवी देवताओं के नाम पर नामकरण करें तो ज्ञानी ..... उन्हें तब तक शायद नक्षत्रों का ज्ञान भी नहीं था

6. जून महीने का नाम रोम के सबसे बड़े देवता 'जीयस' की पत्नी 'जूनो' के नाम पर रखा गया | हम नक्षत्रों के नाम पर नामकरण करें तो भी पिछड़े और अंधविश्वासी और वो देवी देवताओं के नाम पर नामकरण करें तो ज्ञानी ..... उन्हें तब तक शायद नक्षत्रों का ज्ञान भी नहीं था

7. जुलाई महीने का नाम रोमन साम्राज्य के शासक 'जुलियस सिजर' के नाम पर रखा गया क्योकि जुलियस का जन्म और मृत्यु इसी महीने में हुई थी , जरा सोचो की "जूलियस सीजर" से पहले इस महीने का नाम क्या होगा ? 

8. अगस्त महीने का नाम 'सैंट आगस्ट सिजर' के नाम पर रखा गया,  जरा सोचो की 'सैंट आगस्ट सिजर से पहले इस महीने का नाम क्या होगा ? 

यहाँ तक तो उन्होंने अपने लोगो और देवी देवताओ के नाम पर, हमारे महीनो के नाम छाप लिए .... अब आगे के महीने देखो 

9. सितंबर महीने का नाम लेटिन शब्द 'सेप्टेम' से बना है, सेप्टै लेटिन शब्द है जिसका अर्थ है सात यानि भारतीय महीनो के हिसाब से अश्वनी मास, साल का सातवां महीना होता है रोम में सितंबर को सप्टेम्बर कहा जाता है। ग्रेगोरियन कलेण्डर के हिसाब से सितम्बर नौवा महीना होता है , अब आप सोचो की नकल तो की पर अक्ल नहीं लगाई , भला नौवे महीने को उन्होंने सातवाँ क्यों माना ?

10. अक्टूबर महीने का नाम लेटिन के 'आक्टो' शब्द से लिया गया , 'आक्टो' लेटिन शब्द है जिसका अर्थ है आठ यानि भारतीय महीनो के हिसाब से कार्तिक मास, साल का आठवां महीना होता है , ग्रेगोरियन कलेण्डर के हिसाब से अक्टूबर दसवाँ महीना होता है अब आप सोचो की नकल तो की पर अक्ल नहीं लगाई , भला दसवेँ महीने को उन्होंने आठवाँ क्यों माना ?

11. नवंबर महीने का नाम लेटिन के 'नवम' शब्द से लिया गया , 'नवम' शब्द का अर्थ है नौ यानि भारतीय महीनो के हिसाब से मार्गशीष मास, साल का नौवा महीना होता है , ग्रेगोरियन कलेण्डर के हिसाब से नवम्बर ग्यारहवां महीना होता है , अब आप सोचो की नकल तो की पर अक्ल नहीं लगाई , भला ग्यारहवें महीने को उन्होंने नौवा क्यों माना ?
 
12. दिसंबर महीने का नाम लेटिन के 'डेसम' शब्द से लिया गया , ''डेसम' शब्द का अर्थ है दस यानि भारतीय महीनो के हिसाब से पौष मास, साल का दसवाँ महीना होता है ग्रेगोरियन कलेण्डर के हिसाब से दिसम्बर बारहवाँ महीना होता है , अब आप सोचो की नकल तो की पर अक्ल नहीं लगाई , भला बारहवें महीने को उन्होंने दसवाँ  क्यों माना ?

क्या अब भी आप ये मानते है कि भारत विश्व गुरु नहीं था ?
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हमें गर्व है अपने देश के महान वैज्ञानिकों #ISRO पर
चंद्रयान 3 Live  देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 

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चंदा मामा के आंगन में अठखेलियां करता , प्रज्ञान रोवर
ISRO हमारी शान है यह हिंदुस्तान की जान है - रमेश खोला 


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अब अमेरिकी भी ज्योतिष की शरण में
 #भारत_विश्वगुरु 


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जिस चूल्हे की राख से हमारे पूर्वज, बर्तन मांजते थे, पहले उनको अवैज्ञानिक कहकर उसका मजाक बनाया गया.
केमिकल वाले डिशवाश के प्रयोग की आदत डाली, जो कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बना।
 यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया अमेरिका में एक रिसर्च में यह पाया गया कि जिन सिंथेटिक केमिकल से बर्तन  साफ करते हैं उससे लीवर कैंसर होने का खतरा कई गुना ज्यादा पड़ जाता है,
हमारे पूर्वज बहुत वैज्ञानिक थे, वे चूल्हे की राख से बर्तन साफ करते थे, जो पूरी तरह से हानिकारक केमिकल से रहित होती है। 
पहले हमारे पूर्वजों के ज्ञान विज्ञान को अवैज्ञानिक कहकर मजाक उड़ाया तथा आज कंपनियां हमें राख बेच रही है।
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टॉर्च ( बैटरी ) 
हमें बताया गया कि टॉर्च का आविष्कार एक ब्रिटिश "डेविड मिशेल" ने 1899 में किया । जो आज ( सन 2022 ) से 123 साल पहले किया गया । अब आपको जानकारी दें  दें  कि  कोटाशैली की 1775 ई. की भारत की एक पेंटिंग The Walters Art Museum Baltimore, USA में रखी हुई है
 जिसमें एक शिकारी को रात्रि के समय  हिरणों का शिकार करते हुए दर्शाया गया है और एक स्त्री (शायद उसकी पत्नी ) हिरणों पर टॉर्च से प्रकाश डालते हुए दिख रही है। यानि यह पेंटिंग 247 साल पुरानी है 
अब आप खुद अनुमान लगा लो , टॉर्च का आविष्कार किस देश में हुआ था 
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हमें पढ़ाया गया .............
भारत की खोज किसने की ?
उत्तर ( रटाया गया ) : वास्कोडिगाम ने

बल्कि पढ़ाया जाना चाहिए ......
भारत में (समुद्र के रास्ते) आने वाला प्रथम विदेशी यात्री कौन था ?
उत्तर : वास्कोडिगाम

#सोच_बदलो_देश_बदलेगा 
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साभार : प्रिंट एवं सोसल मिडिया
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अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (नेशनल एकेडमी फॉर स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) में भर्ती होने वाले वैज्ञानिक के प्रशिक्षण काल में 15 दिन की संस्कृत की कक्षा लगती है। इसमें आर्यभट्ट, वराहमिहिर जैसे भारत के विद्वानों की ओर से दिए गए वैज्ञानिक सिद्धांत के अलावा मय दानव का दिया सूर्य सिद्धांत पढ़ाया जाता है।
साभार : प्रिंट मीडिया
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भारत में आदर्श लोकतंत्र का प्राचीन सबूत
साभार : प्रिंट मीडिया
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साभार : प्रिंट मीडिया
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विजय विट्ठल मंदिर ( कर्नाटक )
इस मंदिर में 56 संगीतीय स्तंभ जिनसे सात स्वरों का संगीत निकलता है केंद्र में  एक मुख्य स्तम्भ है (केंद्रीय स्तम्भ को एक वाद्ययंत्र के रूप में बनाया गया है ) इसके चारों और छोटे छोटे 7 स्तम्भ हैं, जब आप इन्हें चंदन की लकड़ी से छूते हो तो इनसे "सा रे गा मा" के स्वर निकलते हैं रिसर्च से पता चला है कि ये खम्भे ग्रेनाइट के एक उन्नत मिश्रण Geo Polymer में सिलिकॉन पार्टिकल्स और दूसरे मिश्र धातुओं से मिलकर बने हैं, वैज्ञानिक हैरान हैं कि Geo Polymer का अविष्कार तो 1950 के दशक में ( 20 वीं शताब्दी में ) सोवियत यूनियन में हुआ था पर ये स्तम्भ तो 15 वीं शताब्दी के हैं यानि कि लगभग 500 साल पुराने हैं. अब आप बताओ कि Geo Polymer का आविष्कार कहाँ हुआ था ?
अब तो मानोगे की भारत ही विश्व गुरु था                     - रमेश खोला  27.09.2021

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भारत के 16 महाजनपद 
2 महाजनपदों में गणतंत्र था 
महाजनपद                          राजधानी
वज्जि                               वैशाली
मल्ल                  कुशीनगर, पावा
 14 महाजनपदों में राजतंत्र  था 
महाजनपद                                   राजधानी
कोशल                                       श्रावस्ती
कुरु                          हस्तिनापुर (इंद्रप्रस्थ)
पांचाल                     अहिच्छत्र, काम्पिल्य
काशी                                   वाराणसी
अंग                                           चम्पा
चेदि                                       शक्तिमती
वत्स                                         कौशाम्बी
गांधार                                 तक्षशिला
मत्स्य                               विराटनगर
अवन्ति                           उज्जैन, महिष्मति
अश्मक            पैठान/प्रतिष्ठान/पोतन/पोटिल
मगध                        गिरिव्रज - राजगृह
कम्बोज                               हाटक/राजपुर
सूरसेन                                         मथुरा


साभार : प्रिंट मीडिया


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फोटो साभार - सोशल मीडिया

*वायु पुराण*
सप्तद्वीपपरिक्रान्तं जम्बूदीपं निबोधत।
अग्नीध्रं ज्येष्ठदायादं कन्यापुत्रं महाबलम।।
प्रियव्रतोअभ्यषिञ्चतं जम्बूद्वीपेश्वरं नृपम्।।
तस्य पुत्रा बभूवुर्हि प्रजापतिसमौजस:।
ज्येष्ठो नाभिरिति ख्यातस्तस्य किम्पुरूषोअनुज:।।
नाभेर्हि सर्गं वक्ष्यामि हिमाह्व तन्निबोधत। (वायु 31-37, 38)
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पुराणों में 8400000 योनियों का गणनाक्रम दिया गया है कि किस प्रकार के जीवों में कितनी योनियाँ होती है। पद्मपुराण के 78/5 वें सर्ग में कहा गया है:

जलज नवलक्षाणी,
स्थावर लक्षविंशति
कृमयो: रुद्रसंख्यकः
पक्षिणाम् दशलक्षणं
त्रिंशलक्षाणी पशवः
चतुरलक्षाणी मानव

अर्थात,

जलचर जीव - 900000 (नौ लाख)
वृक्ष - 2000000 (बीस लाख)
कीट (क्षुद्रजीव) - 1100000 (ग्यारह लाख)
पक्षी - 1000000 (दस लाख)
जंगली पशु - 3000000 (तीस लाख)
मनुष्य - 400000 (चार लाख)

इस प्रकार 900000 + 2000000 + 1100000 + 1000000 + 3000000 + 400000 = कुल 8400000 योनियाँ होती है। 
रामायण और हरिवंश पुराण में कहा गया है कि कलियुग में मोक्ष की प्राप्ति का सबसे सरल साधन "राम-नाम" है।
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एक समय तिब्बत (अब चीन के अधिकार क्षेत्र में है) भारत का अंग हुआ करता था।
⇓ सबूत ⇓
फोटो साभार - सोशल मीडिया
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पहले घेरे में 27 नक्षत्रों, दूसरे घेरे में 12 राशियों और तीसरे घेरे में 9  ग्रहों के नाम और उनसे संबंधित पेड़-पौधों के नाम लिखे हुए हैं , हम इनको रत्न की तरह भी धारण कर सकते है 



भारतीय समय गणना
 क्रति = सैकन्ड का  34000 वाँ भाग
1 त्रुति = सैकन्ड का 300 वाँ भाग
 2 त्रुति = 1 लव 
 1 लव = 1 क्षण
 30 क्षण = 1 विपल 
 60 विपल = 1 पल
 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट )
 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा )
 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार)
 7 दिवस = 1 सप्ताह
 4 सप्ताह = 1 माह 
 2 माह = 1 ऋतू
 6 ऋतू = 1 वर्ष 
 100 वर्ष = 1 शताब्दी
 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी 
 432 सहस्राब्दी = 1 युग
4 युग = 1 सतयुग
 3 युग = 1 त्रैता युग
2 युग = 1 द्वापर युग 
 1 युग = 1 कलियुग
10 युग =  1 महायुग
 सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग
1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन आरम्भ और अन्त  )
 76 महायुग = मनवन्तर 
 1000 महायुग = 1 कल्प
 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प (देवों का जन्म और अन्त )
 महाकाल = 730 कल्प ।(ब्रह्मा का जन्म और अन्त )

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समयसूचक AM और PM का ज्ञान संसार को किसने दिया ? 

                 समयसूचक AM और PM का ज्ञान संसार को देने वाला देश , हमारा देश भारत वर्ष ही था । हमारे ज्ञान को चुराकर लिया गया जैसे वायुयान निर्माण जैसे अनेक ज्ञान चुराए थे और हमें पूरा विश्वास दिला कर, गलत अर्थ  रटवा दिया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब नीचे लिखे अनुसार है जिसे हम अब भी यही समझ रहे है  :
AM : एंटी मेरिडियन (ante meridian) इस शब्द का अर्थ है भूमध्य रेखा से पहले, इस शब्द का प्रयोग पहली बार 1555 में हुआ था, जिसका सही अंगेजी उच्चारण (ˈænti məˈrɪdiəm, -ˌem) AM नहीं EM हैcollins dictionary के अनुसार )

PM : पोस्ट मेरिडियन (post meridian) इस शब्द का अर्थ है भूमध्य रेखा के बाद ,  इस शब्द का प्रयोग पहली बार 1794 में हुआ था

यानि इन दो शब्दों में कोई तार्किक सम्बन्ध नहीं है क्योकि दोनों शब्दों के निर्माण और प्रयोग में 239 सालों का अंतर है , यानि वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह तर्कसंगत नहीं है AM का ज्ञान पश्चिमी लोगो को PM से 239 साल पहले हुआ था 

 क्योंकि यह चुराये गये AM/PM शब्द किसी "शब्दसमूह का लघु रूप" था
क्या आप जानते है कि हमारी प्राचीन गौरवशाली संस्कृत भाषा में इसका अर्थ छुपा है 
जो इस प्रकार से है 
AM = आरोहनम् मार्तण्डस्य Aarohanam Martandasya
PM = पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasya

आरोहणम् मार्तण्डस्य Arohanam Martandasaya यानि सूर्य का आरोहण काल (चढ़ाव)
पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasaya यानि सूर्य का अवरोहण काल  (उतार/अवसान / ढलाव)
दिन के बारह बजे के पहले सूर्य चढ़ता रहता है - 'आरोहनम मार्तण्डस्य' (AM)
बारह के बाद सूर्य का अवसान/ ढलाव होता है - 'पतनम मार्तण्डस्य' (PM)


लेकिन यह बात पश्चिम के प्रभाव में रमे हुए और पश्चिमी शिक्षा पाए कुछ लोगों की समझ में नहीं आएगी वे तो उनके वाले AM /PM  को ही याद रखेंगे क्योकि उनकी सोच में समस्त वैज्ञानिकता पश्चिम जगत की देन है

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प्राचीन भारतीय गुरुकुलों का पाठ्यक्रम 
धनुर्विद्या (Archery / Modern Artillery Science)
दिव्यास्त्र   विद्या ( laser guided bomb Science)
ब्रह्मास्त्र  विद्या ( Nuclear weapon Science )
अग्नेय अस्त्र विद्या ( Arms and ammunition Science)
विमान विद्या ( Aeronautics )
अंतरिक्ष विद्या ( Space science)
पृथ्वी विद्या ( Environment Study)
सूर्य विद्या ( Solar study )
 चन्द्रलोक विद्या ( Lunar study )
स्थान विद्या ( Navigation Science )
जलयान विद्या (Vessels Science )
 मेघ विद्या ( Weather Study )
खगोल विद्या ( Astronomy)
 भूगोल विद्या (Geography )
काल गणना विद्या ( Time 
calculation 
Study )
 भूगर्भ विद्या (Geology and mining Study)
 रत्न व धातु विद्या ( Gems and metals Science )
 आकर्षण विद्या ( Science of gravity )
प्रकाश विद्या ( Light & energy Science )
 
संप्रषण विद्या ( Communication )
 धातु विज्ञान ( metallurgy)
पदार्थ विद्युत विद्या ( battery Science)
 जीव जंतु विज्ञान विद्या ( zoology & botany )
शरीर विज्ञान ( Physiology )
शरीर रचना विज्ञान ( Anatomy )
शल्यचिकित्सा विज्ञान ( Surgery)
अदृश्य होने की कला / हवा में उड़ने की कला (Levitation )
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: भारत बारे मे प्रसिद्ध विदेशी विचारकों के वचन : 
"गीता एक अत्यंत सुन्दर और संभवतः एकमात्र सच्चा दार्शनिक ग्रन्थ है जो किसी अन्य भाषा में नहीं। वह एक ऐसी गहन और उन्नत वस्तु है जैस पर सारी दुनिया गर्व कर सकतीहै" - विल्हन वोन हम्बोल्ट

"प्रातः काल मैं अपनी बुद्धिमत्ता को अपूर्व और ब्रह्माण्डव्यापी गीता के तत्वज्ञान से स्नान करता हूँ, जिसकी तुलना में हमारा आधुनिक विश्व और उसका साहित्य अत्यंत क्षुद्र और तुच्छ जन पड़ता है" - हेनरी डेविड थोरो 

"मैं भगवत गीता का अत्यंत ऋणी हूँ। यह पहला ग्रन्थ है जिसे पढ़कर मुझे लगा की किसी विराट शक्ति से हमारा संवाद हो रहा है" - राल्फ वाल्डो इमर्सन

"विश्व भर में ऐसा कोई अध्ययन नहीं है जो उपनिषदों जितना उपकारी और उद्दत हो। यही मेरे जीवन को शांति देता रहा है, और वही मृत्यु में भी शांति देगा" - आर्थर शोपेन्हावर

" मनुष्य के इतिहास में जो भी मूल्यवान और सृजनशील सामग्री है, उसका भंडार अकेले भारत में है" - मार्क ट्वेन
"सीमा पर एक भी सैनिक न भेजते हुए भारत ने बीस सदियों तक सांस्कृतिक धरातल पर चीन को जीता और उसे प्रभावित भी किया" - हू शिह (अमेरिका में चीन राजदूत)

 "विश्व के विभिन्न धर्मों का लगभग ४० वर्ष अध्ययन करने के बाद मैं इस नतीजेपर पहुंची हूँ की हिंदुत्व जैसा परिपूर्ण, वैज्ञानिक, दार्शनिक और अध्यात्मिक धर्म और कोई नही"- एनी बेसेंट

" यदि मुझसे कोई पूछे की किस आकाश के तले मानव मन अपने अनमोल उपहारों समेत पूर्णतया विकसित हुआ है, जहां जीवन की जटिल समस्याओं का गहन विश्लेषण हुआ और समाधान भी प्रस्तुत किया गया, जो उसके भी प्रसंशा का पात्र हुआ जिन्होंने प्लेटो और कांट का अध्ययन किया,तो मैं भारत का नाम लूँगा" - मैक्स मुलर

" मानव ने आदिकाल से जो सपने देखने शुरू किये, उनके साकार होने का इस धरती पर कोई स्थान है, तो वो है भारत" - रोमां रोलां (फ्रांस)

"हम भारत के बहुत ऋणी हैं, जिसने हमें गिनती सिखाई, जिसके बिना कोई भी सार्थक वैज्ञानिक खोज संभव नहीं हो पाती" - अलबर्ट आइन्स्टीन
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लगभग 6000 वर्ष पुराने Sri Varamoortheeswarar मंदिर तमिलनाडु की दीवारों पर पत्थर की नक्काशी, मानव के गर्भ धारणा से जन्म तक प्रक्रिया को स्पष्ट दिखाती हैं | इससे सिद्ध होता है कि आधुनिक अल्ट्रासाउंड और माइक्रोस्कोप मशीनों से हजारो साल पहले भारतीय वैधो ( चिकित्षको) को सब जानकारी थी |






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विश्व ज्ञान और भारत का ज्ञान
भूगोल में हम पढ़ते है कि "पैंजिया" पृथ्वी का पहला महाद्वीप (सुपर महाद्वीप) था। सभी नवीन महाद्वीप (एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, यूरोप, अंटार्कटिका एवं ऑस्ट्रेलिया) का जन्मदाता भी यही महाद्वीप है। टेकटोनिक प्लेट्स के मूवमेंट के कारण पैंजिया महाद्वीप में खंडन हुआ और यह टूटकर इन 7 महाद्वीपों में बंट गया। यह "पैंजिया" नाम अल्फ्रेड वेजेनर ने अपनी पुस्तक "द ओरिजिन ऑफ कॉन्टिनेंट्स एंड ओशंस" (डाई एंटस्टेहंग डर कोंटिनेंट एंड ओजियेन)  में गढ़ा था। "पैंजिया" शब्द 1928 में "अल्फ्रेड वेजेनर" के सिद्धांत पर चर्चा के लिए आयोजित एक संगोष्ठी के दौरान प्रकाश में आया। एक विशाल महासागर जो पैंजिया को चारों ओर से घेरे हुए था,  उसका नाम पैंथालासा रखा गया।
काल्पनिक "पैंजिया" का चित्र 
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पृथ्वी का पहला और सटीक मानचित्र, भारत ने संसार को दिया 
पृथ्वी का पहला और सटीक भौगोलिक मानचित्र भारत ने संसार को दिया 
पृथ्वी का पहला और सटीक भौगोलिक मानचित्र महर्षि वेदव्यास जी द्वारा महाभारत से भी हजारों साल पहले बनाया गया था। महाभारत के भीष्म पर्व में इसका उल्लेख है कि "चंद्र कक्ष से पृथ्वी को देखने पर यह खरगोश और पीपल के दो पत्तों के समान प्रतीत होता है"।
एक विशाल खरगोश और पीपल के दो पत्तो की इस तस्वीर का निर्माण ग्यारहवीं शताब्दी  में जन्में संत रामानुजाचार्य जी (1017 -1137) ने महाभारत के इस श्लोक को पढ़कर किया था 
“सुदर्शनं प्रवक्ष्यामि द्वीपं तु कुरूनन्दन। परिमण्डलो महाराज द्वीपोऽसौ चक्रसंस्थितः॥
यथा हि पुरुषः पश्येदादर्शे मुखमात्मनः। एवं सुदर्शनद्वीपो दृश्यते चन्द्रमण्डले॥
द्विरंशे पिप्पलस्तत्र द्विरंशे च शशो महान्।” 
{हिन्दी अर्थ : हे कुरुनंदन ! सुदर्शन नामक यह द्वीप एक गोलाकार वृत्त है, जैसे मनुष्य अपना चेहरा शीशे में देखता है, ऐसे ही यह द्वीप, चंद्र-कक्ष (चन्द्रमा की कक्षा) से दिखाई देता है। द्वीप दो भागों में, पीपल के दो पत्ते और बड़ा शश (खरगोश) दिखाई देते हैं। }
- महर्षि वेद व्यास , भीष्म पर्व , महाभारत 
                                                                                                          साभार: सोशल मिडिया एवं प्रिंट मिडिया - रमेश खोला 
अब सोचो 1928 में अल्फ्रेड वेजेनर द्वारा दिए गए नाम (पैंजिया) और चित्र को हम तुरंत स्वीकार कर लेते है और हजारों साल पहले महाभारत में महर्षि वेद व्यास द्वारा दिए गए नाम (सुदर्शन) और चित्र को हम तुरंत अस्वीकार कर देते है...... आखिर क्यों ?


 हाँ, वास्तव में भारत विश्व गुरु था,  है और रहेगा  
जय भारत..... जय भारती 

विजिटर्स के लिए सन्देश

साथियो , यहां डाली गयी पोस्ट्स के बारे में प्रतिक्रिया जरूर करें , ताकि वांछित सुधार का मौका मिले : रमेश खोला

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