rameshkhola

|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

Welcome board

Natural

welcome

आपका हार्दिक अभिनन्दन है

Search

03 June 2014

GAYATRI MANTRA

                                                                RAMESHKHOLA

  गायत्री मंत्र -

" ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यंभर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः 

प्रचोदयात् "

गायत्री मंत्र संक्षेप में
गायत्री (वेद ग्रंथ की माता) मंत्र को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान 

करता है. इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, कृपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का 

सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है.
हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं

आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं

आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं

हे संसार के विधाता

हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें

कृपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या
गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
इस प्रकार से कहा जा सकता है कि गायत्री मंत्र में तीन पहलूओं क वर्णं है - स्त्रोत, ध्यान और प्रार्थना

===================================================================

No comments:

Post a Comment

आप, प्रतिक्रिया (Feedback) जरूर दे, ताकि कुछ कमी/गलती होने पर वांछित सुधार किया जा सके और पोस्ट की गयी सामग्री आपके लिए उपयोगी हो तो मुझे आपके लिए और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहन मिल सके :- आपका अपना साथी - रमेश खोला

विजिटर्स के लिए सन्देश

साथियो , यहां डाली गयी पोस्ट्स के बारे में प्रतिक्रिया जरूर करें , ताकि वांछित सुधार का मौका मिले : रमेश खोला

संपर्क करने का माध्यम

Name

Email *

Message *

Visit .....

Login

Login

Please fill the Details for Login



Forgot password?

Sign up

Sign Up

Please fill in this form to create an account.



By creating an account you agree to our Terms & Privacy.