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|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

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14 August 2021

INDIAN NATIONAL MOVEMENTS


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INDIAN NATIONAL MOVEMENTS
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• Government of India Act 1858
• Indian National Congress (1885)
• Partition of Bengal (1905)
• Swadeshi Movement (1905)
• Muslim League (1906)
• Morley-Minto Reforms (1909)
• Lucknow Pact (1916)
• Home Rule Movement (1916-­1920)
• The Gandhian Era (1917-1947)
• The Rowlatt Act (1919)
• Jallianwalla Bagh Massacre (1919)
• Khilafat Movement (1920)
• Non-Cooperation Movement (1920)
• Chauri Chaura Incident (1922)
• Swaraj Party (1923)
• Simon Commission (1927)
• Dandi March (1930)
• Gandhi-Irwin Pact (1931)
• The Government of India Act, 1935
• Quit India Movement (1942)
• Cabinet Mission Plan (1946)
• Interim Government (1946)
• Formation of Constituent Assembly (1946)
• Mountbatten Plan (1947)
• The Indian Independence Act, 1947
• Partition of India (1947)

देश भक्ति दोहे

आज हिमालय की चोटी से फिर हम ने ललकरा है
दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है।                           
-प्रदीप

जो भरा नहीं है भावों से, 
बहती जिसमें रस-धार नहीं। 
वह हृदय नहीं है पत्थर है, 
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं॥

सिंहासन हिल उठे राजवंषों ने भृकुटी तनी थी,

बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,

गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,

दूर फिरंगी को करने की सब ने मन में ठनी थी.

चमक उठी सन सत्तावन में, यह तलवार पुरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी.                            -सुभद्राकुमारी चौहान


अंधा चकाचौंध का मारा क्या जाने इतिहास बेचारा, 

साक्षी हैं उनकी महिमा के सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल 

कलम, आज उनकी जय बोल।                                        -रामधारी सिंह ‘दिनकर'

 

अतिथि देवो भवः कहें, दुश्मन को दें दंड।

भारत जितना शांत है, उतना रहे प्रचंड।।

                                                                                                                          साभार : लेखकगण / कविगण और सोसल मिडिया 

                                                                                                                                                              संकलन कर्ता - रमेश खोला 

1 comment:

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