दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है। -प्रदीप
सिंहासन हिल उठे राजवंषों ने भृकुटी तनी थी,
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सब ने मन में ठनी थी.
चमक उठी सन सत्तावन में, यह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी. -सुभद्राकुमारी चौहान
अंधा चकाचौंध का मारा क्या जाने इतिहास बेचारा,
साक्षी हैं उनकी महिमा के सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल
कलम, आज उनकी जय बोल। -रामधारी सिंह ‘दिनकर'
अतिथि देवो भवः कहें, दुश्मन को दें दंड।
भारत जितना शांत है, उतना रहे प्रचंड।।
साभार : लेखकगण / कविगण और सोसल मिडिया
संकलन कर्ता - रमेश खोला
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