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वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरूम्।।
आपको आपने परिवार और मित्रगण सहिंत श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाये - रमेश खोला
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निर्जला एकादशी की आपको हार्दिक शुभकामनाये - रमेश खोला
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ज्योता वाली मैया तेरी सदा ही जय हो - रमेश खोला
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मेरे दिल की इच्छा यह है कि " राव बीरेंद्र सिंह कॉलेज ऑफ़ इंजीनिरियरिंग, जैनाबाद का नाम भारत माता के वीर सपूत "शहीद अजय यादव कॉलेज ऑफ़ इंजीनिरियरिंग, जैनाबाद" रखा जाना चाहिए , जो सहमत है वो इस सन्देश को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे - रमेश खोला ~~~~~~~~~~~~~~~~~~
एक तरफ जापान में एक बच्ची शिक्षा से वंचित न रहे उसके लिए ट्रैन लगी हुयी है और हमारे यहां 20 से कम संख्या वाले स्कूलों को ही बंद करने की तैयारी चल रही है !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
सनातन भाषा में संबंध
हिन्दी/संस्कृत मे पारिवारिक नाम
हिन्दी .......................... संस्कृत
दादा --------------------- पितामहः
दादी --------------------- पितामही
नाना --------------------- मातामह:
नानी --------------------- मातामही
परदादा ------------------- प्रपितामह:
परदादी ------------------- प्रतितामही
परनाना ------------------ प्रमातामह:
परनानी ------------------ प्रमातामही
वृद्धपरनाना -------------- वृद्धप्रतिपितामह
पिता --------------------- जनकः,पितृ
माता --------------------- मातृ , जननी
चाचा --------------------- पितृव्य:
चाची --------------------- पितृव्यपत्नी
चचेराभाई ---------------- पितृव्यपुत्र:
देवर ---------------------- देवर:
देवरानी ------------------ यातृ,याता
ननद --------------------- ननांदृ,ननान्दा
मौसा --------------------- मातृष्वसृपति
मौसी --------------------- मातृष्वसृ,मातृष्वसा
मौसेराभाई --------------- मातृष्वस्रीय:
पुत्र ------------------------ आत्मज:
पुत्री ----------------------- आत्मजा
पतोतरा-तरी -------------- प्रपौत्र:,प्रपौत्री
पोता ----------------------- पौत्र:
पोती ----------------------- पौत्री
सगाभाई ------------------- सहोदर:
छोटाभाई ------------------- अनुज:,कनिष्टसहोदर:
बड़ाभाई -------------------- अग्रज:
बहिन ----------------------- भगिनी,स्वसृस्वसा
भतीजा --------------------- भ्रात्रिय:,भ्रातृपुत्र:
भतीजी --------------------- भ्रातृसुता
भाभी ------------------------ भ्रातृजाया,प्रजावती
जँवाई(दामाद) -------------- जामातृ
जीजा(बहनोई) -------------- आवुत्त:,भगिनिपति:
फुआ ------------------------- पितृप्वसृपितृष्वसा
फूफा ------------------------- पितृप्षवसृपति:
फुफेराभाई ------------------- पैतृष्वस्रिय:
भानजा ---------------------- स्वस्रिय:,भागिनेय:
मामा, मामी ----------------- मातुल:मातुली
समधिन --------------------- सम्बन्धिनि
समधी ----------------------- सम्बन्धीन्
ससुर ------------------------- श्वशुर:
साला ------------------------- श्याल:
सास -------------------------- श्वश्रू:
मित्र ------------------------- वयस्य:,मित्रम्,सुहृद्
सखी ------------------------- आलि:,वयस्या
नाती -------------------------- नप्तृ,नप्ता
पति --------------------------- पति:
पतिव्रता ---------------------- साध्वी
मालिक ------------------------ स्वामी,प्रभु:
औरत -------------------------- स्त्री,योषित्,नारी
सोहागिन ---------------------- पुरंध्रि:,सौभाग्यवती
यार ---------------------------- जार:,उपपति:
रंडा ---------------------------- विधवा,विश्वस्ता
रिश्तेदार ---------------------- सम्बन्धी,ज्ञाति:,बन्धु:
नौकर ------------------------- भृत्य:,प्रैष्य:,अनुचर
नौकरानी ---------------------- परिचारिका
वेश्या -------------------------- गणिका,वारस्त्री,वेश्या:
दुश्मन ------------------------ अरि:,रिपु:,शत्रु:
दूती --------------------------- दूती,संचारिका
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पुराने समय की कहावत
चैते गुड़, वैसाखे तेल । जेठ के पंथ¹, अषाढ़े बेल ।
सावन साग, भादौ दही²। कुवांर करेला, कार्तिक मही³ ।।
अगहन जीरा, पूसै धना। माघे मिश्री, फागुन चना ।
जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर नहीं धरै ।।
⇓⇓⇓⇓⇓अर्थ ⇓⇓⇓⇓⇓
चैत्र माह (मार्च-अप्रैल ) में नया गुड़ न खाएं
बैसाख माह (अप्रैल-मई) में नया तेल न लगाएं
जेठ माह (मई -जून) में दोपहर में नहीं चलना चाहिए
अषाढ़ माह (जून-जुलाई) में बेल न खाएं
सावन माह (जुलाई-अगस्त ) में साग न खाएं
भादों माह (अगस्त-सितम्बर) में दही न खाएं
क्वार /आश्विन माह (सितम्बर-अक्टूबर) में करेला न खाएं
कार्तिक माह (अक्टूबर-नवम्बर) में जमीन पर न सोएं
अगहन/ मार्घशीर्ष माह (नवम्बर-दिसंबर ) में जीरा न खाएं
पूस माह (दिसंबर-जनवरी) में धनिया न खाएं
माघ माह (जनवरी-फ़रवरी) में मिश्री न खाएं
फागुन माह (फ़रवरी-मार्च) में चना न खाएं
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" धरती पुत्र" माननीय नरेंद्र मोदी जी को हार्दिक शुभकामनाएं - रमेश खोला
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वसुदेव-सुतं देवं कंस-चाणूर-मर्दनम् |
देवकी-परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ||
भगवान कृष्ण का जनम हिन्दू कैलेंडर के भाद्रपद की कृष्णपक्ष की अष्ठमी को मध्यरात्रि में अभिजीत नक्षत्र में हुआ था, रात में तेज बारिश हो रही थी और बिजलिया चमक रही थी तब भगवान विष्णु ने लिया देवकी के आठवे गर्भ के रूप में जन्म. जन्म के तुरंत पहले सब जेल के प्रहरी हो गए थे बेहोश और भगवान नारायण ने देवकी और वासुदेव को दिए दर्शन
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं - रमेश खोला
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