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|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

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28 June 2019

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     PART - 7     

हरयाणवी मुहावरे और लोकोक्तिया

1.अकल बिना ऊंट उघाणे फिरैं
2.अपनी रहिय्याँ नै न रोती, जेठ की जायियाँ नै रोवे
3.अंधा न्यौतै और दो बुलावै अर तीसरा गैला आवे
4.अगेती फसल और अगेती मार करणियां की होवै ना कदे बी हार
5.आंध्यां की माखी राम उडावै
6.आंध्यां बांटै सीरणी अप अपणा नै दे - औरां की के फूट-गी, आगा बढ़-कै ले
7.आंधा गुरू आंधा चेला - कूंऐं में दोनूं ढ़ेल्लम-ढ़ेल्लां
8.आपना मारे छाया में गेरे
9.इबै किमै ना बिगङया, इबै तै बेटी बाप कै सै 
10.इतनै काणी का सिंगार होगा.... मेळा बिछड़ ज्यागा
11.इतनी चीकणी हांडी होती तै कुत्ते ए ना चाट लेते !
12.इसे बावळे तै भैंसवाळ में पावैंगे जो नहा कै सान्नी काटैं
13.ऊत न ऊत ग°गा जी के घाट पै टकरा ए जाया करै
14.एक घर तै डायण भी छोड दिया करै
15.एक भैंस सोवां कै गार लावै (एक सड़ी मछली सारे तालाब को गंदा करती है)
16.कर जावै घूंघट आळी, नाम झुरमट आळी का 
17.कदे कदे तै गधे की बी ग्यास आया करै
18.काका के हाथ में कस्सी हळवी (हल्की) लाग्या करै
काका के हाथ में कुलहाङी पैनी लाग्या करै
19.काका कहे त कोए काकडी ना दे
20.किमें मेरी का मन था, किमें आ-गे लणिहार
21.खा तै खा घी तैं, ना तै जा जी तैं
22.खाद पड़ै तै खेत, नांह तै कूड़ा रेत 
23.खच्चरी मरी पड़ी सै, भाड़ा सोनीपत का ।
24.खेती खसम सेती
25.खांड का पानी होना अर्थ करे कराये पे पानी फिरना
26.गरीब की बहु गाम की भाभी
27.गोदी में छोरा और गांव में ढ़िंढ़ोरा
28.गोबर में डळा मारै, अर खुद छींटम-छींट
29.गाम बस्या ना, मंगते फिर गये
30.घणी स्याणी दो बार पोवै - और भूखी सोवै
31.घर तै जळ-ग्या पर मूस्यां कै आंख हो गई
32.घर बेशक हीणा टोह दे, वर हीणा ना होना चाहिये
33.घर में सूत ना पूणी, जुलाहे गैल लट्ठम-लट्ठां
34.घी सुधारै खीचड़ी, और बड्डी बहू का नाम
35.घी होगा तै अंधेरे मैए चमक जागा
36घोड़ी नै ठुकवाई तनहाळ, तो मींडकी नै भी टांग ठाई
37.चालना राही का, चाहे फेर क्यूं ना हो । बैठना भाइयाँ का, चाहे बैर क्यूं ना हो ।।
38.चोर के मन में डूम का ढांढा (चोर की दाढ़ी में तिनका)
39.चोरटी बिल्ली, छीके की रुखाळी
40.चाहे तै बावली सिर खुजावै ना, खुजावै तै लहू चला ले
41.छाज तै बाजै-ए-बाजै, छालणी बी के बाजै - जिसमै 70 छेद 
42.जिसी नकटी देवी, उसे-ए ऊत पुजारी
43.जिस गाम में ना जाना, उसके कोस क्यूं गिने
44.जिसकै लागै, वोह-ए जाणै 
45.जिसकी खाई बांकळी, उसके गाये गीत
46.जिसका खावै टीकड़ा, उसका गावै गीतड़ा
47.जिसनै करी सरम, उसके फूटे करम
48.जिसनै चलणी बाट, उसनै किसी सुहावै खाट
49.जूती तंग अर रिश्तेदार नंग - सारी जगहां सेधैं
50.झोटे-झोटे लड़ैं, झाड़ियां का खो
51.झूठा खाणा, मीठे के लोभ मै
52.तडके का मीह अर्र साँझ का बटेऊ टल्ल्या नही करते
53.तेरे जामे होड़ तै इसै पाहया चालैंगे 
54.दही के भुळामै कपास खा ज्ञाणा 
55.दुध आली की तो लात भी उट जाया करे
56.नानी फंड करै, धेवता डंड भरै 
57.पग पग पै बाजरा, मींडक कूदणी जवार - न्यूं बोवै जब कोए, घर का भरै भंडार 
58.पत्थर का बाट - जितने बै तोलो, घाट-ए-घाट
59.पकड़ण का ढ़ंग नहीं अर मारण की साई ले रहा !
60.पुलिस के पीटे का आर चमस्सेय के रेह्पटे का के बुरा मानना
61.पूत के पांव पालणे में ऐं दीख ज्याया करैं
62.फूहड़ चालै सारा घऱ हालै
63.पैसा नहीं पास मेला लगे उदास........
64.फूहड़ के तीन काम हगे, समेटे अर गेरन जा..........
65.फूफा कहे त कोए फुकनी ना दे ' अर काका कहे ते कोई काकडी ना दे..
66.बहू तै सुथरी सै, पर काणी सै ..औ
67.बहुआं हाथ चोर मरावै, चोर बहू का भाई
68.ब्याहली आंवते ही सासू मत बणिये !
69.बोहड़िया का भाई, गाम का साळा
70.बहू आई रीमो-झीमो, बहू आई स्याणी भोत - आवतीं-हें न्यारी हो-गी, पाथणे ना आवैं चौथ 
71.ब्याह में गाये गीत सारे साची ना होते
72.बाप नै ना मारी मींडकी, बेटा तीरंदाज
73.बेर खावै गादड़ी, ड़ंडे खावै रीझ
74.बांदरां के बीच में गुड़ की भेल्ली
75.लखमीचंद ने कहा – बुलहद सींग का, मरद लंगोट का -  बुलहद काँध का, मरद जुबान का !
76.बेईमान की रुखाळ और आँख में बाळ - दोनूं करड़े काम सैं
77.भीत में आला अर, घर में साला ठीक ना होते
78.मारते माणस का हाथ पकड़ ले...बोलते की जुबान ना पकड़ी जा
79.मार कै भाग ज्या, अर खा कै सो ज्या - कोई ना पकड़ सकै
80.मार पाछै किसी पुकार
81.मरोड़ मैं तै करोड़ लागैंगे
82.साझे का मारै काम और भादवे का मारै घाम
83.साझे की होळी नै कोए बी जळा ज्या
84.सूखा कसार खा-कै तै इसे-ए सपूत जामे जांगे
85.सूधी छिपकली घणे माछर खावै
86.सू-सू ना कहै, सुसरी कह दे 
87.सौ दिन चोर के, एक दिन शाह का
88.हँसी-हँसी में हसनगढ़ बस-ग्या
89.हाथ ना पल्ले, मियॉ मटकताऐ चाले
90.हाग्या जा ना पेट पीटे
91.हाथी-घोड़े बह-गे अर गधी बूझै पाणी कितना ?
92.हेजली के बाळक ना खिलाने चाहियें अर च्यातर का काम ना करना चाहिये

नोट~ हरियाणा की प्रतियोगिता परीक्षाओं में हरियाणवी कल्चर के बारें मे पूछा जाता है

हरियाणा सामान्य ज्ञान के लिए यहाँ क्लिक करे 


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