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🚩जय सनातन🚩
*अहिंसा परमो धर्म:*
हमें ये अधूरा श्लोक रटाया गया और हमारे मन मस्तिष्क में अहिंसा के नाम पर भिरुता को भर दिया गया , यानी अहिंसा की आड़ में कायरता हमारे अंदर भर दी गई
अब पूरे श्लोक का अर्थ देखे
*अहिंसा परमो धर्म:,*
*धर्म हिंसा तथैव च ।*
अर्थ सहित व्याख्या :
'अहिंसा परमो धर्म:'
अर्थात :
*अहिंसा ही परम धर्म है*
"धर्म हिंसा तथैव च" अर्थात :
*धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना भी परम धर्म है*
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ऐसा बटन दबाना
घर भी बने गरीब का , कुटिया की रक्षा हो |
मंदिर तिलक कमंडल , चुटिया (चोटी ) की रक्षा हो ||
खेत में लगे किसान की , खटिया की रक्षा हो |
ऐसा बटन दबाना कि , बिटिया की रक्षा हो ||
- 23.11.2023
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विदेशी बम्भो पर भारी भारतीय पटाखे
एक साल से ज्यादा समय हो गया रूस यूकेन युद्ध को और एक मास से ज्यादा समय हो गया इजरायल और हमास युद्ध को , लेकिन पर्यावरण दूषित होने की केवल एकमात्र वजह एक दिन पूरा नहीं बल्कि 3 -4 घण्टे की पटाखे बाजी है वो भी केवल दीपावली की , तो इससे हम ये कह सकते है कि विदेशी बम्भो पर भारी भारतीय पटाखे , अभी 23 नवम्बर से शादियाँ शुरू हो रही है , वो पटाखे और अन्य धर्म / मजहब के उत्सवों में छूटने वाले पटाखे , पर्यावरण को बिलकुल भी दूषित नहीं करते |
आप कभी विचार करना कि दीपावली से लगभग 1 महीना पहले और लगभग 15 -20 दिन बाद कोई टीवी News चैनल पर्यावरण पर चर्चा करता हो , या दीपावली के बाद प्रदूषण दूर करने के लिए कोई विशेष अभियान जैसे वृक्षारोपन आदि चलाया जाता हो , 10 महीने किसी को चिंता है
दूसरी बात ध्यान से देखना होली के समय जल ख़त्म हो जाता है , सभी टीवी News चैनल अपना ज्ञान देना शुरू कर देते है , वैसे साल भर खुले नल चलते है किसी का ध्यान नहीं लेकिन होली के दिन , तो बस मानो समुद्र ही सूख गया हो
अब आप विचार करो कि वास्तव में पर्यावरण / जल के हितेषी हैं या कोई और छिपा एजेंडा हम पर थोपने की कोशिश है
अपनी संस्कृति की रक्षा करो - रमेश खोला , 13.11.2023
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केतली गर्भ संभूतं , शक्कर पत्ती मिश्रतम
कप मध्य विराजते , चाय चण्डिकाय नमो नमः
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जिंदगी किस्मत से चलती है,
दिमाग से चलती तो बीरबल बादशाह होता, अकबर नहीं ।
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ये प्रदूषण केवल दीपावली के पटाखों से ही क्यों बढ़ता है ?
किसी चुनावी जीत या अन्य आयोजनों पर छूटने वाले पटाखों से क्यों नहीं बढ़ता ? लाखों टन रोज कोयला फूँक कर बिजली बनती है , अरबो खरबो साधन दिनरात चलते है , अरबों फैक्ट्रियां चलती है उनसे प्रदुषण नहीं होता , केवल दीपावली के 10-15 दिन पहले ये नाटक शुरू होता है और दीपावली के बाद ये खत्म हो जायेगा , फिर अगली दीपावली का इन्तजार रहेगा और तो और यूक्रेन युद्ध में लगभग 10 महीनों से अनगिनत बम गिराए जा रहे है उनसे किसी वैशविक संस्था का दम नहीं घुट रहा ? - रमेश खोला , 25.10.2022
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रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 से युद्ध शुरू हुआ था और अब भी चल रहा है , इन 7-8 महीनो में न जाने कितने हजार टन विस्फोटक का प्रयोग हुआ है , लेकिन कमाल का विस्फोटक है कि पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहा क्योकि न भारत के सनातन विरोधियों का ब्यान आया और न ही वैश्विक पर्यावरण रक्षक संस्थाए इसे पर्यावण पर बहुत बड़ा खतरा मान इस युद्ध के विरुद्ध संसार को खड़ा कर पायी और भारत में देखो दिपावली के पटाखे न जाने किस प्रकार के बारूद से बने होते है कि बजने से पहले ही कुछ सनातन संस्कृति विरोधियो की साँस फूला देते है - रमेश खोला , 02.10.2022
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दीपावली आने वाली है , अभी से ही कुछ सनातन और संस्कृति के विरोधी अपनी नाक खुजलाना शुरू कर देंगे , ताकि दीपावली तक पटाखों पर बैन करवा सके | पूरे साल किसी भी उत्सव, ब्याह-शादी , पार्टियों में चलने वाले पटाखे उनकी नज़र में पर्यावरण हितैषी और दीपावली की रात 2-3 घंटे चलने वाले पटाखे उनका दम घोटने वाले होते है - रमेश खोला , 02.10.2022
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भूला बिसरा और वास्तविक अंबेडकर
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( यह एक व्यंग्य है , कोई समझ सके तो अच्छा और न समझे तो और भी अच्छा)
साल के 365 दिनों में केवल 1 दिन (बल्कि पूरा दिन भी नहीं मात्र 4-5 घंटे ) दीपावली की आतिशबाजी - वायु प्रदुषण करती है
364 दिनों में इलेक्शन में जीत के पटाखे - वायु प्रदुषण नहीं करते
364 दिनों में भारत की हार पर चलने वाले पटाखे - वायु प्रदुषण नहीं करते
364 दिनों में हिन्दू धर्म को छोड़ कर अन्य धर्मो के उत्सवों में होने वाली आतशबाजी - वायु प्रदुषण नहीं करती
364 दिनों में वाहन , फैक्ट्रियां आदि - वायु प्रदुषण नहीं करते
- रमेश खोला 01.11.2021
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भारत और भारत की राष्ट्रवादी सरकार (मोदी सरकार) का डर चीन में इतना है कि कभी "वन चाइल्ड पॉलिसी" अपनाने वाले चीन ने 2016 में "टू चाइल्ड पॉलिसी" और 2021 में "थ्री चाइल्ड पॉलिसी" अपना ली है
- रमेश खोला 02.10.2021
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विजय विट्ठल मंदिर ( कर्नाटक )
इस मंदिर में 56 संगीतीय स्तंभ जिनसे सात स्वरों का संगीत निकलता है केंद्र में एक मुख्य स्तम्भ है (केंद्रीय स्तम्भ को एक वाद्ययंत्र के रूप में बनाया गया है ) इसके चारों और छोटे छोटे 7 स्तम्भ हैं, जब आप इन्हें चंदन की लकड़ी से छूते हो तो इनसे "सा रे गा मा" के स्वर निकलते हैं
रिसर्च से पता चला है कि ये खम्भे ग्रेनाइट के एक उन्नत मिश्रण Geo Polymer में सिलिकॉन पार्टिकल्स और दूसरे मिश्र धातुओं से मिलकर बने हैं, लेकिन वैज्ञानिक हैरान हैं कि Geo Polymer का अविष्कार तो 1950 के दशक में ( 20 वीं शताब्दी में ) सोवियत यूनियन में हुआ था पर ये स्तम्भ तो 15 वीं शताब्दी के हैं यानि की लगभग 500 साल पुराने हैं. अब आप बताओ कि Geo Polymer का आविष्कार कहाँ हुआ था ?
अब तो मानोगे की भारत ही विश्व गुरु था - रमेश खोला 27.09.2021
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देह धरे को दण्ड है, सब काहू को होय।
ज्ञानी कटे ज्ञान से, मूरख काटे रोय।।
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अपने भाई को जी भर दुलार देती है ,
अपनी खुशियाँ भी भाई पर वार देती है !
लड़ता है भाई बेशक़, वजह - बेवजह,
बहने तो बस स्नेह और प्यार देती है !!
- रमेश खोला , 22.08.2021
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दीपावली आ रही है, हिन्दू त्यौहार विरोधी लॉबी जिन्हे होली के अवसर पर पानी डालने से धरती के पानी ख़त्म होने का अहसाह होता है, उनकी नाक में दिवाली के पटाखे का धुंआ पटाख़े छूटने से पहले ही घुस जायेगा और पटाखों का विरोध शुरू कर देंगे - रमेश खोला , 07.11.2020
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खाके देशी रोट , कमाऊँ खेतां मै ,
फौजी बन, मैं आन बचाऊँ देशां मै I
चौपाला में हंसी-ठठ्ठा और सांग चले ,
नंबर वन हरियाणा सै यो किस्सां मै II
- रमेश खोला , 01.11.2020
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कर्तव्य हमारी संस्कृति है , प्राचीन काल से हमारे पूर्वज अपने कर्तव्यों के लिए अपने निजी जीवन को भी देश / समाज हित में लगा देते थे राजा शिवि ने अपने कर्तव्य पालन करते हुए अपना स्वयं का मांस दान कर दिया , राजा हरिश्चंद्र , राजा श्री राम चंद्र ( भगवान राम ) आदि अनेको उदाहरण है अर्थात अधिकार से पहले कर्तव्य का स्थान है। संविधान में मौलिक कर्तव्य सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर सन 1976 में 42वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया, वर्तमान समय में प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह संविधान और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान आदि राष्ट्रीय प्रतीकों का आदर करते हुए वह भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे - रमेश खोला 02.10.2020
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खबर - दुनिया को अगली महामारी के लिए तैयार रहना चाहिए, कोरोना आखिरी नहीं-विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख
खबर का जवाब - जब तक धरती पर चीन का अस्तित्व है तब तक तैयार ही रहना चाहिए , "विश्व की बीमारी चीन" का अंत जरुरी है, चोर को नहीं चोर की माँ का खात्मा जरुरी है ताकि आगे जन्म ही न दे सके , बीमारी की जड को काटना जरुरी है - रमेश खोला , 08.09.2020
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जो भारतीय सेना के शौर्य का सबूत मांगते है उन्हें फाइटर प्लेन से सबूत वाली जगह पर ड्रॉप करने की व्यवस्था कर दी जाये तो अपनी आँखों से हमारे शूर वीरो के पराक्रम का सबूत देख कर संतुष्ट हो जायेंगे - रमेश खोला , 02.09.2020
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लोकतंत्र का हृदय " ‘राइट-टू-रिकॉल’ " ग्राम पंचायत स्तर पर , लाने वाला हरियाणा भारत का प्रथम राज्य होगा , माननीय प्रधानमंत्री जी से निवेदन है कि केवल ग्राम पंचायत स्तर पर ही नहीं बल्कि विधानसभा , लोकसभा में भी इसे लागू किया जाये
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भारत का यही दुर्भाग्य रहा है कि हम अपनी उपलब्धियों को स्वयं ही नकार देते है जबकि दूसरे देश अपनी अदनी सी उपलब्धि को भी हम पर थोपने में सफल हो जाते है जैसे हनुमान चालीसा में लिखी गयी धरती से सूरज की दूरी "जुग सहस्त्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।। " को स्वीकार नहीं करते बल्कि उसके हजारो वर्ष बाद दूसरे देश के लोगो द्वारा बताई गयी उसी दूरी को सही मान लेते है ,रामसेतु जो समुद्र पर संसार का प्रथम सबसे लम्बा मानव निर्मित पुल है जिसका निर्माण भारत ने ( श्रीराम ने नल-नील और वानर सेना की सहायता से ) करवाया था , इस गर्व की बात को मानने की बजाय श्रीराम को ही काल्पनिक मानना ही तथाकथित बुद्धिजीवियों को सरल काम लगा तभी विदेशियों ने रामसेतु को Adam's Bridge कहना शुरू कर दिया , आओ Adam के बारे में कुछ जाने, कि ये कौन थे ?
ईसाई और इस्लामी परंपराओं के अनुसार Adam और Eve (एडम और ईव) मूल मानव युगल यानि धरती पर प्रथम मानव जोड़ा या यूँ कहें कि ईसाई और इस्लामी परंपराओं के अनुसार मानव जाति के माता-पिता थे , यहाँ आपको ये भी भी याद दिलाना जरुरी है कि भारत के मत्स्य पुराण के अनुसार मनु और अनंति को मूल मानव युगल यानि प्रथम मानव जोड़ा या यूँ कहें कि मानव जाति के माता-पिता माना जाता है , ऐसे ही कोरोना की दवा रूस से पहले भारत (पतंजलि/ बाबा रामदेव) ने बना ली थी लेकिन WHO के मना करने पर भी हम भारतवासी रूस द्वारा कोरोना की दवा बनाने के दावे को सही मान रहे है , भारवासियों में आत्मविश्वास की इस कमी को कुछ गुलामीपसंद सदा बनाये रखना चाहते है , परन्तु वास्तव में भारत विश्व गुरु था , है और रहेगा " जय भारत - जय भारती " वन्दे मातरम - रमेश खोला, 12.08.2020
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वाह ! क्या बात है .........................मानव स्वभाव भी अजीब ही है....................
"किसी व्यक्ति को जानवर कहो तो वो नाराज हो जाता है
और उसे शेर कह दो तो फूला नहीं समाता है" - रमेश खोला, 08.08.2020
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सोवा साधु जगाइए, करे नाम का जाप ।
यह तीनों सोते भले, सकित,सिंह और साप ॥
01.08.2020
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