24 November 2022

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चरण धरत चिंता करत, चितवत चारों ओर | 
 सुवर्ण को खोजत फिरत , कवि -व्याभिचारी-चोर || 
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 इश्क़ एक तरफा में यूँ मसरूर हो जाऊंगा मैं 

श्याम तुम होंगे शमा , काफूर हो जाऊंगा मैं 

मैं अगर मांगू जो तुमसे , मुझको तुम देना न कुछ 

वर्ना फिर प्रेमी नही,  मजदूर हो जाऊंगा मैं 

मैं अगर चाहूँ तो चाहूँ , तुम ना मुझको चाहना 

तुमने गर चाहा तो फिर  , मगरूर हो जाऊंगा मैं 

मैं  अगर देखूं तो देखूँ  , तुम ना मुझको  देखना 

तुमने गर देखा तो फिर  , मशहूर हो जाऊंगा मैं  

मैं  अगर तड़पूँ तो तड़पूँ , दृग से बिन्दु टपकना न तुम 

बिन्दु जो टपका, तो आँखों से तुम्हारी दूर हो जाऊंगा मैं 

                                                                                                                        - श्री बिन्दु जी महाराज 


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