आठ सिद्धियाँ एवं साधक को प्राप्त होने वाले फल
आठ सिद्धियों स्वामी, माता सीता जी और श्रीराम जी के प्यारे जी हनुमान जी1. अणिमा : प्रथम सिद्धि "अणिमा" होती है
फल: इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक अपने शरीर को एक अणु के समान सूक्ष्म बनाने की शक्ति प्राप्त कर लेता है।
2. महिमा : दूसरी सिद्धि "महिमा" होती है
फल: इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक अपने शरीर को असीमित बढ़ाने में सक्षम होता हैं, यह सिद्धि साधक सरीर को विशाल से विशाल करते मदद करती है
3. गरिमा : तीसरी सिद्धि "गरिमा" होती है
फल: इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक अपने शरीर के भार को असीमित तरीके से बढ़ा सकता हैं। साधक का आकार तो वही रहता हैं, परन्तु उसके शरीर का भार इतना बढ़ जाता हैं कि उसे कोई भी बड़ी से बड़ी शक्ति हिला तक नहीं सकती।
4. लघिमा : चतुर्थ सिद्धि "लघिमा" होती है
फल: इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक अपने शरीर को हल्का कर सकता है, अर्थात अपने भार को ना के बराबर कर सकता है जिससे साधक वह पवन गति से उड़ सकता हैं।
5. प्राप्ति : पंचम सिद्धि "प्राप्ति" होती है
फल: इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक बिना किसी रोक-टोक के किसी भी स्थान पर, कहीं भी आ-जा सकता हैं। अपनी इच्छानुसार अन्य मनुष्यों के सनमुख अदृश्य होकर, जहाँ जाना चाहें वहा जा सकता हैं तथा उसे कोई देख नहीं सकता हैं।
6. प्राकाम्य : छठी सिद्धि "प्राकाम्य" होती है
फल : इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक किसी के मन की बात को जान सकता हैं, फिर चाहे सामने वाला व्यक्ति अपने मन की बात की अभिव्यक्ति करें या न करे , साधक सब जान लेता है
7. वशित्व : सातवीं सिद्धि "वशित्व" होती है
फल : इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक किसी भी व्यक्ति को अपने वश में कर सकता हैं। इसे वशीकरण सिद्धि भी कह सकते है
8. ईशित्व : आठवीं और अंतिम सिद्धि "ईशित्व" होती है
फल : इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक जन्म मरण के चक्र से विमुक्त हो जाता है अर्थात इसे मोक्ष दायिनी सिद्धि भी कह सकते हैं
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