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19 August 2013

Gumnami Baba



20.09.2017 DAINIK JAGRAN NEWS CLIP


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फैजाबाद (यूपी).गुमनामी बाबा के आखि‍री बक्से से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फैमि‍ली फोटोज मिली हैं। साथ ही तीन घड़ियां- रोलेक्स, ओमेगा और क्रोनो मीटर सहि‍त तीन सिगार केश मिले हैं। एक फोटो में बोस के पिता जानकी नाथ, मां प्रभावती देवी, भाई-बहन और पोते-पोती नजर आ रहे हैं। हालांकि, क्या गुमनामी बाबा ही नेताजी थे, इस बात को लेकर मिस्ट्री अब भी कायम है।

 बोस की फैमिली फोटोज में कौन-कौन...
- फोटो में सुभाष चंद्र बोस की फैमिली के 22 लोग हैं।
- ऊपर की लाइन में (बाएं से दाएं) सुधीर चंद्र बोस, शरत चंद्र बोस, सुनील चंद्र और सुभाष चंद्र बोस हैं।
- बीच की लाइन में (बीच में बैठ हुए) नेताजी के पि‍ता जानकी नाथ बोस, मां प्रभावती देवी और तीन बहनें हैं।
- फोटो में नीचे की लाइन में जानकी नाथ बोस के पोते-पोतियां हैं। इसके अलावा भी कई अन्य फैमि‍ली फोटोज मिली हैं।
- गुमनामी बाबा के मकान मालिक के मुताबिक, 4 फरवरी, 1986 को नेताजी के भाई सुरेश चंद्र बोस की बेटी ललिता यहां आई थीं। उन्होंने ही फोटो में लोगों की पहचान की थी।
- आखिरी बक्से से आजाद हिंद फौज (आईएनए) के कमांडर पबित्र मोहन राय, सुनील दास गुप्ता या सुनील कृष्ण गुप्ता के 23 जनवरी या दुर्गापूजा में आने को लेकर लेटर और टेलीग्राम भी मिले हैं।
- पबित्र मोहन राय ने एक पत्र में गुमनामी बाबा को कभी स्वामी जी तो कभी भगवन जी कहा है।
क्या उठ रहे सवाल?
- सवाल यह है कि अगर गुमनामी बाबा नेताजी सुभाष चंद्र बोस नहीं थे तो कौन थे?
- अगर वे गुमनामी बाबा या कोई और थे तो उनके बक्से में बोस की फैमि‍ली फोटोज क्यों थीं?
क्या कहते हैं गुमनामी बाबा के मकान मालि‍क?
- गुमनामी बाबा ने राम भवन में जिंदगी के अंतिम तीन साल (1982-85) गुजारे। राम भवन के मालि‍क शक्ति सिंह हैं।
- सिंह के मुताबिक, हाईकोर्ट का प्रदेश सरकार को ऑर्डर है कि‍ रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक टीम बनाई जाए, जो गुमनामी बाबा के बक्से में मिली चीजों की जांच करेगी।
- प्रशासनिक कमेटी की जांच के तीन दि‍न बाद टेक्निकल कमेटी सामान की जांच करेगी।
पहले के बक्सों से क्या मिला?
- गोल फ्रेम का एक चश्मा मिला था। वह ठीक वैसा ही है, जैसा बोस पहनते थे।
- एक रोलेक्स घड़ी मिली। ऐसी घड़ी बोस अपनी जेब में रखते थे।
- कुछ लेटर मिले, जो नेताजी की फैमिली मेंबर ने लिखे थे। न्यूज पेपर्स की कुछ कटिंग्स मिलीं, जिनमें बोस से जुड़ी खबरें हैं।
- आजाद हिंद फौज की यूनिफॉर्म भी मिली।
- सिगरेट, पाइप, कालीजी की फ्रेम की गई तस्वीर और रुद्राक्ष की कुछ मालाएं।
- एक झोले में बांग्ला और अंग्रेजी में लिखी 8-10 लिटरेचर की किताबें मिलीं। मंत्र जाप की कुछ मालाएं भी थीं।
पब्लिक किए जा सकते हैं सामान?
- सामान को पब्लिक करने के लिए नेताजी की भतीजी ललिता बोस और नेताजी सुभाष चंद्र बोस मंच ने दो अलग-अलग रिट दायर की थी।
- इस पर सुनवाई करते हुए 31 जनवरी, 2013 को हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को ऑर्डर दिया था कि गुमनामी बाबा के सामान को म्यूजियम में रखा जाए, ताकि आम लोग उन्हें देख सकें।
- हाल में ही मोदी सरकार ने नेताजी की फाइलें पब्लिक की हैं। इसके बाद उनकी फैमिली ने यूपी के सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की थी।
- बोस की फैमिली ने कोर्ट के ऑर्डर के तहत सीएम से गुमनामी बाबा के सामानों को पब्लिक करने की गुजारिश की थी। इसके बाद ही यह प्रॉसेस शुरू हुई।


कौन थे गुमनामी बाबा?
- फैजाबाद जिले में एक योगी रहते थे, जिन्हें पहले भगवनजी और बाद में गुमनामी बाबा कहा जाने लगा।
- मुखर्जी कमीशन ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फैजाबाद के भगवनजी या गुमनामी बाबा और नेताजी सुभाष चंद्र बोस में काफी समानताएं थीं।
- 1945 से पहले नेताजी से मिल चुके लोगों ने गुमनामी बाबा से मिलने के बाद माना था कि वही नेताजी थे। दोनों का चेहरा काफी मिलता-जुलता था।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि 23 जनवरी (नेताजी का जन्मदिन) और दुर्गा-पूजा के दिन कुछ फ्रीडम फाइटर, आजाद हिंद फौज के कुछ मेंबर्स और पॉलिटिशियन गुमनामी बाबा से मिलने आते थे।


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 16 Mar 2016  Dainik Jagran 

लखनऊ। गुमनामी बाबा उर्फ भगवन जी उर्फ साधु उर्फ अनाम संत जैसे नामों से वर्षों तक गुमनामी की जिंदगी जीने वाले गुमनामी बाबा को अपनी पहचाने छिपाने के लिए लगातार ठिकाना बदलना पड़ा। मुखर्जी आयोग के बक्से से मिले सबूत बताते हैं कि उन्होंने पहला पड़ाव नेपाल सीमा पर किसी गांव में बनाया। संभवत: यह गांव शोलापुरी था। फिर नैमिषारण्य, जो सीतापुर जिले में है। वहां से बस्ती जिले के एक गांव चले गए। अगला पड़ाव अयोध्या का लखनउवा मंदिर और अंतिम पड़ाव फैजाबाद के सिविल लाइंस स्थित राम भवन में रहा। उन्होंने सदैव अपने चेहरे को भी छिपाया।
आज फैजाबाद कोषागार के डबल लॉक से निकाले गए सबूतों में रोलेक्स रिस्ट वाच, ओमेगा रिस्ट वाच व आकर्षित करने वाली कोरोनोमीटर है। यह लाकेट घड़ी उसी तरह है जैसी गांधी जी कमर में लटकाते थे। पत्र तो बेशुमार हैं। सभी पत्र एक ही तरफ इशारा करते हैं। आजाद हिंद सेना के प्रमुख रहे पवित्र मोहन राय का पत्र गुमनामी बाबा की कुंडली के बारे में बताता है। कुंडली कहती है कि 1944-45 में कोई दुर्घटना नहीं हुई है। ज्योतिषी ने जैसा बताया था, 1945 के बाद वही हो रहा है। 1955-60 में बड़े रोग से आक्रांत होना बताया, धर्मशाला में आप बीमार पड़े। इसी पत्र में संतोष, दुलाल, विजय व बाबू सुकृत का भी उल्लेख है। आशंका है कि ये गुमनामी बाबा से गुपचुप जुड़े थे। 14 जुलाई 77 को भेजा गया बांग्ला भाषा का पत्र है, जिसमें पवित्र मोहन राय ने सपने के सहारे सोच को बयां किया है। लिखा है कि 19 जुलाई को पहुंचा, आपने कुछ विशिष्ट लोगों की जानकारी चाही है। आगे सपने का जिक्र कर बताया गया है कि समय 1930 का वर्ष का है, पितृ देव का कर्मस्थल मैमन ङ्क्षसह, जिला टांगा का कोई गांव है, जहां काली जी मूर्ति की स्थापना गयी। देखा रास्ते में सतगुरु चले आ रहे हैं, गेरुआ वस्त्र पहने हैं, महराज पूर्वी पाकिस्तान के हैं, भारत में रहने लगे हैं। आपके अखंड भारत का स्वप्न को जानकर उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान में ही रह कर काम करने की इच्छा जताई है। बासंती देवी ने आपका समाचार जानने के बारे में कहा है।
आनंद बाजार पत्रिका के 25 सितंबर 1974 से 22 सितंबर 1974 के अंक मिले हैं। आर्टिकिल लेखक वरुण सेन गुप्त का आर्टिकिल ध्यान खींचता है। क्या ताइहाकू विमान दुर्घटना सजाई हुई दुर्घटना थी। लेखक ने खोसला कमीशन में वकीलों की दलीलों को झूठा साबित किया है। यह भी सिद्ध किया है कि वह भविष्य में इसका प्रमाण भी प्रस्तुत कर सकता है। लेखक ने आजाद हिंद फौज की महिला खुफिया शाखा की मुखिया लीला राय के हवाले से उल्लेख किया है कि उन्होंने क्या मृत्यु के पूर्व नेता जी का बयान लिया था। कुछ लोग मानते हैं कि नेता जी जीवित हैं। लीला राय कुछ चुने हुए लोगों को लेकर नेपाल सीमांत नैमिषारण्य में एक साधु के पास ले गयीं। लीला राय ने साधु की वाणी मासिक पत्रिका में कई माह तक छापी थीं। महामानव या साधु ही नेता जी थे, यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। शालमारी गांव में साधु को लेकर काफी शोर-गुल हुआ था कि नेता जी जीवित हैं, साधु ही नेता जी हैं। इसी के बाद वह शालमारी आश्रम छोड़ कर चले जाते हैं। कुछ समय बाद ढाका के अध्यापक अतुल सेन नैमिषारण्य आते हैं। वह साधु को देखकर अवाक रह जाते हैं। उन्होंने नेहरू का पत्र लिखा। नेहरू टरकाते रहे। पवित्र मोहन राय का कहना था कि लीला राय ने नेता जी को करीब से देखा था।
213 सुबूतों की गिनती बाकी
गुमनामी बाबा से जुड़ी वस्तुओं की गणना अब अंतिम पड़ाव पर है। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय राम कथा संग्रहालय के निदेशक योगेश कुमार, विथिक सहायक मानस तिवारी, कलेक्ट्रेट के प्रशासनिक अधिकारी सतवंत सिंह सेठी, आमंत्रित सदस्य शक्ति सिंह की मौजूदगी में 205 सबूतों की गिनती की गयी। मुखर्जी आयोग के इस बक्से से अभी तक 918 सबूतों की गिनती की जा चुकी है, बचे 211 सुबूतों की गिनती गुरुवार का पूरा होने का अनुमान है।


                                     बोस के बारे में कुछ और जानने के लिए नीचे  क्लिक करें  - RAMESH KHOLA

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी 

Haryana JBT scam 2010

18 August 2013

RTI on Sardar Bhagat Singh

27 July 2013

Scams


जीप घोटाला (1948),
साइकिल आयात घोटाला(1951),
मुंध्रा मैस (1957-58),
तेजा लोन (1960),
पटनायक मामला (1965).
नागरावाला घोटाला (1971),
मारूति घोटाला (1976),

ऑयल डील (1976),
अंतुले ट्रस्ट (1981),

अनंतनाग ट्रांसपोर्टसब्सिडी स्कैम (1986),
चुरहट लॉटरी स्कैम, बोफोर्स
घोटाला (1986),

एचडीडब्ल्यू सबमरीन घोटाला (1987),
बिटुमेन घोटाला (1989),

तांसी भूमि घोटाला (1989),
सेंट किट्स केस (1989), 
एयरबस स्कैंडल (1990),
इंडियन बैंक घोटाला (1992),
हर्षद मेहता घोटाला (1992),
 सिक्योरिटी स्कैम (1992),
जैन (हवाला) डायरी कांड (1993),
चीनीआयात (1994),

बैंगलोर-मैसूर इंफ्रास्ट्रक्चर (1995), 
जेएमएम संासद घूसकांड (1995),
यूरियाघोटाला (1996), 

संचार घोटाला (1996), 
चारा घोटाला (1996),
लखुभाई पाठक पेपर स्कैम (1996),
तेलगी स्टाम्प स्कैंडल (2003),
कैश फॉर वोट स्कैंडल (2008), 

सत्यम घोटाला (2008),
मधुकोड़ा मामला (2008),
आदर्श सोसाइटी मामला (2010),

कॉमनवेल्थ घोटाला (2010), 
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला(2010),
नेशनल रूरल हे़ल्थ मिशन घोटाला (2011), 

एयर इंडिया एंड इंडियन एयरलाइन्स घोटाला (2011), 
कावेरी बेसिन डी ब्लाक घोटाला (2011), 
एंट्रिक्स देवास घोटाला (2011),
पावर प्रोजेक्ट घोटाला (2012), 

इंदिरा गाँधीएअरपोर्ट घोटाला (2012),
कोयला घोटाला (2012),
लौह अयस्क घोटाला (2012), 

हेलिकॉप्टर घोटाला (2012), 
मनरेगा घोटाला (2012), 
थोरियम घोटाला (2012)

Contact For Cheapest Food

17 July 2013

Selection Process - PTI

#NEWS - 9 April 2020
 सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में हाईकोर्ट के उस निर्णय को सही ठहराया है, जिसमें हाईकोर्ट ने इन पीटीआइ शिक्षकों की भर्ती को रद कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को एक तय समय में इन पदों पर नए सिरे से भर्ती करने का भी आदेश दिया है हाई कोर्ट की एकल बेंच ने 11 सितंबर 2012 को भर्ती रद करने का फैसला दिया था। इसके बाद 30 सितंबर 2013 को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी इस फैसले पर मुहर लगाई थी। इसके बाद प्रभावित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था  बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण व जस्टिस रविंद्रा भट की बेंच ने वीडियों कान्‍फ्रेंस के माध्यम से इस बहुचर्चित मामले में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पंजाब एवं हरियाण हाईकोर्ट द्वारा इन पीटीआइ शिक्षकों की‍ नियुक्ति को रद करने के फैसले को सही ठहराया। 

यह था हाई कोर्ट का आदेश
11 सितंबर 2012 को हाई कोर्ट के जस्टिस एजी मसीह ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल में भर्ती 1983 पीटीआइ शिक्षकों की नियुक्तियों को रद कर दिया था। कोर्ट ने इस मामले में दायर एक साथ 68 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया था। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 10 अप्रैल 2010 को फाइनल चयन सूची जारी कर ये नियुक्तियां की थीं। हाईकोर्ट ने कमीशन को निर्देश जारी किए थे कि नियमों के तहत नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करे और पांच महीने के अंदर इस भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि ये नियुक्तियां निर्धारित नियमों के तहत नहीं हुई हैं और इन्हें गैरकानूनी कहलाना गलत नहीं है हाईकोर्ट ने इस नियुक्ति प्रक्रिया में आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाया था। हाईकोर्ट ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान साक्षात्कार होल्ड करवाने वाले आयोग की सिलेक्शन कमेटी के सदस्यों द्वारा कार्यवाहियों में शामिल न होने से आयोग की नकारात्मक छवि को उजागर करता है।
हाईकोर्ट ने कहा कि दस्तावेज खुलासा के एक बिंदु से संकेत मिलता है कि ये नियुक्तियां आयोग के निर्धारित नियमों के तहत नहीं हुई है और इन्हें गैरकानूनी कहना गलत नहीं होगा। खंडपीठ ने इस मामले में कमीशन के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते यह तक कहा कि बहुसदस्य कमीशन होने के बाद भी कार्यप्रणाली से ऐसा लगता है कि यह सब एक व्यक्ति के कहने से चल रहा है। कोर्ट ने कमीशन के तत्‍कालीन चेयरमैन पर भी प्रतिकूल टिप्पणी की।

कैसे-कैसे उम्मीदवारों का चयन किया गया
चयनित कुछ उम्मीदवार तो ऐसे थे जिन्होने पीटीआई का डिप्लोमा पहले किया व दसवीं बाद में की। 
कुछ उम्मीदवारों ने चयन के बाद आवेदन फार्म भी जमा करवाया।
 कुछ के फार्म के साथ फीस जमा नही करवाई गई। 
कई दर्जन ऐसे उम्मीदवारों का चयन किया गया, जो योग्यता पूरी नहीं करते थे।
दर्जनों उम्मीदवार ऐसे है जो अमरावती या महाराष्ट्र से पीटीआई कोर्स पूरा कर आए थे,उनके प्रमाण पत्र में परिणाम घोषित करने की तिथि के साथ छेड़छाड़ की गई है
एक मामले में तो हैरानी करने वाली बात यह है कि चयनित एक उम्‍मीदवार का परिणाम पहले घोषित कर दिया और उसने फार्म बाद में जमा करवाया
एक चयनित उम्‍मीदवार दसवीं में फेल था। एक उम्‍मीदवार ने तो पीटीआइ का कोर्स 1995 में किया लेकिन दसवीं 1997 में की
भर्ती में रिजर्व श्रेणी के कई उम्‍मीदवारों का चयन सामान्य श्रेणी में किया गया हे।
यह भी आरोप था कि महिला के लिए रिजर्व सीट पर पुरूष उम्‍मीदवार का चयन किया गया।
इस बात का पूरा रिकार्ड डिवीजन बेंच ने तलब भी किया था और भर्ती पर हैरानी जताई थी। 

हाई कोर्ट ने अपील दायर करने पर एचएसएससी व हरियाणा सरकार को लगाया था जुर्माना
एकल बेंच के फैसले के खिलाफ हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) ने डिवीजन बेंच में अपील दायर की तो उसे खारिज करते हुए कड़ी टिप्‍पणी की थी। हाईकोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत पर आधारित डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि एकल बेंच ने जिन तथ्यों पर यह भर्ती रद्द की है उससे हम पूर्ण रूप से सहमत हैं और हमने पूरा रिकार्ड देखा है जिससे साबित होता है कि यह भर्ती में पूर्ण धांधली हुई है बेंच ने इस भर्ती में चयनित उम्मीदवारों के दस्तावेज जांचने में जल्दीबाजी व ओवर ऐज उम्मीदवारों के चयन पर भी सवाल उठाया था और हरियाणा सरकार को भर्तियों में भविष्य में भर्ती में सचेत रहने को कहा। बेंच ने इस मामले में एकल बेंच के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने पर स्टाफ सलेक्शन कमीशन को प्रत्येक अपील पर पचास हजार का जुर्माना, हरियाणा सरकार को प्रत्येक अपील पर दस हजार का जुर्माना व अपील करने वाले उम्मीदवार पर भी दस हजार रूपये जुर्माना लगाया था। अपील करने वाले उम्‍मीदवार ने एकल बैंच पर पक्ष न सुनने का आरोप लगाया था

भर्ती का घटनाक्रम
- 20 जुलाई 2006 को कर्मचारी चयन आयोग ने 1983 पीटीआई की भर्ती के आवेदन मांगे।
- 21 अगस्त तक आवेदन जमा करने थे, 21 जनवरी 2007 को लिखित परीक्षा का नोटिस।
- धांधली की शिकायतें मिलने की बात कहकर परीक्षा को खारिज कर दिया गया।
- फिर 20 जुलाई 2008 को परीक्षा तय की गई जिसे प्रशासनिक कारणों का हवाला
दे खारिज किया।
- इसके बाद पात्रता तय कर पदों से 8 गुणा उम्मीदवार सीधे इंटरव्यू के लिए
बुला लिए गए।
- 2 सितंबर 2008 से लेकर 17 अक्टूबर 2008 तक उम्मीदवारों के इंटरव्यू लिए गए।
- पहले इंटरव्यू के 25 अंक तय किए गए थे, वहीं इसे बाद में बदलकर 30 कर दिया गया।
- 10 अप्रैल 2010 को भर्ती का परिणाम घोषित किया गया। 1983 उम्मीदवारों को
नियुक्ति दी गई।
- 11 सितंबर 2012 को हाईकोर्ट की एकल बेंच ने भर्ती रद की।
- 30 सितंबर 2013 को हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने एकल बेंच के आदेश पर मुहर लगाई।
8 अप्रैल 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।
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17.07.2013

विजिटर्स के लिए सन्देश

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