rameshkhola

|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

Welcome board

Natural

welcome

आपका हार्दिक अभिनन्दन है

Search

01 November 2019

GK8

Home
सामान्य ज्ञान भाग -9 के लिए यहां क्लिक करें
~~~~~~~~~~~~~~~~~
सामान्य ज्ञान भाग -8 


भारतीय संविधान के विकास की सीढ़ियां -

✍🏻 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट
🎗 भारतीय संविधान के विकास की प्रक्रिया का प्रारंभिक चरण 21 जून 1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट के तहत माना जाता है यह अधिनियम तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ में स्वीकृत किया था
🎗इसके द्वारा कंपनी के शासन पर संसदीय नियंत्रण स्थापित किया गया
🎗बंगाल के गवर्नर को तीनों प्रसिडेन्सियो का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया
🎗 सन 1770 में फोर्ट विलियम में कोलकाता में एपैक्स न्यायलय के रुप में एक सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की गई
🎗बंगाल में प्रथम गवर्नर जनरल की स्थापना की गई
🎗एक कार्यकारी परिषद का निर्माण किया गया जिसमें चार सदस्य एवं गवर्नर जनरल अध्यक्ष होता है
🎗इसे बहुमत से कार्य करना था
🎗बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हैस्टिंग्स बने ,इन्होंने ही रेगुलेटिंग एक्ट पारित किया था
🎗 भारतीय प्रांतों के एकीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई

✍🏻 1781 का एक्ट ऑफ सेटलमेंट
🎗1773 का रेग्यूलेटिंग एक्ट की कमियों को दूर करने के उद्देश्य से एक्ट ऑफ सेटलमेंट 1781 पारित ✍🏻  1783 का फॉक्स इंडिया बिल➖
🎗 इस बिल को बर्क तथा फिलिप फ्रांसिस ने तैयार किया था
🎗 यह बिल हाउस ऑफ लॉर्डस में पारित नहीं हो पाया
🎗 इस कारण लार्ड नार्थ तथा फाक्स कि सरकार को 18 दिसंबर 1783 को त्यागपत्र देना पड़ा
🎗 यह पहला और अंतिम अवसर था इतिहास में जब कोई ब्रिटिश सरकार भारतीय मामले पर गिर गई थी ✍🏻 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट
🎗 इस अधिनियम का यह नाम तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री पीट के नाम पर रखा गया
🎗 इस एक्ट का उद्देश्य ब्रिटिश संसद द्वारा कंपनी पर अपने प्रभाव को अधिक मजबूत करना था
🎗एक्ट के द्वारा दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुआ
🎗 कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स-व्यापारिक व्यापारिक मामलों के लिए
🎗 बोर्ड ऑफ कंट्रोल- राजनीतिक मामलों के लिए
 www.rameshkhola.blogspot.in
✍🏻 1793 का चार्टर एक्ट
🎗 नियंत्रण मंडल के सदस्य व कर्मचारियों को वेतन भारतीय राजस्व से दिया जाने लगा
🎗 इस अधिनियम के तहत बंगाल में भू राजस्व की स्थाई बंदोबस्त प्रणाली का प्रारंभ किया गया

✍🏻 1813 का चार्टर अधिनियम
🎗इसके द्वारा कंपनी के अधिकार पत्र को 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया
🎗कंपनी के भारत के साथ व्यापार करने के एकाधिकार को छीन लिया गया
🎗किंतु उसे चीन के साथ व्यापार एवं पूर्वी देशो के साथ चाय के व्यापार के संबंध में 20 वर्षों के लिए एकाधिकार प्राप्त रहा
🎗कुछ सीमाओं के अधीन सभी ब्रिटिश नागरिकों के लिए भारत के साथ व्यापार खोल दिया गया
🎗 इस अधिनियम के तहत इसाई धर्म प्रचार को को भारत में इसाई धर्म प्रचार की अनुमति दी गई
🎗 इस अधिनियम के तहत एक लाख रुपए की धनराशि प्रतिवर्ष अलग से रखने का प्रावधान किया गया
🎗इस राशि का उपयोग भारतीय विद्वानों को प्रोत्साहन वह भारत में शिक्षा का प्रसार व पुनुरूत्थान के लिए किया जाना था

✍🏻 1833 का चार्टर अधिनियम
🎗इसके द्वारा कंपनी के व्यापारिक अधिकार पूर्णतः समाप्त कर दिए गए
🎗अब कंपनी का कार्य ब्रिटिश सरकार की ओर से केवल भारत का शासन करना रह गया
🎗बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल कहा जाने लगा
🎗 लार्ड विलियम बेंटिक भारत का प्रथम गवर्नर जनरल बना
🎗भारतीय कानूनों का वर्गीकरण किया गया
🎗इस कार्य के लिए मैकाले की अध्यक्षता में 1835 में पहले विधि आयोग की नियुक्ति की व्यवस्था की गई
🎗भारतीय कार्यकारणी में विधि सदस्य जोड़ा गया
🎗 गवर्नर जनरल की परिषद में एक कानूनी सदस्य को चौथे सदस्य के रुप में शामिल किया गया लार्ड मेकाले गवर्नर जनरल की परिषद में प्रथम विधि सदस्य बने
🎗पहले विधि सचिव लार्ड मेकालेथे
🎗 इस अधिनियम के तहत भारत में दासतांको अवैध घोषित किया गया
🎗 बोर्ड ऑफ कंट्रोल के प्रधान को भारतीय मामलों का मंत्री बनाया गया
🎗 गवर्नर जनरल द्वारा पारित सभी कानून अधिनियम कहे जाने लगे
 www.rameshkhola.blogspot.in
✍🏻 1853 का चार्टर एक्ट
🎗 किस अधिनियम के द्वारा सेवाओं में नामजदगी का सिद्धांत समाप्त कर कंपनी के महत्वपूर्ण पदों का प्रतियोगी परीक्षाओं के आधार पर बनने की व्यवस्था की गई
🎗 इस ऐक्ट में कार्यपालिका तथा विधायी शक्तियों को पहली बार अलग किया गया था संपूर्ण भारत के लिए पहली बार एक अलग विधान परिषद की स्थापना की गई थी
🎗 विधि सदस्य को गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी का पूर्ण सदस्य बना दिया गया
🎗 बंगाल प्रेसीडेंसी के लिए अलग से लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति की गई
🎗 प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए 1854 में लार्ड मेकाले की अध्यक्षतामें एक समिति बनाई गई
🎗 मंडलों की संख्या 24 से घटाकर 18 कर दी गई

✍🏻 1858 का भारत शासन अधिनियम
🎗 1857 की असफल क्रांति के पश्चात ब्रिटिश सरकार ने 1858 का अधिनियम पारित किया
🎗भारत का शासन कंपनी से लेकर ब्रिटिश क्राउन के हाथों में सौंपा गया
🎗भारत में मंत्रिपरिषद व्यवस्था की गई
🎗15 सदस्य की भारत परिषद का सृजन हुआ इसका अध्यक्ष भारत राज्य सचिव कहलाया
🎗 सर चार्ल्स वुड प्रथम भारतीय सचिव या भारत मंत्री बने
🎗भारतीय मामलों पर ब्रिटिश संसद का सीधा नियंत्रण स्थापित किया गया 🎗 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट द्वारा लागू दोहरी शासन प्रणाली को समाप्त कर दिया गया
🎗 भारत सचिन ब्रिटिश मंत्रीमंडल का सदस्य होता था वह ब्रिटिश संसद के प्रति उत्तरदायी था उसके वेतन और भत्ते भारत के राजस्व से दिए जाते थे यह वेतन व्यवस्था 1919 के अधिनियम तक जारी रही📚
 www.rameshkhola.blogspot.in
 🌹1858 की विक्टोरिया घोषणा🌹 ➖
🎗 गवर्नर जनरल को द वायस राय ऑफ इंडिया का पद नाम भी दिया गया एक ही व्यक्ति गवर्नर जनरल और वायसराय होता था ब्रिटिश शासन संभालता था तो गवर्नर जनरलऔर भारत के राजाओं के साथ बिटिश काम के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता तो वह वायसराय कहलाता था    
🎗1 नवंबर 1858 को इलाहाबाद में आयोजित दरबार में लॉर्ड कैनिंग ने ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया की उद्घोषणाको पढा इसके द्वारा भारत में कंपनी का शासन समाप्त हो भारत का शासन सीधे क्राउन के अधीन कर दिया गया
🎗 1858 के अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य-प्रशासनिक मशीनरी में सुधार लाना तथा इसके माध्यम से इंग्लैंड में भारतीय सरकार की देखरेख और उसका नियंत्रण करना

✍🏻 1861 का भारत परिषद अधिनियम
🎗 1857 की महान क्रांतिके बाद ब्रिटिश सरकार ने महसूस किया कि भारत में शासन चलाने के लिए भारतीय पर सहयोग आवश्यक है इस निति के तहत ब्रिटिश संसद ने 1861 1892 और 1909 मे अधिनियम पारितकिए इसमे 1861का भारतीय परिषद अधिनियम भारतीय संवैधानिक व राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अधिनियम बना
🎗 इस अधिनियम ने भारत में प्रतिनिधि संस्थाओं को जन्म दिया
🎗 इसके द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया में भारतीय प्रतिनिधियों को शामिल करने की शुरुआत की गई
🎗लार्ड केनिंग ने 1861 में 3 भारतीयों बनारस के राजा, महाराजा पटियाला और सर दिनकरराव को विधान परिषद में मनोनीत किया गया
🎗मुंबई व मद्रास प्रेसिडेंसी की विधायी शक्तियों को पुनः वापस कर विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई
🎗इस अधिनियम ने रेगुलेटिंग एक्ट 1773 द्वारा शुरू हुई केंद्रीकरण की प्रवृत्तिको बदल दिया
🎗 पोर्टफोलियोव्यवस्था को इसने वैधानिक मान्यता प्रदान की
🎗इसरे तहत  बंगाल,उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत और पंजाब में क्रमशः 1862 1866 और 1897 में विधान परिषद का गठन हुआ
🎗इसमें लार्ड केनिंग द्वारा 1859 में प्रारंभ की गई मंत्रालय प्रणाली को भी मान्यता दी
🎗इसने वायसराय को आपातकाल में बिना कौंसिल की संस्तुति के अध्यादेश जारी करने के लिए अधिकृत किया
🎗 वायसराय की कार्यकारिणी परिषद को इंपीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल कहा जाने लगा
🎗ऐसा अध्यादेश की अवधि मात्र 6 माह होती थी
🎗1882 में लार्ड रिपन ने स्थानीय स्वशासन आरंभ किया
 www.rameshkhola.blogspot.in
📚 🌹1892 का अधिनियम🌹➖
🎗 यह अधिनियम 1861 के अधिनियम का एक संसोधनात्मक विधेयक था
🎗 व्यवस्थापिका में प्रतिबंधित सीमित एवं अप्रत्यक्ष रुप से निर्वाचित सदस्यों सदस्यों का प्रावधान किया गया
🎗 इस अधिनियम का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु निर्वाचन पद्धति प्रारंभ करना था
🎗 इस अधिनियम के द्वारा सदस्य को व्यवस्थापिकाओ में बजट पर विचार विमर्श करने,प्रश्न पूछने का अधिकार दिया गया
🎗 इस अधिनियम को संसदीय व्यवस्था का प्रारंभ कहा जा सकता है
🎗 अधिनियम के तहत कौन्सीलों मे तीन प्रकार के सदस्यकी व्यवस्था की गई

✍🏻 1909 का अधिनियम
🎗 यह अधिनियम भारत सचिव मार्ले तथा गवर्नर जनरल मिण्टो द्वारा तैयार किया गया था
🎗 1906 लॉर्ड मिंटो ने सर ए.एरूण्डेल की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त कर उस समिति के आधार पर मार्ले मिंटो सुधार अधिनियम पारित किया
🎗 इसलिए इस अधिनियम को मार्ले -मिंटो सुधार अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है
🎗 केंद्रीय तथा प्रांतों की व्यवस्थापिकाओ की सदस्य संख्या बढ़ा दी गई
🎗 पहली बार जाति वर्ग धर्मके आधार पर अलग निर्वाचन क्षेत्र बनाने का प्रावधान रखा गया
🎗 इस अधिनियम द्वारा सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणालीकी स्थापना की गई
🎗 मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र बनाए गए
🎗 इस अधिनियम के कारण लॉर्ड मिंटो को सांप्रदायिक निर्वाचक मंडल के जनक के रूप में जाना गया
🎗इसके अलावा प्रेसीडेंसी कारपोरेशन यूनिवर्सिटी चेंबर ऑफ कॉमर्स तथा जमीदारों के लिए भी अलग प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की गई
🎗 व्यवस्थापिका सदस्य को पूर्ण प्रश्न पूछने का भी अधिकार दिया गया
🎗 पहली बार किसी भारतीय को वायसराय और गवर्नर की कार्यकारी परिषद में शामिल करने का प्रावधान किया गया      www.rameshkhola.blogspot.in
🎗 सत्येंद्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की कार्य पालिका परिषद के प्रथम भारतीय सदस्य बने इन्हें विधि सदस्य बनाया गया
🎗 पहली बार औपचारिक रुप से *विधानमंडल का सिद्धांत*1909 के अधिनियम में प्रस्तुत किया गया

🎗 1909अधिनियम की सबसे बड़ी विशेषता व दोष मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन मंडल और अलग मताधिकार था इसके कारण मुस्लिमों को दोहरे मताधिकार दिए गए
🎗 इस अधिनियम में निर्वाचन मंडलों को तीन भागों में बांटा 1सामान्य ,2वर्गीय और 3विशिष्ट वर्ग
🌹 1907 में भारत सचिव की भारत परिषद में दो भारतीयों सैयद हुसैन बिलग्रामी और के जी गुप्ता को नियुक्त किया गया *
🌹20 अगस्त 1916 को मोंटेग्यू द्वारा की गई घोषणा*
🌹
🎗 भारत के सचिव मोंटेग्यू ने 20 अगस्त को यह घोषणा की इस में पहली बार ब्रिटिश सरकार ने स्वीकार किया कि उसका उद्देश्य भारत में उत्तरदायी शासन प्रणाली की क्रमिक स्थापनाकरना है
🎗 ब्रिटिश सरकार ने पहली बार भारत के लिए उत्तरदायी शासन शब्दों का प्रयोग किया

✍🏻 भारत सरकार अधिनियम 1919
🎗 इस अधिनियम को मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है
🎗 मोंटेग्यू तत्कालीन भारत सचिव व चेम्सफोर्ड भारत के तत्कालीन वायसराय और गवर्नर जनरल थे
🎗 1919 के अधिनियम का तात्कालिक कारण वर्ष 1916 का होमरूल आंदोलन और मेसोपोटामिया कमीशन की रिपोर्टथी
🎗 20 अगस्त 1916 को ब्रिटिश सरकार ने पहली बार घोषित किया कि उसका उद्देश्य भारत में उत्तरदायी सरकार की स्थापना करना है
🎗 23 दिसंबर 1919 को भारत सरकार अधिनियम पारित किया गया
🎗 1919 के अधिनियम में द्धैध शासक का जनक लियोनीस कार्टिस था
🎗द्धैध शासन का सूत्रपात 1 अप्रैल 1921 को 8 प्रांतों बंगाल बिहार असम सहित प्रांत मध्य प्रांत पंजाब बंबई और मद्रास में हुआ यह शासन व्यवस्था वर्ष 1937तक चली
🎗 ली आयोग की सिफारिश पर 1926 में सिविल सेवकों की भर्ती के लिए केंद्रीय लोकसेवा आयोग का गठन किया गया          www.rameshkhola.blogspot.in
🎗 पहली बार केंद्रीय बजट को राज्य के बजट से अलग कर दिया गया
🎗 प्रांतीय विधान परिषद की सदस्य संख्या में वृद्धि की गई प्रांतों में अधिकतम 140 तथा छोटे प्रांतों में न्यूनतम 60 सदस्य रखने की व्यवस्था की गई
🎗 प्रांतीय सूची को दो भागों में विभाजित किया गया पहला- 1 हस्तांतरित विषय- हस्तांतरित विषयों में स्थानीय स्वशासन शिक्षा अस्पताल उद्योग तथा कृषि थे इसका प्रशासन गवर्नर अपनी भारतीय मंत्रियों की सहायता से करता था
🎗 दूसरा- आरक्षित विषय-जो विषय गवर्नर के प्रति उत्तरदायी कार्यकारिणी के सदस्य के पास रहे उन्हें आरक्षित विषय कहा इसका प्रशासन गवर्नर अपनी कार्यकारिणी के सदस्य के द्वारा करता था
🎗 1919 के अधिनियम को भारत के संवैधानिक इतिहास में प्रतिनिध्यात्म शासन के विकासका एक महत्वपूर्ण चरण माना गया है
🎗 इस अधिनियम द्वारा द्वारा प्रांतों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना का प्रयास किया गया
🎗 नरेश/नरेंद्र मंडल के गठन का निर्णय लिया गया
🎗इसकी स्थापना 8 फरवरी 1921 को दिल्लीमें की गई
🎗 नरेंद्र मंडल में 121 देश की राज्य सदस्य थे
🎗 मंडल का अध्यक्ष वायसराय था तथा प्रथम चांसलर बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह
🎗यह मंडल देशी राज्य की समस्याओं से सरकार को अवगत कराता था
🎗 भारत के सैनिक व सैनिक प्रशासन के लिए भारी मात्रा में साजो सामान की खरीद-फरोख्त हेतु लंदन में एक हाई कमिश्नरकी नियुक्ति की व्यवस्था की गई
🎗 प्रथम हाई कमिश्नर की नियुक्ति 1920 में की गई जो एक अंग्रेज था बाद के सभी हाई कमिश्नर भारतीय ही थे
🎗 इस अधिनियम मैं एक प्रस्तावनाभी ली गई थी
 www.rameshkhola.blogspot.in
🌹ब्रिटिश अधिनियमो के तहत हुए समझोते*🌹🇮🇳

🌹साइमन कमीशन🌹➖
🎗भारत सरकार अधिनियम 1919 में सुधारहेतु सुझाव देने के उद्देश्य से वायसराय लार्ड इरविन के समय में भारत सचिव बिर्किन हैडद्वारा जॉन साइमन की अध्यक्षता में 8 नवंबर 1927 को 7 सदस्य साइमन कमीशन की नियुक्ति की गई

🎗 साइमन कमीशन में सभी सदस्य अंग्रेज होने के कारण भारतीयों ने इसका बहिष्कार किया

🎗 मई 1930 में साइमन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में दोहरे शासन की समाप्ति मताधिकार का विस्तार करने आदि सिफारिशें की

🎗 इस आयोग में औपनिवेशिक दर्जे को उत्तरदायी सरकार की स्थापना को पूर्णतया नकार दिया था

🌹नेहरू रिपोर्ट🌹➖
🎗भारत सचिव लार्ड बिर्किन हैड द्वारा ब्रिटिश संसद में भारतीयों को एक सर्वसम्मत संविधान बनाने में अक्षम बताया गया

🎗इसे चुनौती  मानते हुए देश के सभी दलों ने सर्वसम्मति से मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में मई 1928 में मुंबई में नेहरू समिति का गठन किया

🎗नेहरू समिति ने अगस्त 1928 में एक सवेधानिक रिपोर्ट लखनऊ में आयोजित कर सर्वदलिय कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत की जिसे नेहरू रिपोर्टकहा गया

🎗इस रिपोर्ट में भारत के सविधान की रूपरेखा प्रस्तुत की गई जिसमें औपनिवेशिक शासन व्यवस्थाका प्रावधान था

🎗लेकिन दिसंबर 1928 में कलकत्तामें हुए सर्वदलीय सम्मेलन ने नेहरू रिपोर्ट को मंजूर नहीं किया
 www.rameshkhola.blogspot.in
🌹मैकडोनाल्ड का सामुदायिक पंचाट🌹➖
🎗 द्वितीय गोलमेज सम्मेलन की असफलता के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैकडोनाल्डका सांप्रदायिक समस्या के हल के अभाव में 16 अगस्त 1932को अपने निर्णय की घोषणा के द्वारा 11 समुदाय के लिए प्रथक निर्वाचन की व्यवस्था की गई

🎗 मैकडोनाल्ड के इस निर्णय से भारतीयों को सामाजिक व राजनीतिक आधार पर बॉटने का प्रयास किया गया

🌹पूना समझौता🌹➖
दलितों के लिए प्रथक निर्वाचन के निर्णय को समाप्त करने के संबंध में मदन मोहन मालवीय व अन्य नेताओं के प्रयासों से गांधी जी व बी आर अंबेडकर के मध्य 25 सितंबर 1932 को पूना समझोताहुआ

✍🏻 1935 का भारत सरकार अधिनियम➖
🎗 संवैधानिक सुधारों की श्रृंखला में यह ब्रिटिश शासन का अंतिम अधिनियम था
🎗 यह अधिनियम अपरिभाषित और अस्पष्ट अधिनियम था इस अधिनियम की कोई भूमिका लिखी हुई नहीं थी
🎗 इस अधिनियम में प्रस्तावना का अभाव था
🎗 यह अधिनियम 1932 में बनकर तैयार हुआ था यह एक श्वेत पत्रपर आधारित था
🎗 अधिनियम भारत में पूर्ण उत्तरदायी सरकार के गठन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थरसाबित हुआ
🎗 यह अधिनियम एक लंबा विस्तृत दस्तावेज था
🎗 सभी नियम में 451 धारा है और 15 परिशिष्टथे
🎗 इस अधिनियम में ब्रिटिश संसद की सर्वोच्चताथी इस अधिनियम में किसी भी प्रकार का परिवर्तन ब्रिटिश संसद के पास था
🎗 इस अधिनियम द्वारा सांप्रदायिक निर्वाचन पद्धतिका विस्तार किया गया इस का विस्तार आग्ल भारतीय, भारतीय,ईसाइयो, यूरोपियनों और हरिजनों के लिए भी किया गया
🎗 इसके द्वारा बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया और एक अलग संविधान का निर्माण किया गया
🎗 अदन को इंग्लैंड के औपनिवेशिक कार्यालय के अधीन कर दिया गया और बरार को मध्य प्रांतमें शामिल कर लिया गया           www.rameshkhola.blogspot.in
🎗 रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया तथा संघीय रेलवे प्राधिकरण की स्थापना की गई
🎗 उड़ीसा तथा सिंध प्रांत सृजित किए गए
🎗 1935 के अधिनियम द्वारा अखिल भारतीय संघ की व्यवस्था की गई इसका निर्माण 11 ब्रिटिश प्रांतों 6 चीफ कमिश्नर के क्षेत्रों और स्वेच्छा से शामिल होने वाली देशी रियासतों को मिलाकर किया जाना था
🎗 इस अधिनियम में संघ लोक सेवा आयोग की सिफारिश की गई
🎗 प्रांतीय स्वतंत्रता 1935 के अधिनियम की प्रमुख विशेषता  थाी इस अधिनियम का एकमात्र यही भाग ऐसा था जिसे क्रियान्वित  किया गया था
🎗 केंद्रीय और प्रांतीय विधान मंडलों में विस्तार करके केंद्र में उच्च सदन के सदस्य की संख्या 207 और निम्न सदन के सदस्य की संख्या 375 कर दी गई
🎗 11 गवर्नर वाले प्रांतों के विधानमंडल में से छ:विधानमंडल द्विसदनात्मक कर दिए गए थे सिर्फ पांच प्रांतों के विधानमंडल एक सदनात्मक से
🎗 प्रान्तीय विधान मंडल के उच्च सदन को विधान परिषद और निम्न सदन को विधानसभा कहतेहैं उत्तर पश्चिमी सीमा प्रांत जैसे छोटे प्रांतों की विधान सभा के सदस्य की अधिक अधिकतम संख्या 50 और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रांतों की अधिक अधिकतम संख्या 250 निश्चित की गई है
🎗 इस अधिनियम ने भारत परिषदको समाप्त को दिया गया
🎗 ब्रिटिश प्रांतों की संख्या 11 कर दी गई थी
🎗 पंडित जवाहरलाल नेहरू के अनुसार यह अधिनियम ऐसा इंजन था जिसके चारों ओर ब्रेक्स थे
🎗 पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे दास्तां के घोषणापत्र की संज्ञा दी
🎗 मदन मोहन मालवीय के अनुसार यदि अधिनियम हम पर थोपा गयाहै बाहर से यह कुछ जनतंत्र शासन व्यवस्था से मिलता-जुलता है परंतु भीतर से खोकलाहै
🎗प्रो. कूपलैण्ड ने1935 के अधिनियम को रचनात्मक राजनीतिक विचारकी एक महान सफलता बताया है
🎗 ब्रिटिश राजनीतिज्ञ एटली ने अधिनियम में आरक्षण व संरक्षण की व्यवस्था के कारण इसे अविश्वास का प्रतिक कहा है
 www.rameshkhola.blogspot.in
✍🏻 भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम1947➖
🎗 3 जून 1947 को प्रस्तुत की गई माउंटबेटन योजनाके आधार पर बिटिश संसद ने 4/5 जुलाई 1947को भारत स्वतंत्रता अधिनियम पारित कर दिया
🎗 18 जुलाई 1947 को सम्राट द्वारा अनुमति प्रदान कर दी गई और 15 अगस्त 1947को यह लागू कर दिया गया
🎗 इस अधिनियम  में 20 धाराएंथी
🎗 इस अधिनियम द्वारा देसी रियासतोंपर ब्रिटेन की सर्वोच्चता का अंत कर दिया गया उनको भारत या पाकिस्तान किसी भी अधिसत्ता में सम्मिलित होने और अपने पारिवारिक संबंधों का निश्चय करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई
🎗 जब तक संविधान सभा द्वारा नया संविधान बनकर तैयार नहीं हो जाता है तब तक 1935 भारतीय शासन अधिनियम ही जारी रहेगा
🎗 15 अगस्त 1945 से 2 डोमिनियन राज्य भारत और पाकिस्तानकी स्थापना की गई
🎗 दोनों डोमिनियन राज्य की सीमा सीमा आयोग द्वारा निर्धारित की जाएगी
🎗 राज्य की सीमा निर्धारण के लिए दो सीमा आयोग गठित किए गए हैं जिनके अध्यक्ष सर सिरिल रैडक्लिफ है
🎗 2,9 राज्य के लिए वायसराय के पद को समाप्त कर दिया गया है और दोनों राज्य के लिए ब्रिटिश सरकार प्रथक प्रथक और यदि दोनों सहमत हो तो सयुक्त गवर्नर जनरल नियुक्त किया गये
🎗 दोनों राज्य अपनी अपनी संविधान सभा में अपने देश के लिए संविधान का निर्माण कर सकते हैं उन्हें ब्रिटिश कॉमनवेल्थ से प्रथक होने का अधिकार होगा
🎗 15 अगस्त 1947 के बाद ब्रिटिश सरकार दोनों राज्यों पर कोई भी नियंत्रण नहीं रखेगी
🎗 का राजा अब भारत का शासक नहीं होगा
🎗 15 अगस्त 1947 से पूर्व नियुक्त सिविल सेवकों की सेवाएं इसके बाद भी बनी रहेगी तथा वह सभी लाभ प्राप्त करने के अधिकारी होंगे जो उन्हें अभी तक प्राप्त है
🎗 15 अगस्त 1947 के बाद अब इन राज्य तथा उनके प्रांतों पर ब्रिटिश सरकार की पदवी से भारत सम्राट शब्द को हटा दिया गया इन नवीन  अधिराज्यों के साथ ब्रिटिश सरकार के संबंधों को संचालित करने का दायित्व औपनिवेशिक विभागको सौंप दिया गया               www.rameshkhola.blogspot.in
🎗 इस अधिनियम के अनुसार 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान और 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी प्राप्त हुई मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के और लार्ड माउंटबेटन भारत वर्ष के गवर्नर जनरल बने
🎗 इस अधिनियम में माउंटबेटन योजना को विधिक रुपप्रदान किया
🎗ब्रिटिश शासन को समाप्त करके भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की गई
🎗इस अधिनियम में राष्ट्रीय आंदोलन को स्वतंत्रता की परिणति तक पहुंचाया
🎗 अधिनियम का सबसे बड़ा दोष भारत को दो भागों में विभाजित करना था
🎗भारत को दो टुकड़ों में ही नहीं बांटा बल्कि कई रियासतों में भी विभाजितकर दिया गया
🎗 अधिनियम से देशी रियासतों के एकीकरण की समस्याबढ़ गई थी 🎗




प्रमुख अनुच्छेद.
अनुच्छेद 1 :- संघ का नाम और राज्य क्षेत्र
अनुच्छेद 2 :- नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
अनुच्छेद 3 :- राज्य का निर्माण तथा सीमाओं या नामों मे
परिवर्तन              www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 4 :- पहली अनुसूचित व चौथी अनुसूची के संशोधन तथा
दो और तीन के अधिन बनाई गई विधियां
अच्नुछेद 5 :- संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
अनुच्छेद 6 :- भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता
अनुच्छेद 7 :-पाकिस्तान जाने वालों को नागरिकता
अनुच्छेद 8 :- भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों का नागरिकता
अनुच्छेद 9 :- विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर भारत का
नागरिक ना होना
अनुच्छेद 10 :- नागरिकता के अधिकारों का बना रहना
अनुच्छेद 11 :- संसद द्वारा नागरिकता के लिए कानून का विनियमन
अनुच्छेद 12 :- राज्य की परिभाषा
अनुच्छेद 13 :- मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां
अनुच्छेद 14 :- विधि के समक्ष समानता
अनुच्छेद 15 :- धर्म जाति लिंग पर भेद का प्रतिशेध
अनुच्छेद 16 :- लोक नियोजन में अवसर की समानता
अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अंत              www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 18 :- उपाधीयों का अंत
अनुच्छेद 19 :- वाक् की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 20 :- अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण
अनुच्छेद 21 :-प्राण और दैहिक स्वतंत्रता
अनुच्छेद 21 क :- 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार
अनुच्छेद 22 :- कुछ दशाओं में गिरफ्तारी से सरंक्षण
अनुच्छेद 23 :- मानव के दुर्व्यापार और बाल आश्रम
अनुच्छेद 24 :- कारखानों में बालक का नियोजन का प्रतिशत
अनुच्छेद 25 :- धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 26 :-धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 29 :- अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
अनुच्छेद 30 :- शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने
का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार
अनुच्छेद 32 :- अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उपचार
अनुच्छेद 36 :- परिभाषा              www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 40 :- ग्राम पंचायतों का संगठन
अनुच्छेद 48 :- कृषि और पशुपालन संगठन
अनुच्छेद 48क :- पर्यावरण वन तथा वन्य जीवों की रक्षा
अनुच्छेद 49:- राष्ट्रीय स्मारक स्थानों और वस्तुओं का संरक्षण
अनुछेद. 50 :- कार्यपालिका से न्यायपालिका का प्रथक्करण
अनुच्छेद 51 :- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा
अनुच्छेद 51क :- मूल कर्तव्य
अनुच्छेद 52 :- भारत का राष्ट्रपति
अनुच्छेद 53 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति
अनुच्छेद 54 :- राष्ट्रपति का निर्वाचन
अनुच्छेद 55 :- राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीती
अनुच्छेद 56 :- राष्ट्रपति की पदावधि                  www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 57 :- पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता
अनुच्छेद 58 :- राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए आहर्ताए
अनुच्छेद 59 :- राष्ट्रपति पद के लिए शर्ते
अनुच्छेद 60 :- राष्ट्रपति की शपथ
अनुच्छेद 61 :- राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया
अनुच्छेद 62 :- राष्ट्रपति पद पर व्यक्ति को भरने के लिए निर्वाचन का समय और रीतियां
अनुच्छेद 63 :- भारत का उपराष्ट्रपति
अनुच्छेद 64 :- उपराष्ट्रपति का राज्यसभा का पदेन सभापति होना
अनुच्छेद 65 :- राष्ट्रपति के पद की रिक्त पर उप राष्ट्रपति के कार्य
अनुच्छेद 66 :- उप-राष्ट्रपति का निर्वाचन
अनुच्छेद 67 :- उपराष्ट्रपति की पदावधि                  www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 68 :- उप राष्ट्रपति के पद की रिक्त पद भरने के लिए निर्वाचन
अनुच्छेद69 :- उप राष्ट्रपति द्वारा शपथ
अनुच्छेद 70 :- अन्य आकस्मिकता में राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन
अनुच्छेद 71. :- राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधित
विषय
अनुच्छेद 72 :-क्षमादान की शक्ति
अनुच्छेद 73 :- संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
अनुच्छेद 74 :- राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद
अनुच्छेद 75 :- मंत्रियों के बारे में उपबंध
अनुच्छेद 76 :- भारत का महान्यायवादी
अनुच्छेद 77 :- भारत सरकार के कार्य का संचालन
अनुच्छेद 78 :- राष्ट्रपति को जानकारी देने के प्रधानमंत्री के
कर्तव्य          www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 79 :- संसद का गठन
अनुच्छेद 80 :- राज्य सभा की सरंचना
अनुच्छेद 81 :- लोकसभा की संरचना
अनुच्छेद 83 :- संसद के सदनो की अवधि
अनुच्छेद 84 :-संसद के सदस्यों के लिए अहर्ता
अनुच्छेद 85 :- संसद का सत्र सत्रावसान और विघटन
अनुच्छेद 87 :- राष्ट्रपति का विशेष अभी भाषण
अनुच्छेद 88 :- सदनों के बारे में मंत्रियों और महानयायवादी
अधिकार
अनुच्छेद 89 :-राज्यसभा का सभापति और उपसभापति
अनुच्छेद 90 :- उपसभापति का पद रिक्त होना या पद हटाया
जाना              www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 91 :-सभापति के कर्तव्यों का पालन और शक्ति
अनुच्छेद 92 :- सभापति या उपसभापति को पद से हटाने का
संकल्प विचाराधीन हो तब उसका पीठासीन ना होना
अनुच्छेद 93 :- लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
अनुचित 94 :- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना
अनुच्छेद 95 :- अध्यक्ष में कर्तव्य एवं शक्तियां
अनुच्छेद 96 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष को पद से हटाने का संकल्प हो तब
उसका पीठासीन ना होना
अनुच्छेद 97 :- सभापति उपसभापति तथा अध्यक्ष,उपाध्यक्ष के
वेतन और भत्ते
अनुच्छेद 98 :- संसद का सविचालय
अनुच्छेद 99 :- सदस्य द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 100:- संसाधनों में मतदान रिक्तियां के होते हुए भी
सदनों के कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
अनुच्छेद 108 :- कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
अनुत्छेद 109 :- धन विधेयक के संबंध में विशेष प्रक्रिया
अनुच्छेद 110 :- धन विधायक की परिभाषा
अनुच्छेद 111 :- विधेयकों पर अनुमति
अनुच्छेद 112 :- वार्षिक वित्तीय विवरण
अनुच्छेद 118 :- प्रक्रिया के नियम                  www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 120 :- संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा
अनुच्छेद 123 :- संसद विश्रांति काल में राष्ट्रपति की अध्यादेश शक्ति
अनुच्छेद 124 :- उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन
अनुच्छेद 125 :- न्यायाधीशों का वेतन
अनुच्छेद 126 :- कार्य कार्य मुख्य न्याय मूर्ति की नियुक्ति
अनुच्छेद 127 :- तदर्थ न्यायमूर्तियों की नियुक्ति
अनुच्छेद 128 :- सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की उपस्थिति
अनुच्छेद 129 :- उच्चतम न्यायालय का अभिलेख नयायालय होना
अनुच्छेद 130 :- उच्चतम न्यायालय का स्थान
अनुच्छेद 131 :- उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता अनुच्छेद 137 :- निर्णय एवं आदेशों का पुनर्विलोकन
अनुच्छेद 143 :- उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की
राष्ट्रपति की शक्ति
अनुच्छेद144 :-सिविल एवं न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा
उच्चतम न्यायालय की सहायता                 www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 148 :- भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक
अनुच्छेद 149 :- नियंत्रक महालेखा परीक्षक के कर्तव्य शक्तियां अनुच्छेद 150 :- संघ के राज्यों के लेखन का प्रारूप
अनुच्छेद 153 :- राज्यों के राज्यपाल
अनुच्छेद 154 :- राज्य की कार्यपालिका शक्ति
अनुच्छेद 155 :- राज्यपाल की नियुक्ति
अनुच्छेद 156 :- राज्यपाल की पदावधि
अनुच्छेद 157 :- राज्यपाल नियुक्त होने की अर्हताएँ
अनुच्छेद 158 :- राज्यपाल के पद के लिए शर्तें
अनुच्छेद 159 :- राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 163 :- राज्यपाल को सलाह देने के लिए मंत्री परिषद
अनुच्छेद 164 :- मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध
अनुच्छेद 165 :- राज्य का महाधिवक्ता                   www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 166 :- राज्य सरकार का संचालन
अनुच्छेद 167 :- राज्यपाल को जानकारी देने के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य
अनुच्छेद 168 :- राज्य के विधान मंडल का गठन
अनुच्छेद 170 :- विधानसभाओं की संरचना
अनुच्छेद 171 :- विधान परिषद की संरचना
अनुच्छेद 172 :- राज्यों के विधानमंडल कि अवधी
अनुच्छेद 176 :- राज्यपाल का विशेष अभिभाषण
अनुच्छेद 177 सदनों के बारे में मंत्रियों और महाधिवक्ता के अधिकार
अनुच्छेद 178 :- विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
अनुच्छेद 179 :- अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना या
पद से हटाया जाना
अनुच्छेद 180 :- अध्यक्ष के पदों के कार्य व शक्ति
अनुच्छेद 181 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई
संकल्प पारित होने पर उसका पिठासिन ना होना
अनुच्छेद 182 :- विधान परिषद का सभापति और उपसभापति
अनुच्छेद 183 :- सभापति और उपासभापति का पद रिक्त होना
पद त्याग या पद से हटाया जाना
अनुच्छेद 184 :- सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन व शक्ति
अनुच्छेद 185 :- संभापति उपसभापति को पद से हटाए जाने का
संकल्प विचाराधीन होने पर उसका पीठासीन ना होना
अनुच्छेद 186 :- अध्यक्ष उपाध्यक्ष सभापति और उपसभापति
के वेतन और भत्ते                www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 187 :- राज्य के विधान मंडल का सविचाल.
अनुच्छेद 188 :- सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
अनुच्छेद 189 :- सदनों में मतदान रिक्तियां होते हुए भी साधनों का कार्य करने की शक्ति और गणपूर्ति
अनुच्छेद 199 :- धन विदेश की परिभाषा
अनुच्छेद 200 :- विधायकों पर अनुमति
अनुच्छेद 202 :- वार्षिक वित्तीय विवरण
अनुच्छेद 213 :- विधानमंडल में अध्यादेश सत्यापित करने के
राज्यपाल की शक्ति
अनुच्छेद 214 :- राज्यों के लिए उच्च न्यायालय
अनुच्छेद 215 :- उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय होना
अनुच्छेद 216 :- उच्च न्यायालय का गठन
अनुच्छेद 217 :- उच्च न्यायालय न्यायाधीश की नियुक्ति
पद्धति शर्तें
अनुच्छेद 221 :- न्यायाधीशों का वेतन
अनुच्छेद 222 :- एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में
न्यायाधीशों का अंतरण
अनुच्छेद 223 :- कार्यकारी मुख्य न्याय मूर्ति के नियुक्ति
अनुच्छेद 224 :- अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति
अनुच्छेद 226 :- कुछ रिट निकालने के लिए उच्च न्यायालय की शक्ति
अनुच्छेद 231 :- दो या अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना
अनुचित 233 :- जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति
अनुच्छेद 241 :- संघ राज्य क्षेत्र के लिए उच्च-न्यायालय अनुच्छेद 243 :- पंचायत नगर पालिकाएं एवं सहकारी समितियां                    www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 244 :- अनुसूचित क्षेत्रो व जनजाति क्षेत्रों का प्रशासन
अनुच्छेद 248 :- अवशिष्ट विधाई शक्तियां
अनुच्छेद 252 :- दो या अधिक राज्य के लिए सहमति से विधि बनाने की संसद की शक्ति
अनुच्छेद 254 :- संसद द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान मंडल द्वारा बनाए गए विधियों में असंगति
अनुच्छेद 256 :- राज्यों की और संघ की बाध्यता
अनुच्छेद 257 :- कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण
अनुच्छेद 262 :- अंतर्राज्यक नदियों या नदी दूनों के जल संबंधी
विवादों का न्याय निर्णय
अनुच्छेद 263 :- अंतर्राज्यीय विकास परिषद का गठन
अनुच्छेद 266 :- संचित निधी
अनुच्छेद 267 :- आकस्मिकता निधि
अनुच्छेद 269 :- संघ द्वारा उद्ग्रहित और संग्रहित किंतु राज्यों
को सौपे जाने वाले कर
अनुच्छेद 270 :- संघ द्वारा इकट्ठे किए कर संघ और राज्यों के
बीच वितरित किए जाने वाले कर
अनुच्छेद 280 :- वित्त आयोग                  www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 281 :- वित्त आयोग की सिफारिशे
अनुच्छेद 292 :- भारत सरकार द्वारा उधार लेना
अनुच्छेद 293 :- राज्य द्वारा उधार लेना
अनुच्छेद 300 क :- संपत्ति का अधिकार
अनुच्छेद 301 :- व्यापार वाणिज्य और समागम की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 309 :- राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों
अनुच्छेद 310 :- संघ या राज्य की सेवा करने वाले व्यक्तियों की पदावधि
अनुच्छेद 313 :- संक्रमण कालीन उपबंध
अनुच्छेद 315 :- संघ राज्य के लिए लोक सेवा आयोग
अनुच्छेद 316 :- सदस्यों की नियुक्ति एवं पदावधि
अनुच्छेद 317 :- लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य को हटाया
जाना या निलंबित किया जाना
अनुच्छेद 320 :- लोकसेवा आयोग के कृत्य
अनुच्छेद 323 क :- प्रशासनिक अधिकरण
अनुच्छेद 323 ख :- अन्य विषयों के लिए अधिकरण
अनुच्छेद 324 :- निर्वाचनो के अधिक्षण निर्देशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना
अनुच्छेद 329 :- निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालय के
हस्तक्षेप का वर्णन
अनुछेद 330 :- लोक सभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये स्थानो का आरणण
अनुच्छेद 331 :- लोक सभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का
प्रतिनिधित्व                  www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 332 :- राज्य के विधान सभा में अनुसूचित जाति और
अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों का आरक्षण
अनुच्छेद 333 :- राज्य की विधानसभा में आंग्ल भारतीय
समुदाय का प्रतिनिधित्व
अनुच्छेद 343 :- संघ की परिभाषा
अनुच्छेद 344 :- राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति
अनुच्छेद 350 क :- प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की
सुविधाएं
अनुच्छेद 351 :- हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश
अनुच्छेद 352 :- आपात की उदघोषणा का प्रभाव
अनुछेद 356 :- राज्य में संवैधानिक तंत्र के विफल हो जाने की
दशा में उपबंध
अनुच्छेद 360 :- वित्तीय आपात के बारे में उपबंध
अनुच्छेद 368 :- सविधान का संशोधन करने की संसद की
शक्ति और उसकी प्रक्रिया
अनुच्छेद 377 :- भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के बारे में
उपबंध                     www.rameshkhola.blogspot.in
अनुच्छेद 378 :- लोक सेवा आयोग के बारे में उपबंध
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सामान्य ज्ञान भाग -9 के लिए यहां क्लिक करें

No comments:

Post a Comment

आप, प्रतिक्रिया (Feedback) जरूर दे, ताकि कुछ कमी/गलती होने पर वांछित सुधार किया जा सके और पोस्ट की गयी सामग्री आपके लिए उपयोगी हो तो मुझे आपके लिए और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहन मिल सके :- आपका अपना साथी - रमेश खोला

विजिटर्स के लिए सन्देश

साथियो , यहां डाली गयी पोस्ट्स के बारे में प्रतिक्रिया जरूर करें , ताकि वांछित सुधार का मौका मिले : रमेश खोला

संपर्क करने का माध्यम

Name

Email *

Message *

Visit .....

Login

Login

Please fill the Details for Login



Forgot password?

Sign up

Sign Up

Please fill in this form to create an account.



By creating an account you agree to our Terms & Privacy.