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सामान्य ज्ञान भाग -9
वैदिक काल
वैदिक साहित्य
वैदिक साहित्य उस साहित्य को कहा जाता है जिसकी रचना वैदिक काल में हुई वैदिक साहित्य निम्न हैं -
ऋग्वेद
ऋग्वेद की भाषा पद्यात्मक है
ऋग्वेद में 10 मण्डल 1020 स्लोक 10600 मंत्र है ।
2 से 7 तक के मण्डल को प्रचीन माना जाता है।
9 वे मण्डल की रचना सोम देवता से सम्बन्धित मंत्रों के आधार पर हुई।
पहला तथा 10 वॅा मण्डल सबसे बाद में जोड़ा गया।
10 वे मण्डल में पुरुष सूक्त का वर्णन मिलता है । www.rameshkhola.blogspot.in
10 वे मण्डल में पुरुष सूक्त में विराट पुरुष द्वारा वर्णों की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है जिसके अनुसार विराट पुरुष के मुख से ब्राह्मणों की भुजाओं से क्षत्रीयो की उदर से वेश्य की तथा पैरों से शूद्रों की उत्पत्ति हुई।
गायत्री मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है।
असतो मा सद्गमय वाक्य भी ऋग्वेद से लिया गया है
यजुर्वेद
यजुर्वेद की रचना तीसरे वेद के रूप में हुई।
यजु का अर्थ होता है - यज्ञ।
यह एक मात्र ऐसा वेद है जो गद्य एवं पद्य दोनों में है
इस वेद में यज्ञों के नियम मंत्र तथा प्रार्थनाएं आदि हैं।
यजुर्वेद के दो भाग हैं ' शुक्ल यजुर्वेद ' एवं ' कृष्ण यजुर्वेद ' ।
सामवेद
सामवेद से ही भारतीय संगीत की उत्पत्ति मानी जाती है यह ग्रंथ भारतीय संगीत का जनक माना जाता है।
इसे गाने वाले को उद्गाव कहते हैं । www.rameshkhola.blogspot.in
सामवेद में 1000 संहिताएं थी वर्तमान में केवल तीन संहिताएं उपलब्ध है - कौथुम, राणारणीय एवं जैमिनीय। कौथुम संहिता अधिक प्रचलित है।
सामवेद में 1810 मंत्र है जिसमें से 75 को छोड़कर सभी ऋग्वेद से लिया गया है।
अथर्ववेद
यह चौथा वेद हैं ।
अथर्ववेद में तंत्र - मंत्र, भूत - प्रेत, वशीकरण, जादू टोने, धर्म एवं रोग निवारण आदि के मंत्र है
अथर्ववेद में 731 सूक्तों है, जिसमें लगभग 6000 मंत्र है
पहले के तीनों वेद का विभाजन मण्डल में है जबकि अथर्ववेद का विभाजन ' काण्डों में है
इस वेद का अधिकांश भाग जादूटोना पर आधारित है। इसमें भी गद्य एवं पद्य का प्रयोग किया गया है।
वेदों के उपवेद और उनके रचनाकार www.rameshkhola.blogspot.in
1. ऋग्वेद - आयुर्वेद ( चिकित्सा शास्त्र से संबंधित ) रचनाकार - ऋषि धनवन्तरि।
2. यजुर्वेद - धनुर्वेद ( युद्ध कला से संबंधित ) रचनाकार - विश्वामित्र।
3. सामवेद - गन्धर्वेद ( कला एवं संगीत से संबंधित ) रचनाकार- भरतमुनी।
4. अथर्ववेद - शिल्पवेद ( भवन निर्माण की कला से संबंधित ) रचनाकार - विश्वकर्मा।
ब्राह्मण ग्रंथ
वेदों को समझने के लिए ब्राह्मण ग्रंथ की रचना की गई। ब्राह्मण ग्रंथ वेदों के महत्वपूर्ण अंग है, प्रत्येक वेद के कुछ ब्राह्मण ग्रंथ है। इनकी रचना गद्य में की गई है। ब्राह्मण ग्रंथ इस प्रकार है -
ऋग्वेद - कौषितकि और ऐतरेय।
यजुर्वेद - तैतिरीय और शतपथ।
सामवेद - पंचविश, जैमिनीय और षड्विंश।
अथर्ववेद - गोपथ।
आरण्यक
आरण्यक ग्रंथ जंगल के शांत वातावरण में वनों के बीच में लिखे गए थे एवं उनका अध्ययन भी वनों में ही किया जाता था। आरण्यक शब्द 'अरण्य' से बना है जिसका अर्थ जंगल या वन होता है। ये दार्शनिक ग्रंथ कहलाते हैं। आरण्यक एवं उपनिषद् वेदों के अंतिम भाग कहलाते हैं इसलिए इन्हें ' वेदांत ' भी कहा जाता है।
उपनिषद
उपनिषद का अर्थ उस विद्या से है जो गुरु के समीप बैठकर सीखा जाता है। उपनिषदों की व्याख्या भारतीय दर्शन का आधार है। उपनिषद वैदिक साहित्य का अंतिम भाग हैं इसलिए इन्हें भी ' वेदांत ' कहा गया है। उपनिषदों की संख्या 108 है। www.rameshkhola.blogspot.in
वेदांग
वेदों का अर्थ समझने के लिए इनकी रचना साधारण संस्कृत भाषा में की गई। वेदांग को श्रुति भी कहा जाता है। इनकी संख्या 6 हैं।
( 1 ) - शिक्षा ,( 2 ) - कल्प , ( 3 ) - व्याकरण, (4 ) - निरुक्त, ( 5 ) - छन्द, ( 6 ) - ज्योतिष।
दर्शन एवं उनके प्रवर्तक
सांख्य दर्शन - कपिल मुनि
योग दर्शन - पतंजली
वैशेषिक - कणाद
न्याय दर्शन - गौतम
पूर्व मीमांसा - जैमिनी
उत्तर मीमांसा - बदरायण ( व्यास )
महापुराण
पुराणों की कुल संख्या 18 हैं। मत्स्य पुराण सर्वाधिक प्रचीन एवं प्रमाणिक पुराण है , इसमें विष्णु के दस अवतारों का वर्णन है।
महाकाव्य
महाभारत एवं रामायण दो महाकाव्य है। महाभारत की रचना महर्षि व्यास ने की थी। महाभारत का पुराना नाम जयसंहिता है।यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है। www.rameshkhola.blogspot.in
रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी, इस महाकाव्य को चतुर्विशति साहस्त्री संहिता भी कहा जाता है।
प्राचीन भारत
*वह काल जिस का लिखित विवरण उपलब्ध है उसे ऐतिहासिक काल एवं जिस काल का कोई लिखित विवरण उपलब्ध नही है उसे प्राग ऐतिहासिक काल कहते हैं|
*खनन से प्राप्त सामाग्री को पुरातत्व कहते है, तथा इसका अध्ययन करने वाले को पुरातत्वविद कहते हैं|
*कार्बन 14 की सहायता से भौतिक वेत्ता काल का निर्धारण करते हैं|
👑*यूनानियो ने भारत को इंडिया तथा मध्य कालीन मुस्लिम इतिहासकारो ने हिंद अथवा हिंदूस्तान कहा|
*प्राचीन इतिहास के विषय मे जानकारी धर्म ग्रंथ, ऐतिहासिक ग्रंथ, विदेशियो के विवरण एवं पुरातत्व साक्ष्य द्वारा प्राप्त होता है| www.rameshkhola.blogspot.in
*भारत का प्राचीनतम धर्म ग्रंथ वेद है, इस का संकलन करता वेद व्यास को माना जाता है|
*वेदो की संख्या 4 है- 1. ऋग्वेद, 2. यजुर्वेद, 3. सामवेद, 4. अथर्ववेद
*ऋग्वेद : ऋचाओ के क्रमबद्ध ज्ञान संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है | यह सबसे प्रचीन वेद है | इस की भाषा पद्यात्मक है | इस मे 10 मण्डल, 1028 सूक्त, तथा 10462 ऋचाएं है | विश्वा मित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के तीसरे मण्डल मे सूर्य देवता सवित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है |इस का नौवा मण्डल सोम देवता को समर्पित है |
👑ऋग्वेद मे सबसे बाद का मण्डल दसवां (पुरुष सुक्त) है | पुरुष सुक्त के अनुसार 4 वर्ण, ब्राम्हण ब्रम्हा के मुख से, क्षत्रिय भुजाओ से, वैश्य जंघाओ से, तथा शुद्र चरणो से उत्पन्न हुए |
👑ऋग्वेद मे पहले एवं दसवे मण्डल को बाद मे जोडा गया |ऋग्वेद मे सर्वाधिक पवित्र नदी सरस्वती को माना गया है | ऋग्वेद मे सर्वाधिक उल्लेख सिंधु नदी का है |
👑ऋग्वेद मे गंगा का उल्लेख एक बार तथा यमुना का उल्लेख तीन बार किया गया है |
👑ऋग्वेद मे वर्णीत सबसे महत्वपूर्ण देवता इंद्र है | ऋग्वेद मे इंद्र के लिये 250 एवं अग्नि के लिये 200 ऋचाओ की रचना की गयी है |
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👑*यजुर्वेद: यह मूलत: कर्मकाण्ड प्रधान ग्रंथ है | इस मे बलि के समय अनुपालन के लिये नियमो का उल्लेख है| इस वेद की रचना गद्य एवं पद्य दोनो मे की गयी है|
👑*सामवेद: यह गायी जा सकने वाली ऋचाओ का संग्रह है| इसे भारतीय संगीत का जनक माना जाता है|
👑*अथर्व वेद: अथर्वा ऋषि द्वारा रचित इस ग्रंथ मे ब्रम्ह ज्ञान औषधि प्रयोग, रोग निवारण, तंत्र-मंत्र,जादू-टोना आदि का वर्णन किया गया है| यह सबसे बाद का एवं सबसे बडा ग्रंथ है| इसमे मण्डलो की संख्या 20, सूक्तो की संख्या 731 एवं मंत्रो की संख्या 5839 है|
👑*वेदांगो की संख्या 6 है|
*भारतीय इतिहास का सबसे अच्छा विवरण पुराणो से मिलता है| पुराणो की संख्या 18 है| पुराणो मे मत्स्य पुराण सबसे प्राचीन एवं प्रमाणिक है| पुराणो की भाषा संस्कृत श्लोक है|
👑*स्मृतियो की संख्या 6 है| स्मृति ग्रंथो मे सबसे प्राचीन एवं प्रमाणिक मनु स्मृति मानी जाती है| यह शुंग काल का मानक ग्रंथ है|
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👑*नारद स्मृति गुप्त काल के विषय मे जानकारी प्रदान करता है|
*जातक मे बुद्ध के पुनर्जन्म की कथा का वर्णन है|
👑*हीन यान का प्रमुख ग्रंथ कथा वस्तु है, इसमे महत्मा बुद्ध का जीवन चरित्र वर्णित है|
*अर्थशास्त्र के लेखक चाणक्य (कौटिल्य या विष्णु गुप्त) है| इससे मौर्य कालीन इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है|
👑*संस्कृत सहित्य मे ऐतिहासिक घटनाओ को क्रम ब्रद्ध लिखने का सर्वप्रथम प्रयास कल्हण ने किया
👑*कल्हण द्वारा रचित पुस्तक राजतरंगिणी है, इसका सम्बंध कश्मीर के इतिहास से है|
👑*अरबो के सिंध विजय का वृतांत अली अहमद द्वारा रचित पंचनामा मे सुरक्षित है|
*अष्टाध्यायी नामक संस्कृत व्याकरण की पहली पुस्तक के लेखक पाणिनी है|
*काव्यायन की गार्गी संहिता एक ज्योतिष ग्रंथ है|
*पतंजलि पुष्य मित्र शुंग के पुरोहित थे, इनके महाकाव्य से शुंगो के इतिहास का पता चलता है
*टेसियस इरान का राज्य वैद्य था, इसका विवरण आश्चर्यजनक एवं अविश्वसनीय है|
👑*हेरोडोटस को इतिहास का पिता कहा जाता है, इसकी पुस्तक हिस्टोरिका मे भारत-फारस के सम्बंधो का वर्णन है|
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*सिकंदर के साथ आने वाले लेखको मे निर्याकस, आनेसिक्रटस, आस्टिबुलस प्रमुख है|
*मैगस्थनीज सेल्युकस निकेटर का राजदूत था, जो चंद्रगुप्त मौर्य के राज दरबार मे आया था, इसकी पुस्तक का नाम इण्डिका है, इसमे मौर्य कालीन इतिहास का वर्णन है|
*डाइमेकस बिंदुसार के राज दरबार मे आया था |
*डायोनिसियस अशोक के राजदरबार मे आया था |
*टाल्मी मे भारत का भूगोल नामक पुस्तक की रचना की |
*प्लिनी ने नेचुरल हिस्ट्री नामक पुस्तक की रचना की |
👑*फाह्यान एक चीनी यात्री था, यह गुप्त नरेश चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार मे आया था|
*हुएनसांग एक चीनी यात्री था जो हर्षवर्धन के शासन काल मे भारतीय राज्य कपिशा आया था |
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*यह नालंदा विश्व विद्यालय मे अध्ययन करने एवं बौद्ध ग्रंथो को एकत्र कर ले जाने के लिये आया था |
👑*इसके भ्रमण वृतांत “सी यू की” मे 138 देशो का विवरण है | इसके अध्ययन काल मे नालंदा विश्व विद्यालय के कुलपति आचार्य शील भद्र थे
👑*अलबरूनी गजनी के साथ भारत आया था | इसकी कृति ”किताब उल हिंद या तहकीक ए हिंद(भारत की खोज )” है |
*मार्कोपोलो 13 वी शताब्दी मे पण्ड्य देश की यात्रा पर आया |
*सर्वप्रथम हाथी गुफा अभिलेख मे भारत वर्ष का जिक्र आता है |
*प्राचीन सिक्को को आह्त सिक्के कहा जाता है |
*सर्वप्रथम सिक्को पर लेख लिखने का कार्य यवन शासको ने किया |
*समुद्र गुप्त की वीणा बजाती मुद्रा वाले सिक्के से उसके संगीत प्रेमी होने का प्रमाण मिलता है |
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पाषाण काल
*पृथ्वी पर सर्वप्रथम एक कोशिकीय जलीय जीवो का विकास हुआ |
*आधुनिक मानव को होमोसेपियंस कहते है, इसका विकास धरती पर लगभग 30 या 40 हजार साल पहले हुआ |
*वह काल जिस काल का कोई लिखित विवरण उपलब्ध नही है उसे “प्रागऐतिहासिक” काल कहते है |
👑*वह काल जिस काल के उपलब्ध लेख को पढ़ा नही जा सका है उसे “आद्य ऐतिहासिक काल” कहा जाता है |
*मानव विकास के उस काल को जिसका लिखित विवरण उपलब्ध है उसे इतिहास कहा जाता है |
*पुरापाषाण काल मे मानव की जीविका का मुख्य आधार शिकार था | इस काल को आखेट या खाद्य संग्रह काल भी कहते है |
*पुरापाषाण कालीन मानव का मुख्य भोजन कच्चा मांस व कंद मूल फल आदि था | इनका जीवन खाना बदोशी था |
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*आग की जानकारी मानव को पुरापाषाण काल मे ही थी, परंतु इसका प्रयोग नव पाषाण काल मे प्रारम्भ हुआ |
*मानव का प्रथम पालतू पशू कुत्ता था, इसे मध्य पाषाण काल मे पालतू बनाया गया |
👑*नव पाषाण काल मे पहिए एवं कृषि का आविष्कार हुआ |
* नव पाषाण काल का मानव पशु पालक बन गया तथा स्थायी निवास की प्रवृति विकसित हुई |
* नव पाषाण काल मे मिट्टी के बर्तन की कला का विकास हुआ |
* नव पाषाण काल के मानव का मुख्य भोजन दूध, दही, अनाज आदि था |
*मानव ने सर्वप्रथम तांबा धातु का प्रयोग किया |
* कृषि के लिये अपनायी जाने वाली प्राचीन फसल गेहू एवं जौ थी |
👑सिंधु घाटी की सभ्यता (2500 ई.पू. से 1750 ई.पू.) :👑
*सन 1921 ई. मे पुरातत्व विभाग के निदेशक सर जान मार्शल के नेतृत्व मे रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा नामक स्थान की खुदाई कर एक सभ्यता की खोज की |
* हड़प्पा के पश्चात 1922 ई. मे राखालदास बनर्जी ने मोहन जोदड़ो नामक स्थान की खोज की | ये दोनो ही सभ्यताए सिंधु एवं इसकी सहायक नदियो के उर्वर मैदान मे पली- बढ़ी इसी कारण इसे सिंधु घाटी की सभ्यता कहते है |
*भारत मे पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, प.उ.प्र., उ.राजस्थान, गुजरात आदि से इस सभ्यता के अवशेष मिले है |
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*कुछ विद्वान आर्य, कुछ विद्वान द्रविड़ तो कुछ विद्वान सुमेरियन को सिंधु सभ्यता के निर्माता मानते है |
👑*सिंधु सभ्यता से प्राप्त स्थलो मे 6 बड़े नगर हड़प्पा, मोहन जोदड़ो, गणवालीवाला, धौलावीरा, राखीगढ़ी, एवं काली बंगा मिले
*सर्वाधिक सैंधव स्थल गुजरात मे पाये गये है |
*लोथल एवं सुतकोदता सिंधु सभ्यता के बंदरगाह थे |
* मोहन जोदड़ो से नर्तकी की कास्य मूर्ति एवं अन्नागार प्राप्त हुआ है |
* मोहन जोदड़ो से प्राप्त स्नानागार के मध्य स्थित स्नान कुण्ड की लम्बाई 11.88 मी. , चौडाई 7.01 मी. , एवं गहराई 2.43 मी. है |
👑*लोथल तथा कालीबंगा से अग्निकुण्ड प्राप्त हुए है |
* हड़प्पा की मोहरो पर सबसे अधिक एक सिंघ वाले पशु का अंकन है |
*सिंधु सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक है | यह लिपि दाई से बाई ओर तथा अगली पंक्ति मे बाई से दाई ओर लिखी जाती है |
👑*सिंधु सभ्यता आद्य ऐतिहासिक एवं कास्य युगीन सभ्यता थी |
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*सिंधु सभ्यता नगरीय सभ्यता थी | नगर की गलिया एवं सडके सीधी थी, तथा एक दूसरे को समकोण पर काटती थी |
*सिंधु सभ्यता के आवास कच्चे तथा पक्के दोनो प्रकार के थे | घरो के दरवाजे मुख्य सडक पर न खुल कर पिछवाडे गली मे खुलते थे
* हड़प्पा एवं मोहन जोदड़ो मे 7 X 14 X 28 सेमी. की ईंटो की अधिकता है |
* मोहन जोदड़ो को मृतको का टीला कहा जाता है |
*काली बंगा का अर्थ काले रंग की चुडिया होता है
👑* हड़प्पा सभ्यता का समाज मातृ सत्तात्मक था | खेती तथा पशु पालन मुख्य व्यवसाय थे | गेहू तथा जौ मुख्य फसले थी
*चावल की खेती के साक्ष्य लोथल से प्राप्त हुए है |
*सैंधव निवासी शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनो प्रकार के भोजन ग्रहण करते थे | गेहू, जौ, दाल, दूध, दही, आदि मुख्य खाद्य पदार्थ थे |
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*सिंधु सभ्यता के लोग मनोरंजन के लिये नृत्य – संगीत , शिकार आदि का प्रयोग करते थे |
👑* हड़प्पा मे शवो को दफनाने, एवं मोहन जोदड़ो मे शवो को जलाने की प्रथा थी |
*सिंधु निवासी मृतको के साथ दैनिक उपयोग की सामाग्री भी रखते थे |
*बैल, भैस, बकरी, गाय, सूअर, गधे, कुत्ते, बिल्ली, ऊट, हाथी, आदि पालतू पशु थे |
*सिंधु वासी मातृ देवी की उपासना करते थे | पशुपति (शिव) के रूप मे देव पूजा, लिंग तथा योनि पूजा, वृक्ष पूजा, पशु पूजा, मूर्ती पूजा आदि सैंधव धर्म के अंग थे |
*पशुओ मे कूबड वाला सांड सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा पूजनीय था |
👑*सिंधु सभ्यता मे कांसा (तांबा तथा जस्ता का मिश्रण) का प्रयोग किया जाता था |
👑वैदिक सभ्यता (1500 ई.पू. से 600 ई.पू.) :👑
*आर्य वैदिक सभ्यता के निर्माता थे | मैक्समूलर ने आर्यो का मूल निवास स्थान “मध्य एशिया” को माना |
👑*आर्यो की भाषा संस्कृत थी |
👑*आर्यो का समाज पितृ प्रधान था |
*गार्गी, अपाला, घोषा, लोपामुद्रा, सिकता, एवं विश्वास जैसी विद्वान महिलाए इस काल मे थी |
*आर्यो का मुख्य व्यवसाय खेती तथा पशुपालन था | सर्वाधिक प्रिय पशु घोडा तथा प्रिय देवता इंद्र थे |
👑*वैदिक सभ्यता लौह युगीन सभ्यता थी, इस काल मे लोहे की खोज हुई |
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*अग्नि को मानव तथा देवताओ का मध्यस्थ माना जाता था |
👑*उत्तर वैदिक काल मे इंद्र के स्थान पर प्रजापति की पूजा होती थी |
👑*वैदिक सभ्यता ग्राम प्रधान थी, ये युद्ध प्रिय तथा प्रकृति के उपासक थे
*आर्य सोम रस का प्रयोग करते थे |
*वर्ण व्यवस्था सभ्यता का मूल आधार थी |
*सत्यमेव जयते मूण्डकोपनिषद से लिया गया है |
*उपनिषदो की कुल संख्या 108 , महापुराणो की संख्या 18 , तथा वेदांगो की संख्या 6 है |
*गायत्री मंत्र सवितृ नामक देवता को सम्बोधित है |
*रामायण तथा महाभारत दो महाकाव्य है | महाभारत का पूराना नाम “जय संहिता” है | यह विश्व का सबसे बडा महाकाव्य है |
*उत्तर वैदिक काल मे जादू- टोना, भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र का अधिक प्रचलन था |
👑👑जैन धर्म : 👑👑
*ई.पू. छठी शताब्दी विश्व इतिहास मे धार्मिक क्रांति का युग रहा |
*जैन धर्म भारत का प्राचीनतम धर्म है |
👑*जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर एवं संस्थापक ऋषभ देव थे |
*जैन धर्म मे कुल 24 तीर्थकर हुए, महावीर स्वामी 24 वे तीर्थकर थे |
👑*महावीर स्वामी को जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक माना जाता है |
*जैन धर्म मे कर्म से छूटकारा पाने के लिये त्रिरत्न का पालन अनिवार्य माना गया है | ये त्रिरत्न है – 1 सम्यक दर्शन, 2 सम्यक ज्ञान, 3 सम्यक आचरण |
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*महावीर ने पांच महा व्रतो का उपदेश दिया | ये पांच महाव्रत हैं- 1 सत्य, 2 अहिंसा, 3 अस्तेय, 4 अपरिग्रह, 5 ब्रम्हचर्य | शुरू के 4 महाव्रत 23 वे तीर्थकर पारश्व नाथ के है, अंतिम महाव्रत महावीर ने जोडा |
👑*जैन धर्म अनिश्वरवादी है |
👑*महावीर स्वामी का जन्म कुण्डग्राम (वैशाली) मे एक क्षत्रिय परिवार मे हुआ |
👑*इनका जन्म 540 ई.पू. एवं निर्वाण 468 ई.पू. पावापुरी हुआ |
👑*महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्द्धमान था | इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था
*30 वर्ष की आयु मे महावीर ने गृह त्याग किया, तथा 12 साल की कठिन तपस्या की बाद जम्भिय ग्राम के निकट ऋजुपालिका की सरिता के तट पर इन्हे ज्ञान की प्राप्ति हुई |
*इंद्रियो को जितने के कारण ये जिन तथा पराक्रमी होने के कारण महावीर कहलाये |
*72 वर्ष की आयु मे राजगृह के पास पावापुरी मे इन्हे निर्वाण की प्राप्ति हुई | राजगृह बिहार मे है |
*महावीर की मृत्यु के बाद जैन धर्म दो संप्रदायो मे बट गया |
*एक मत श्वेताम्बर कहलाया; जिसके समर्थक स्थूल भद्र हुए, ये श्वेत वस्त्र धारण करते थे, ये पारश्व नाथ के अनुयायी थे दूसरा मत दिगम्बर कहलाया जिसके समर्थक भद्र बाहु हुए, ये वस्त्र हीन रहते थे, ये महावीर के अनुयायी थे |
*महावीर पुनर्जन्म एवं कर्मवाद मे विश्वास करते थे |
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*महावीर ने अपना उपदेश प्राकृत (अर्धमाग्धी) भाषा मे दिया |
*ऋषभ देव तथा जैन धर्म का प्रतीक चिन्ह सांड है |
👑*महावीर का प्रतीक चिन्ह सिंह है
*महावीर का प्रथम अनुयायी उनका दामाद जामिल था |
*मल्लराजा सृप्तिपाल के राज प्रसाद मे महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ |
*जैन धर्म के प्रवर्तक राजाओ मे – उदयिन, चंद्रगुप्त मौर्य, कलिंग नरेश, चंदेल शासक एवं अमोष वर्ष थे |
*खजुराहो मे जैन मंदिरो का निर्माण चंदेल शासको ने किया |
*मौर्योत्तर युग मे मथुरा जैन धर्म का प्रसिद्ध केंद्र था |
👑*जैन तीर्थकरो की जीवनी भद्र बाहु द्वारा रचित कल्पसूत्र मे है |
👑*प्रथम जैन संगिति 300 ई.पू. पाटलिपुत्र मे स्थूल भद्र की अध्यक्षता मे हुई |
👑*द्वितिय जैन संगिति 6 वी शताब्दी मे बल्ल्भी (गुजरात) मे क्षमा श्रवण की अध्यक्षता मे हुई |
👑👑बौद्ध धर्म : 👑👑
👑*बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे | इन्हे एशिया का ज्योति पुंज कहते है |
👑*गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. मे कपिल वस्तु के निकट लुम्बिनी नामक ग्राम मे, तथा इनकी मृत्यु 483 ई.पू. मे 80 वर्ष की अवस्था मे कुशीनगर देवरिया उ.प्र. मे चुंद द्वारा अर्पित भोजन करने के पश्चात हो गयी
👑*इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था, पिता का नाम शुद्धोधन तथा माता का नाम महामाया था, इनकी पत्नी का नाम यशोधरा एवं पुत्र का नाम राहुल था |
👑*कपिल वस्तु की सैर पर इन्होने बूढ़ा व्यक्ति, बीमार व्यक्ति, शव तथा एक सन्यासी देखा |
*सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की आयु मे गृह त्याग किया जिसे महाभिनिष्क्रण कहा जाता है |
👑*6 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद 35 वर्ष की आयु मे वैशाख की पूर्णिमा की रात निरंजना (फाल्गु) नदी के तट पर उरूबेला नामक स्थान पर पीपल के वृक्ष नीचे इन्हे ज्ञान प्राप्त हुआ | यह स्थान बोध गया कहलाया |
👑*बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ ऋषिपत्तनम मे दिया | इस घटना को बौद्ध ग्रंथो मे “धर्म चक्र प्रवर्तन” कहा गया | बुद्ध ने अपना उपदेश पालि भाषा मे दिया |
*बुद्ध ने अपना सर्वाधिक उपदेश कोशल देश की राजधानी श्रावस्ती मे दिया |
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*बुद्ध के देहावसान की घटना को बौद्ध धर्म मे महापरिनिर्वाण कहा गया है |
👑*सम्राट अशोक एवं कनिष्क ने इसे राजकीय धर्म बनाया था |
👑*महापरिनिर्वाण के बाद बुद्ध के अस्थि अवशेषो को 8 भागो में विभक्त किया गया एवं मगध के शासक अजातशत्रु तथा इस क्षेत्र के गणराज्यों द्वारा स्तूप निर्माण कर इसे सुरक्षित रखा गया |
*बौद्ध धर्म के विषय मे विशद ज्ञान पालि त्रिपिटक से प्राप्त होता है
*बौद्ध धर्म अनिश्वरवादी है, इसमे पुनर्जन्म की मान्यता है |
👑*बौद्ध धर्म के दो अनुयायी समुदाय हैं, एक भिक्षुक दूसरा उपासक |
👑*बौद्ध धर्म के प्रचार के लिये सन्यास ग्रहण करने वाले को भिक्षुक, तथा गृहस्थ जीवन के साथ बौद्ध धर्म अपनाने वाले को उपासक कहा गया
👑*बौद्ध संघ मे सामिल होने की उम्र 15 वर्ष थी, एवं इस प्रक्रिया को उपसम्पदा कहा जाता था |
*बौद्ध धर्म के त्रिरत्न – बुद्ध, धम्म, एवं संघ हैं |
*चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्ध धर्म (कनिष्क के समय मे) दो भागों हीन यान एवम् महा यान मे विभक्त हो गया |
👑*हीन यान बौद्ध धर्म का मूल था, एवं महायान नवीन रूप है |
👑*महायान आत्मा, पुनर्जन्म,तर्थों एवं मूर्ति पूजा मे विश्वास करता है |
👑*धार्मिक जुलुस का प्रारम्भ सबसे पहले बौद्ध धर्म द्वारा किया गया |
👑*बौद्धों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार “वैशाख पूर्णिमा” है, इसे बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं | बुद्ध पूर्णिमा को ही बुद्ध का जन्म एवं मृत्यु हुई |
*बुद्ध ने चार आर्य सत्यों ,दु:ख, दु:ख समुदाय, दु:ख विशेष, तथा दु:ख निरोध गामिनी प्रतिपदा का उपदेश सांसारिक दु:खों के बारे में दिया
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*सांसारिक दु:खों से छुटकारा पाने के लिये बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग – सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाक, सम्यक कर्मांत, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति तथा सम्यक समाधि का उपदेश दिया |
*बौद्ध धर्म के अनुयायी शासकों मे – अशोक, कनिष्क, बिम्बिसार, प्रसेनजित, तथा उदयिन थे |
👑*सर्वाधिक बुद्ध मूर्तियों का निर्माण गांधार शैली मे महायान शाखा के अंतर्गत किया गया है |
*मूर्ति एवं शिल्प कला के क्षेत्र मे बौद्ध धर्म का योगदान रहा है |
👑*गुहा, मंदिर, स्तम्भ,एवं स्तूप बौद्ध धर्म की ही देन हैं |
*इस धर्म पर आधारित कथाओं के चित्रण मे अजंता, एलोरा, बाघ की गुफाएं आज भी विश्व मे कलात्मक सौंदर्य के लिये विख्यात हैं |
👑*सारनाथ, भरहुत, सांची, मथुरा, नासिक बौद्ध कला के प्रमुख केंद्र हैं |
👑*बुद्ध के जीवन से सम्बंधित प्ततीक - www.rameshkhola.blogspot.in
घटना ========== प्रतीक
जन्म===========कमल एवं साड़
गृह त्याग ===========घोड़ा
ज्ञान ========पीपल (बोधि वृक्ष)
निर्वाण ===========पद चिन्ह
मृत्यु=========== स्तूप
👑*बौद्ध संगीतियां –
संगीति समय स्थान अध्यक्ष् शासनकाल
👑प्रथम 483 ई.पू राजगृह महाकश्यप अजात शत्रु
👑द्वितीय 383 ई.पू. वैशाली सबाकामी कालाशोक
👑तृतीय 251ई.पू पाटलिपुत्र मोग्गलिपुत्ततिस्स अशोक
👑 चतुर्थ 1-10 ई. कुण्डलवन वसुमित्र/अश्वघोष कनिष्क
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सामान्य ज्ञान भाग -9
वैदिक काल
वैदिक साहित्य
वैदिक साहित्य उस साहित्य को कहा जाता है जिसकी रचना वैदिक काल में हुई वैदिक साहित्य निम्न हैं -
ऋग्वेद
ऋग्वेद की भाषा पद्यात्मक है
ऋग्वेद में 10 मण्डल 1020 स्लोक 10600 मंत्र है ।
2 से 7 तक के मण्डल को प्रचीन माना जाता है।
9 वे मण्डल की रचना सोम देवता से सम्बन्धित मंत्रों के आधार पर हुई।
पहला तथा 10 वॅा मण्डल सबसे बाद में जोड़ा गया।
10 वे मण्डल में पुरुष सूक्त का वर्णन मिलता है । www.rameshkhola.blogspot.in
10 वे मण्डल में पुरुष सूक्त में विराट पुरुष द्वारा वर्णों की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है जिसके अनुसार विराट पुरुष के मुख से ब्राह्मणों की भुजाओं से क्षत्रीयो की उदर से वेश्य की तथा पैरों से शूद्रों की उत्पत्ति हुई।
गायत्री मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है।
असतो मा सद्गमय वाक्य भी ऋग्वेद से लिया गया है
यजुर्वेद
यजुर्वेद की रचना तीसरे वेद के रूप में हुई।
यजु का अर्थ होता है - यज्ञ।
यह एक मात्र ऐसा वेद है जो गद्य एवं पद्य दोनों में है
इस वेद में यज्ञों के नियम मंत्र तथा प्रार्थनाएं आदि हैं।
यजुर्वेद के दो भाग हैं ' शुक्ल यजुर्वेद ' एवं ' कृष्ण यजुर्वेद ' ।
सामवेद
सामवेद से ही भारतीय संगीत की उत्पत्ति मानी जाती है यह ग्रंथ भारतीय संगीत का जनक माना जाता है।
इसे गाने वाले को उद्गाव कहते हैं । www.rameshkhola.blogspot.in
सामवेद में 1000 संहिताएं थी वर्तमान में केवल तीन संहिताएं उपलब्ध है - कौथुम, राणारणीय एवं जैमिनीय। कौथुम संहिता अधिक प्रचलित है।
सामवेद में 1810 मंत्र है जिसमें से 75 को छोड़कर सभी ऋग्वेद से लिया गया है।
अथर्ववेद
यह चौथा वेद हैं ।
अथर्ववेद में तंत्र - मंत्र, भूत - प्रेत, वशीकरण, जादू टोने, धर्म एवं रोग निवारण आदि के मंत्र है
अथर्ववेद में 731 सूक्तों है, जिसमें लगभग 6000 मंत्र है
पहले के तीनों वेद का विभाजन मण्डल में है जबकि अथर्ववेद का विभाजन ' काण्डों में है
इस वेद का अधिकांश भाग जादूटोना पर आधारित है। इसमें भी गद्य एवं पद्य का प्रयोग किया गया है।
वेदों के उपवेद और उनके रचनाकार www.rameshkhola.blogspot.in
1. ऋग्वेद - आयुर्वेद ( चिकित्सा शास्त्र से संबंधित ) रचनाकार - ऋषि धनवन्तरि।
2. यजुर्वेद - धनुर्वेद ( युद्ध कला से संबंधित ) रचनाकार - विश्वामित्र।
3. सामवेद - गन्धर्वेद ( कला एवं संगीत से संबंधित ) रचनाकार- भरतमुनी।
4. अथर्ववेद - शिल्पवेद ( भवन निर्माण की कला से संबंधित ) रचनाकार - विश्वकर्मा।
ब्राह्मण ग्रंथ
वेदों को समझने के लिए ब्राह्मण ग्रंथ की रचना की गई। ब्राह्मण ग्रंथ वेदों के महत्वपूर्ण अंग है, प्रत्येक वेद के कुछ ब्राह्मण ग्रंथ है। इनकी रचना गद्य में की गई है। ब्राह्मण ग्रंथ इस प्रकार है -
ऋग्वेद - कौषितकि और ऐतरेय।
यजुर्वेद - तैतिरीय और शतपथ।
सामवेद - पंचविश, जैमिनीय और षड्विंश।
अथर्ववेद - गोपथ।
आरण्यक
आरण्यक ग्रंथ जंगल के शांत वातावरण में वनों के बीच में लिखे गए थे एवं उनका अध्ययन भी वनों में ही किया जाता था। आरण्यक शब्द 'अरण्य' से बना है जिसका अर्थ जंगल या वन होता है। ये दार्शनिक ग्रंथ कहलाते हैं। आरण्यक एवं उपनिषद् वेदों के अंतिम भाग कहलाते हैं इसलिए इन्हें ' वेदांत ' भी कहा जाता है।
उपनिषद
उपनिषद का अर्थ उस विद्या से है जो गुरु के समीप बैठकर सीखा जाता है। उपनिषदों की व्याख्या भारतीय दर्शन का आधार है। उपनिषद वैदिक साहित्य का अंतिम भाग हैं इसलिए इन्हें भी ' वेदांत ' कहा गया है। उपनिषदों की संख्या 108 है। www.rameshkhola.blogspot.in
वेदांग
वेदों का अर्थ समझने के लिए इनकी रचना साधारण संस्कृत भाषा में की गई। वेदांग को श्रुति भी कहा जाता है। इनकी संख्या 6 हैं।
( 1 ) - शिक्षा ,( 2 ) - कल्प , ( 3 ) - व्याकरण, (4 ) - निरुक्त, ( 5 ) - छन्द, ( 6 ) - ज्योतिष।
दर्शन एवं उनके प्रवर्तक
सांख्य दर्शन - कपिल मुनि
योग दर्शन - पतंजली
वैशेषिक - कणाद
न्याय दर्शन - गौतम
पूर्व मीमांसा - जैमिनी
उत्तर मीमांसा - बदरायण ( व्यास )
महापुराण
पुराणों की कुल संख्या 18 हैं। मत्स्य पुराण सर्वाधिक प्रचीन एवं प्रमाणिक पुराण है , इसमें विष्णु के दस अवतारों का वर्णन है।
महाकाव्य
महाभारत एवं रामायण दो महाकाव्य है। महाभारत की रचना महर्षि व्यास ने की थी। महाभारत का पुराना नाम जयसंहिता है।यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है। www.rameshkhola.blogspot.in
रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी, इस महाकाव्य को चतुर्विशति साहस्त्री संहिता भी कहा जाता है।
प्राचीन भारत
*वह काल जिस का लिखित विवरण उपलब्ध है उसे ऐतिहासिक काल एवं जिस काल का कोई लिखित विवरण उपलब्ध नही है उसे प्राग ऐतिहासिक काल कहते हैं|
*खनन से प्राप्त सामाग्री को पुरातत्व कहते है, तथा इसका अध्ययन करने वाले को पुरातत्वविद कहते हैं|
*कार्बन 14 की सहायता से भौतिक वेत्ता काल का निर्धारण करते हैं|
👑*यूनानियो ने भारत को इंडिया तथा मध्य कालीन मुस्लिम इतिहासकारो ने हिंद अथवा हिंदूस्तान कहा|
*प्राचीन इतिहास के विषय मे जानकारी धर्म ग्रंथ, ऐतिहासिक ग्रंथ, विदेशियो के विवरण एवं पुरातत्व साक्ष्य द्वारा प्राप्त होता है| www.rameshkhola.blogspot.in
*भारत का प्राचीनतम धर्म ग्रंथ वेद है, इस का संकलन करता वेद व्यास को माना जाता है|
*वेदो की संख्या 4 है- 1. ऋग्वेद, 2. यजुर्वेद, 3. सामवेद, 4. अथर्ववेद
*ऋग्वेद : ऋचाओ के क्रमबद्ध ज्ञान संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है | यह सबसे प्रचीन वेद है | इस की भाषा पद्यात्मक है | इस मे 10 मण्डल, 1028 सूक्त, तथा 10462 ऋचाएं है | विश्वा मित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के तीसरे मण्डल मे सूर्य देवता सवित्री को समर्पित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र है |इस का नौवा मण्डल सोम देवता को समर्पित है |
👑ऋग्वेद मे सबसे बाद का मण्डल दसवां (पुरुष सुक्त) है | पुरुष सुक्त के अनुसार 4 वर्ण, ब्राम्हण ब्रम्हा के मुख से, क्षत्रिय भुजाओ से, वैश्य जंघाओ से, तथा शुद्र चरणो से उत्पन्न हुए |
👑ऋग्वेद मे पहले एवं दसवे मण्डल को बाद मे जोडा गया |ऋग्वेद मे सर्वाधिक पवित्र नदी सरस्वती को माना गया है | ऋग्वेद मे सर्वाधिक उल्लेख सिंधु नदी का है |
👑ऋग्वेद मे गंगा का उल्लेख एक बार तथा यमुना का उल्लेख तीन बार किया गया है |
👑ऋग्वेद मे वर्णीत सबसे महत्वपूर्ण देवता इंद्र है | ऋग्वेद मे इंद्र के लिये 250 एवं अग्नि के लिये 200 ऋचाओ की रचना की गयी है |
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👑*यजुर्वेद: यह मूलत: कर्मकाण्ड प्रधान ग्रंथ है | इस मे बलि के समय अनुपालन के लिये नियमो का उल्लेख है| इस वेद की रचना गद्य एवं पद्य दोनो मे की गयी है|
👑*सामवेद: यह गायी जा सकने वाली ऋचाओ का संग्रह है| इसे भारतीय संगीत का जनक माना जाता है|
👑*अथर्व वेद: अथर्वा ऋषि द्वारा रचित इस ग्रंथ मे ब्रम्ह ज्ञान औषधि प्रयोग, रोग निवारण, तंत्र-मंत्र,जादू-टोना आदि का वर्णन किया गया है| यह सबसे बाद का एवं सबसे बडा ग्रंथ है| इसमे मण्डलो की संख्या 20, सूक्तो की संख्या 731 एवं मंत्रो की संख्या 5839 है|
👑*वेदांगो की संख्या 6 है|
*भारतीय इतिहास का सबसे अच्छा विवरण पुराणो से मिलता है| पुराणो की संख्या 18 है| पुराणो मे मत्स्य पुराण सबसे प्राचीन एवं प्रमाणिक है| पुराणो की भाषा संस्कृत श्लोक है|
👑*स्मृतियो की संख्या 6 है| स्मृति ग्रंथो मे सबसे प्राचीन एवं प्रमाणिक मनु स्मृति मानी जाती है| यह शुंग काल का मानक ग्रंथ है|
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👑*नारद स्मृति गुप्त काल के विषय मे जानकारी प्रदान करता है|
*जातक मे बुद्ध के पुनर्जन्म की कथा का वर्णन है|
👑*हीन यान का प्रमुख ग्रंथ कथा वस्तु है, इसमे महत्मा बुद्ध का जीवन चरित्र वर्णित है|
*अर्थशास्त्र के लेखक चाणक्य (कौटिल्य या विष्णु गुप्त) है| इससे मौर्य कालीन इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है|
👑*संस्कृत सहित्य मे ऐतिहासिक घटनाओ को क्रम ब्रद्ध लिखने का सर्वप्रथम प्रयास कल्हण ने किया
👑*कल्हण द्वारा रचित पुस्तक राजतरंगिणी है, इसका सम्बंध कश्मीर के इतिहास से है|
👑*अरबो के सिंध विजय का वृतांत अली अहमद द्वारा रचित पंचनामा मे सुरक्षित है|
*अष्टाध्यायी नामक संस्कृत व्याकरण की पहली पुस्तक के लेखक पाणिनी है|
*काव्यायन की गार्गी संहिता एक ज्योतिष ग्रंथ है|
*पतंजलि पुष्य मित्र शुंग के पुरोहित थे, इनके महाकाव्य से शुंगो के इतिहास का पता चलता है
*टेसियस इरान का राज्य वैद्य था, इसका विवरण आश्चर्यजनक एवं अविश्वसनीय है|
👑*हेरोडोटस को इतिहास का पिता कहा जाता है, इसकी पुस्तक हिस्टोरिका मे भारत-फारस के सम्बंधो का वर्णन है|
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*सिकंदर के साथ आने वाले लेखको मे निर्याकस, आनेसिक्रटस, आस्टिबुलस प्रमुख है|
*मैगस्थनीज सेल्युकस निकेटर का राजदूत था, जो चंद्रगुप्त मौर्य के राज दरबार मे आया था, इसकी पुस्तक का नाम इण्डिका है, इसमे मौर्य कालीन इतिहास का वर्णन है|
*डाइमेकस बिंदुसार के राज दरबार मे आया था |
*डायोनिसियस अशोक के राजदरबार मे आया था |
*टाल्मी मे भारत का भूगोल नामक पुस्तक की रचना की |
*प्लिनी ने नेचुरल हिस्ट्री नामक पुस्तक की रचना की |
👑*फाह्यान एक चीनी यात्री था, यह गुप्त नरेश चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार मे आया था|
*हुएनसांग एक चीनी यात्री था जो हर्षवर्धन के शासन काल मे भारतीय राज्य कपिशा आया था |
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*यह नालंदा विश्व विद्यालय मे अध्ययन करने एवं बौद्ध ग्रंथो को एकत्र कर ले जाने के लिये आया था |
👑*इसके भ्रमण वृतांत “सी यू की” मे 138 देशो का विवरण है | इसके अध्ययन काल मे नालंदा विश्व विद्यालय के कुलपति आचार्य शील भद्र थे
👑*अलबरूनी गजनी के साथ भारत आया था | इसकी कृति ”किताब उल हिंद या तहकीक ए हिंद(भारत की खोज )” है |
*मार्कोपोलो 13 वी शताब्दी मे पण्ड्य देश की यात्रा पर आया |
*सर्वप्रथम हाथी गुफा अभिलेख मे भारत वर्ष का जिक्र आता है |
*प्राचीन सिक्को को आह्त सिक्के कहा जाता है |
*सर्वप्रथम सिक्को पर लेख लिखने का कार्य यवन शासको ने किया |
*समुद्र गुप्त की वीणा बजाती मुद्रा वाले सिक्के से उसके संगीत प्रेमी होने का प्रमाण मिलता है |
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पाषाण काल
*पृथ्वी पर सर्वप्रथम एक कोशिकीय जलीय जीवो का विकास हुआ |
*आधुनिक मानव को होमोसेपियंस कहते है, इसका विकास धरती पर लगभग 30 या 40 हजार साल पहले हुआ |
*वह काल जिस काल का कोई लिखित विवरण उपलब्ध नही है उसे “प्रागऐतिहासिक” काल कहते है |
👑*वह काल जिस काल के उपलब्ध लेख को पढ़ा नही जा सका है उसे “आद्य ऐतिहासिक काल” कहा जाता है |
*मानव विकास के उस काल को जिसका लिखित विवरण उपलब्ध है उसे इतिहास कहा जाता है |
*पुरापाषाण काल मे मानव की जीविका का मुख्य आधार शिकार था | इस काल को आखेट या खाद्य संग्रह काल भी कहते है |
*पुरापाषाण कालीन मानव का मुख्य भोजन कच्चा मांस व कंद मूल फल आदि था | इनका जीवन खाना बदोशी था |
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*आग की जानकारी मानव को पुरापाषाण काल मे ही थी, परंतु इसका प्रयोग नव पाषाण काल मे प्रारम्भ हुआ |
*मानव का प्रथम पालतू पशू कुत्ता था, इसे मध्य पाषाण काल मे पालतू बनाया गया |
👑*नव पाषाण काल मे पहिए एवं कृषि का आविष्कार हुआ |
* नव पाषाण काल का मानव पशु पालक बन गया तथा स्थायी निवास की प्रवृति विकसित हुई |
* नव पाषाण काल मे मिट्टी के बर्तन की कला का विकास हुआ |
* नव पाषाण काल के मानव का मुख्य भोजन दूध, दही, अनाज आदि था |
*मानव ने सर्वप्रथम तांबा धातु का प्रयोग किया |
* कृषि के लिये अपनायी जाने वाली प्राचीन फसल गेहू एवं जौ थी |
👑सिंधु घाटी की सभ्यता (2500 ई.पू. से 1750 ई.पू.) :👑
*सन 1921 ई. मे पुरातत्व विभाग के निदेशक सर जान मार्शल के नेतृत्व मे रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा नामक स्थान की खुदाई कर एक सभ्यता की खोज की |
* हड़प्पा के पश्चात 1922 ई. मे राखालदास बनर्जी ने मोहन जोदड़ो नामक स्थान की खोज की | ये दोनो ही सभ्यताए सिंधु एवं इसकी सहायक नदियो के उर्वर मैदान मे पली- बढ़ी इसी कारण इसे सिंधु घाटी की सभ्यता कहते है |
*भारत मे पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, प.उ.प्र., उ.राजस्थान, गुजरात आदि से इस सभ्यता के अवशेष मिले है |
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*कुछ विद्वान आर्य, कुछ विद्वान द्रविड़ तो कुछ विद्वान सुमेरियन को सिंधु सभ्यता के निर्माता मानते है |
👑*सिंधु सभ्यता से प्राप्त स्थलो मे 6 बड़े नगर हड़प्पा, मोहन जोदड़ो, गणवालीवाला, धौलावीरा, राखीगढ़ी, एवं काली बंगा मिले
*सर्वाधिक सैंधव स्थल गुजरात मे पाये गये है |
*लोथल एवं सुतकोदता सिंधु सभ्यता के बंदरगाह थे |
* मोहन जोदड़ो से नर्तकी की कास्य मूर्ति एवं अन्नागार प्राप्त हुआ है |
* मोहन जोदड़ो से प्राप्त स्नानागार के मध्य स्थित स्नान कुण्ड की लम्बाई 11.88 मी. , चौडाई 7.01 मी. , एवं गहराई 2.43 मी. है |
👑*लोथल तथा कालीबंगा से अग्निकुण्ड प्राप्त हुए है |
* हड़प्पा की मोहरो पर सबसे अधिक एक सिंघ वाले पशु का अंकन है |
*सिंधु सभ्यता की लिपि भाव चित्रात्मक है | यह लिपि दाई से बाई ओर तथा अगली पंक्ति मे बाई से दाई ओर लिखी जाती है |
👑*सिंधु सभ्यता आद्य ऐतिहासिक एवं कास्य युगीन सभ्यता थी |
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*सिंधु सभ्यता नगरीय सभ्यता थी | नगर की गलिया एवं सडके सीधी थी, तथा एक दूसरे को समकोण पर काटती थी |
*सिंधु सभ्यता के आवास कच्चे तथा पक्के दोनो प्रकार के थे | घरो के दरवाजे मुख्य सडक पर न खुल कर पिछवाडे गली मे खुलते थे
* हड़प्पा एवं मोहन जोदड़ो मे 7 X 14 X 28 सेमी. की ईंटो की अधिकता है |
* मोहन जोदड़ो को मृतको का टीला कहा जाता है |
*काली बंगा का अर्थ काले रंग की चुडिया होता है
👑* हड़प्पा सभ्यता का समाज मातृ सत्तात्मक था | खेती तथा पशु पालन मुख्य व्यवसाय थे | गेहू तथा जौ मुख्य फसले थी
*चावल की खेती के साक्ष्य लोथल से प्राप्त हुए है |
*सैंधव निवासी शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनो प्रकार के भोजन ग्रहण करते थे | गेहू, जौ, दाल, दूध, दही, आदि मुख्य खाद्य पदार्थ थे |
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*सिंधु सभ्यता के लोग मनोरंजन के लिये नृत्य – संगीत , शिकार आदि का प्रयोग करते थे |
👑* हड़प्पा मे शवो को दफनाने, एवं मोहन जोदड़ो मे शवो को जलाने की प्रथा थी |
*सिंधु निवासी मृतको के साथ दैनिक उपयोग की सामाग्री भी रखते थे |
*बैल, भैस, बकरी, गाय, सूअर, गधे, कुत्ते, बिल्ली, ऊट, हाथी, आदि पालतू पशु थे |
*सिंधु वासी मातृ देवी की उपासना करते थे | पशुपति (शिव) के रूप मे देव पूजा, लिंग तथा योनि पूजा, वृक्ष पूजा, पशु पूजा, मूर्ती पूजा आदि सैंधव धर्म के अंग थे |
*पशुओ मे कूबड वाला सांड सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथा पूजनीय था |
👑*सिंधु सभ्यता मे कांसा (तांबा तथा जस्ता का मिश्रण) का प्रयोग किया जाता था |
👑वैदिक सभ्यता (1500 ई.पू. से 600 ई.पू.) :👑
*आर्य वैदिक सभ्यता के निर्माता थे | मैक्समूलर ने आर्यो का मूल निवास स्थान “मध्य एशिया” को माना |
👑*आर्यो की भाषा संस्कृत थी |
👑*आर्यो का समाज पितृ प्रधान था |
*गार्गी, अपाला, घोषा, लोपामुद्रा, सिकता, एवं विश्वास जैसी विद्वान महिलाए इस काल मे थी |
*आर्यो का मुख्य व्यवसाय खेती तथा पशुपालन था | सर्वाधिक प्रिय पशु घोडा तथा प्रिय देवता इंद्र थे |
👑*वैदिक सभ्यता लौह युगीन सभ्यता थी, इस काल मे लोहे की खोज हुई |
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*अग्नि को मानव तथा देवताओ का मध्यस्थ माना जाता था |
👑*उत्तर वैदिक काल मे इंद्र के स्थान पर प्रजापति की पूजा होती थी |
👑*वैदिक सभ्यता ग्राम प्रधान थी, ये युद्ध प्रिय तथा प्रकृति के उपासक थे
*आर्य सोम रस का प्रयोग करते थे |
*वर्ण व्यवस्था सभ्यता का मूल आधार थी |
*सत्यमेव जयते मूण्डकोपनिषद से लिया गया है |
*उपनिषदो की कुल संख्या 108 , महापुराणो की संख्या 18 , तथा वेदांगो की संख्या 6 है |
*गायत्री मंत्र सवितृ नामक देवता को सम्बोधित है |
*रामायण तथा महाभारत दो महाकाव्य है | महाभारत का पूराना नाम “जय संहिता” है | यह विश्व का सबसे बडा महाकाव्य है |
*उत्तर वैदिक काल मे जादू- टोना, भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र का अधिक प्रचलन था |
👑👑जैन धर्म : 👑👑
*ई.पू. छठी शताब्दी विश्व इतिहास मे धार्मिक क्रांति का युग रहा |
*जैन धर्म भारत का प्राचीनतम धर्म है |
👑*जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर एवं संस्थापक ऋषभ देव थे |
*जैन धर्म मे कुल 24 तीर्थकर हुए, महावीर स्वामी 24 वे तीर्थकर थे |
👑*महावीर स्वामी को जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक माना जाता है |
*जैन धर्म मे कर्म से छूटकारा पाने के लिये त्रिरत्न का पालन अनिवार्य माना गया है | ये त्रिरत्न है – 1 सम्यक दर्शन, 2 सम्यक ज्ञान, 3 सम्यक आचरण |
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*महावीर ने पांच महा व्रतो का उपदेश दिया | ये पांच महाव्रत हैं- 1 सत्य, 2 अहिंसा, 3 अस्तेय, 4 अपरिग्रह, 5 ब्रम्हचर्य | शुरू के 4 महाव्रत 23 वे तीर्थकर पारश्व नाथ के है, अंतिम महाव्रत महावीर ने जोडा |
👑*जैन धर्म अनिश्वरवादी है |
👑*महावीर स्वामी का जन्म कुण्डग्राम (वैशाली) मे एक क्षत्रिय परिवार मे हुआ |
👑*इनका जन्म 540 ई.पू. एवं निर्वाण 468 ई.पू. पावापुरी हुआ |
👑*महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्द्धमान था | इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था
*30 वर्ष की आयु मे महावीर ने गृह त्याग किया, तथा 12 साल की कठिन तपस्या की बाद जम्भिय ग्राम के निकट ऋजुपालिका की सरिता के तट पर इन्हे ज्ञान की प्राप्ति हुई |
*इंद्रियो को जितने के कारण ये जिन तथा पराक्रमी होने के कारण महावीर कहलाये |
*72 वर्ष की आयु मे राजगृह के पास पावापुरी मे इन्हे निर्वाण की प्राप्ति हुई | राजगृह बिहार मे है |
*महावीर की मृत्यु के बाद जैन धर्म दो संप्रदायो मे बट गया |
*एक मत श्वेताम्बर कहलाया; जिसके समर्थक स्थूल भद्र हुए, ये श्वेत वस्त्र धारण करते थे, ये पारश्व नाथ के अनुयायी थे दूसरा मत दिगम्बर कहलाया जिसके समर्थक भद्र बाहु हुए, ये वस्त्र हीन रहते थे, ये महावीर के अनुयायी थे |
*महावीर पुनर्जन्म एवं कर्मवाद मे विश्वास करते थे |
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*महावीर ने अपना उपदेश प्राकृत (अर्धमाग्धी) भाषा मे दिया |
*ऋषभ देव तथा जैन धर्म का प्रतीक चिन्ह सांड है |
👑*महावीर का प्रतीक चिन्ह सिंह है
*महावीर का प्रथम अनुयायी उनका दामाद जामिल था |
*मल्लराजा सृप्तिपाल के राज प्रसाद मे महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ |
*जैन धर्म के प्रवर्तक राजाओ मे – उदयिन, चंद्रगुप्त मौर्य, कलिंग नरेश, चंदेल शासक एवं अमोष वर्ष थे |
*खजुराहो मे जैन मंदिरो का निर्माण चंदेल शासको ने किया |
*मौर्योत्तर युग मे मथुरा जैन धर्म का प्रसिद्ध केंद्र था |
👑*जैन तीर्थकरो की जीवनी भद्र बाहु द्वारा रचित कल्पसूत्र मे है |
👑*प्रथम जैन संगिति 300 ई.पू. पाटलिपुत्र मे स्थूल भद्र की अध्यक्षता मे हुई |
👑*द्वितिय जैन संगिति 6 वी शताब्दी मे बल्ल्भी (गुजरात) मे क्षमा श्रवण की अध्यक्षता मे हुई |
👑👑बौद्ध धर्म : 👑👑
👑*बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे | इन्हे एशिया का ज्योति पुंज कहते है |
👑*गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. मे कपिल वस्तु के निकट लुम्बिनी नामक ग्राम मे, तथा इनकी मृत्यु 483 ई.पू. मे 80 वर्ष की अवस्था मे कुशीनगर देवरिया उ.प्र. मे चुंद द्वारा अर्पित भोजन करने के पश्चात हो गयी
👑*इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था, पिता का नाम शुद्धोधन तथा माता का नाम महामाया था, इनकी पत्नी का नाम यशोधरा एवं पुत्र का नाम राहुल था |
👑*कपिल वस्तु की सैर पर इन्होने बूढ़ा व्यक्ति, बीमार व्यक्ति, शव तथा एक सन्यासी देखा |
*सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की आयु मे गृह त्याग किया जिसे महाभिनिष्क्रण कहा जाता है |
👑*6 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद 35 वर्ष की आयु मे वैशाख की पूर्णिमा की रात निरंजना (फाल्गु) नदी के तट पर उरूबेला नामक स्थान पर पीपल के वृक्ष नीचे इन्हे ज्ञान प्राप्त हुआ | यह स्थान बोध गया कहलाया |
👑*बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ ऋषिपत्तनम मे दिया | इस घटना को बौद्ध ग्रंथो मे “धर्म चक्र प्रवर्तन” कहा गया | बुद्ध ने अपना उपदेश पालि भाषा मे दिया |
*बुद्ध ने अपना सर्वाधिक उपदेश कोशल देश की राजधानी श्रावस्ती मे दिया |
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*बुद्ध के देहावसान की घटना को बौद्ध धर्म मे महापरिनिर्वाण कहा गया है |
👑*सम्राट अशोक एवं कनिष्क ने इसे राजकीय धर्म बनाया था |
👑*महापरिनिर्वाण के बाद बुद्ध के अस्थि अवशेषो को 8 भागो में विभक्त किया गया एवं मगध के शासक अजातशत्रु तथा इस क्षेत्र के गणराज्यों द्वारा स्तूप निर्माण कर इसे सुरक्षित रखा गया |
*बौद्ध धर्म के विषय मे विशद ज्ञान पालि त्रिपिटक से प्राप्त होता है
*बौद्ध धर्म अनिश्वरवादी है, इसमे पुनर्जन्म की मान्यता है |
👑*बौद्ध धर्म के दो अनुयायी समुदाय हैं, एक भिक्षुक दूसरा उपासक |
👑*बौद्ध धर्म के प्रचार के लिये सन्यास ग्रहण करने वाले को भिक्षुक, तथा गृहस्थ जीवन के साथ बौद्ध धर्म अपनाने वाले को उपासक कहा गया
👑*बौद्ध संघ मे सामिल होने की उम्र 15 वर्ष थी, एवं इस प्रक्रिया को उपसम्पदा कहा जाता था |
*बौद्ध धर्म के त्रिरत्न – बुद्ध, धम्म, एवं संघ हैं |
*चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्ध धर्म (कनिष्क के समय मे) दो भागों हीन यान एवम् महा यान मे विभक्त हो गया |
👑*हीन यान बौद्ध धर्म का मूल था, एवं महायान नवीन रूप है |
👑*महायान आत्मा, पुनर्जन्म,तर्थों एवं मूर्ति पूजा मे विश्वास करता है |
👑*धार्मिक जुलुस का प्रारम्भ सबसे पहले बौद्ध धर्म द्वारा किया गया |
👑*बौद्धों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार “वैशाख पूर्णिमा” है, इसे बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं | बुद्ध पूर्णिमा को ही बुद्ध का जन्म एवं मृत्यु हुई |
*बुद्ध ने चार आर्य सत्यों ,दु:ख, दु:ख समुदाय, दु:ख विशेष, तथा दु:ख निरोध गामिनी प्रतिपदा का उपदेश सांसारिक दु:खों के बारे में दिया
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*सांसारिक दु:खों से छुटकारा पाने के लिये बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग – सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाक, सम्यक कर्मांत, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति तथा सम्यक समाधि का उपदेश दिया |
*बौद्ध धर्म के अनुयायी शासकों मे – अशोक, कनिष्क, बिम्बिसार, प्रसेनजित, तथा उदयिन थे |
👑*सर्वाधिक बुद्ध मूर्तियों का निर्माण गांधार शैली मे महायान शाखा के अंतर्गत किया गया है |
*मूर्ति एवं शिल्प कला के क्षेत्र मे बौद्ध धर्म का योगदान रहा है |
👑*गुहा, मंदिर, स्तम्भ,एवं स्तूप बौद्ध धर्म की ही देन हैं |
*इस धर्म पर आधारित कथाओं के चित्रण मे अजंता, एलोरा, बाघ की गुफाएं आज भी विश्व मे कलात्मक सौंदर्य के लिये विख्यात हैं |
👑*सारनाथ, भरहुत, सांची, मथुरा, नासिक बौद्ध कला के प्रमुख केंद्र हैं |
👑*बुद्ध के जीवन से सम्बंधित प्ततीक - www.rameshkhola.blogspot.in
घटना ========== प्रतीक
जन्म===========कमल एवं साड़
गृह त्याग ===========घोड़ा
ज्ञान ========पीपल (बोधि वृक्ष)
निर्वाण ===========पद चिन्ह
मृत्यु=========== स्तूप
👑*बौद्ध संगीतियां –
संगीति समय स्थान अध्यक्ष् शासनकाल
👑प्रथम 483 ई.पू राजगृह महाकश्यप अजात शत्रु
👑द्वितीय 383 ई.पू. वैशाली सबाकामी कालाशोक
👑तृतीय 251ई.पू पाटलिपुत्र मोग्गलिपुत्ततिस्स अशोक
👑 चतुर्थ 1-10 ई. कुण्डलवन वसुमित्र/अश्वघोष कनिष्क
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