rameshkhola

|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

Welcome board

Natural

welcome

आपका हार्दिक अभिनन्दन है

Search

07 February 2020

Valentine’s Day

 वैलेंटाइन एक पादरी (चर्च के पुजारी) का नाम  था , जो कि रोम में रहता था, उस वक्त रोम पर "क्लॉडियस" नामक राजा का राज्य  था, उसकी  इच्छा थी कि वह एक सर्व शक्तिशाली राजा बने, इसके लिए उसे एक बहुत बड़ी सेना की जरुरत थी, उसने आदेश दिया कि हर नागरिक को सेना में भर्ती होना जरुरी है , लेकिन रोम के लोग आपने बच्चो को सेना में भर्ती नहीं करना  चाहते थे  , तब राजा  ने एक नियम  बनाया कि भविष्य में कोई भी शादी नहीं करेगा अर्थात राजा ने नई शादी करने पर प्रतिबन्ध  लगवा दिया. यह आदेश रोम वासियो को ठीक नहीं लगा , पर राजा  के सामने कोई कुछ नहीं कह पाया. पादरी वैलेंटाइन  भी इस बात के पक्षधर नहीं था
 एक दिन एक प्रेमी जोड़ा पादरी के पास आया और  शादी करने की इच्छा ज़ाहिर की, तब पादरी वैलेंटाइन ने राज्य आज्ञा के विपरीत जाकर उनकी  शादी चुपचाप एक कमरे में करवाई.  लेकिन इस शादी का राजा को पता चल गया और उसने पादरी वैलेंटाइन को कैद कर लिया और उसे मौत की सजा सुनाई गई और 14 फरवरी के दिन उसे मौत  (14 फरवरी 269 AD) के घाट उतार दिया गया , अब जरा सोचो कि हमारे देश  भारत में लोग "वैलेंटाइन डे" किस उद्देश्य और सोच से मनाते है 

आँख बंद कर किसी की होड़ को छोड़कर अपने विवेक से सोचा - रमेश खोला


No comments:

Post a Comment

आप, प्रतिक्रिया (Feedback) जरूर दे, ताकि कुछ कमी/गलती होने पर वांछित सुधार किया जा सके और पोस्ट की गयी सामग्री आपके लिए उपयोगी हो तो मुझे आपके लिए और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहन मिल सके :- आपका अपना साथी - रमेश खोला

विजिटर्स के लिए सन्देश

साथियो , यहां डाली गयी पोस्ट्स के बारे में प्रतिक्रिया जरूर करें , ताकि वांछित सुधार का मौका मिले : रमेश खोला

संपर्क करने का माध्यम

Name

Email *

Message *

Visit .....