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|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

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25 March 2022

Eating Rules

खतरनाक है, बंद बोतल का पानी 
10.01.2024 News Clip
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अखबार में  रखकर, तली हुई खाद्य सामग्री न खाए
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पुराने समय की कहावत
चैते गुड़, वैसाखे तेल । जेठ के पंथ , अषाढ़े बेल ।
सावन साग, भादौ दही। कुवांर करेला, कार्तिक मही ।।
अगहन जीरा, पूसै धना। माघे मिश्री, फागुन चना ।
जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर न धरै ।।
⇓⇓⇓⇓⇓अर्थ ⇓⇓⇓⇓⇓
चैत्र माह (मार्च-अप्रैल ) में नया गुड़ न खाएं 
बैसाख माह (अप्रैल-मई) में नया तेल न लगाएं
जेठ माह (मई -जून) में दोपहर में नहीं चलना चाहिए
अषाढ़ माह (जून-जुलाई) में बेल न खाएं
सावन माह (जुलाई-अगस्त ) में साग न खाएं 
भादों माह (अगस्त-सितम्बर) में दही न खाएं 
क्वार /आश्विन माह (सितम्बर-अक्टूबर) में करेला न खाएं 
कार्तिक माह (अक्टूबर-नवम्बर) में जमीन पर न सोएं 
अगहन/ मार्घशीर्ष माह (नवम्बर-दिसंबर ) में जीरा न खाएं  
पूस माह (दिसंबर-जनवरी) में धनिया न खाएं  
माघ माह (जनवरी-फ़रवरी) में मिश्री न खाएं 
फागुन माह (फ़रवरी-मार्च) में चना न खाएं 
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प्राचीन कहावत 
ज्वर, जुकाम और पावना 
इनका एक उपाय
 लगण दीजे तान के 
कभी ना वापस आय 
(अर्थ : बुखार, जुकाम और खांसी होने पर उपवास /अल्प आहार/हल्का भोजन करें )
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09.12.2023 news clip
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गुड़ खाने के फायदे
गुड़ मैग्नीशियम का एक बेहीतरीन स्रोत है। गुड़ खाने से मांसपेशियों, नसों और रक्त वाहिकाओं को थकान से राहत मिलती है और खून की कमी दूर करने में भी यह बेहद मददगार साबित होता है। गुड़ का नियमित सेवन करना रक्तसंचार को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही रक्तचाप की समस्याओं में भी फायदेमंद है। पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज में भी गुड़ का सेवन बहुत लाभकारी है। खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाना आपके पाचन को बेहतर बनाता है। गुड़ का प्रतिदिन सेवन आपको सर्दी, खांसी और जुकाम से भी बचाता है। सर्दी के दिनों में गले और फेफड़ों में संक्रमण बहुत जल्दी फैलता है, इससे बचाने में भी गुड़ आपकी बहुत मदद कर सकता है। सर्दी और संक्रमण की ज्यादातर दवाईयों में गुड़ का प्रयोग किया जाता है।
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गुणकारी जामुन : 
       जामुन एक औषधि है। जामुन की लकड़ी का टुकडा पानी में रख दे तो पानी में शैवाल, हरी काई नहीं लगेगी । प्राचीन समय में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो  तलहटी में जामून की लकड़ी का फर्श बिछाया जाता था जिसे जमोट कहते थे । जामुन विटामिन सी और आयरन से भरपूर होता है, पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है, जामुन के पत्तियों में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त शुगर को नियंत्रित करने करती है। चाय में जामुन पत्तियां डाल कर सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को काफी लाभ मिलता है , जामुन की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण भी  होते हैं. इसका सेवन मसूड़ों से निकलने वाले खून को रोकने में और संक्रमण को फैलने से रोकता है। 

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कहानी : मांस का मूल्य
सम्राट ने एक बार अपनी सभा मे पूछा : 
देश की खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए सबसे सस्ती वस्तु क्या है ?
मंत्री परिषद् तथा अन्य सदस्य सोच में पड़ गये !
 चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा आदि तो बहुत श्रम के बाद मिलते हैं और वह भी तब, जब प्रकृति का प्रकोप न हो, ऎसी हालत में अन्न तो सस्ता हो ही नहीं सकता !
तब शिकार का शौक पालने वाले एक सामंत ने कहा :
राजन, 
सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ "मांस" है, 
इसे पाने मे मेहनत कम लगती है और पौष्टिक वस्तु खाने को मिल जाती है । 
सभी ने इस बात का समर्थन किया, लेकिन प्रधान मंत्री चाणक्य चुप थे । 
तब सम्राट ने उनसे पूछा : 
प्रधानमंत्री जी, आपका इस बारे में क्या मत है ? 
चाणक्य ने कहा : मैं अपने विचार कल आपके समक्ष रखूंगा !
रात होने पर प्रधानमंत्री उस सामंत के महल पहुंचे, सामन्त ने द्वार खोला, इतनी रात गये प्रधानमंत्री को देखकर घबरा गया ।
प्रधानमंत्री ने कहा : 
 महाराज एकाएक बीमार हो गये हैं, राजवैद्य ने कहा है कि किसी बड़े आदमी के हृदय का दो तोला मांस मिल जाए तो राजा के प्राण बच सकते हैं, इसलिए मैं आपके पास आपके हृदय का सिर्फ दो तोला मांस लेने आया हूं । इसके लिए आप एक हजार स्वर्ण मुद्रायें ले लें ।
यह सुनते ही सामंत के चेहरे का रंग उड़ गया, उसने प्रधानमंत्री के पैर पकड़ कर माफी मांगी और उल्टे एक हजार स्वर्ण मुद्रायें देकर कहा कि इस धन से वह किसी और सामन्त के हृदय का मांस खरीद लें ।
प्रधानमंत्री बारी-बारी सभी सामंतों, सेनाधिकारियों के यहां पहुंचे और सभी से उनके हृदय का दो तोला मांस मांगा, लेकिन कोई भी राजी न हुआ, उल्टे सभी ने अपने बचाव के लिये प्रधानमंत्री को एक हजार , दो हजार यहां तक कि कुछेक ने तो पांच से दस हजार तक स्वर्ण मुद्रायें दे दीं ।
इस प्रकार करीब एक करोड़ स्वर्ण मुद्राओं का संग्रह कर प्रधानमंत्री सवेरा होने से पहले वापस अपने महल पहुंचे और राजसभा में प्रधानमंत्री ने राजा के समक्ष  एक करोड़ स्वर्ण मुद्रायें रख दीं । 
सम्राट ने पूछा :  
यह सब क्या है ? 
तब प्रधानमंत्री ने बताया कि दो तोला मांस खरिदने के लिए इतनी धनराशि इकट्ठी हो गई फिर भी दो तोला मांस नही मिला ।
राजन ! अब आप स्वयं विचार करें कि मांस कितना सस्ता है ?
जीवन अमूल्य है, हम यह न भूलें कि जिस तरह हमें अपनी जान प्यारी है, उसी तरह सभी जीवों को भी अपनी जान उतनी ही प्यारी है।

मानव आहार, शाकाहार !
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दिल को बीमार बनाता है चाउमीन में प्रयोग  होने वाला अजीनोमोटो 

हमारे पुराने ज्ञान में विज्ञान छुपा था


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पुराने समय की बात है जब  देगची , भगौना, पतीला (खुला बर्तन) आदि  में दाल / चावल / खिचड़ी / राबड़ी आदि  बनता था, जब अनाज उबलता था तो बार-बार एक  झाग की परत जमा होती रहती थी, जिसे खाना पकाने वाली बार-बार उतार कर नीचे किसी बर्तन में डाल देती थी बाद में उसे फेक दिया करती थी। पूछने पर कहती कि "इसे खाने से तबियत खराब हो जाती है"

बाद में बड़े होने पर पता चला वो झाग शरीर मे यूरिक एसिड बढ़ाता है और खाना पकाने वाली इसीलिए उस  झाग फेंक दिया करती थी।  खाना पकाने  वाली ( आम औरत )  ज्यादा पढ़ी लिखी तो होती नही थी पर ये बातें उसे अपनी माँ , दादी , नानी से सीखा था।

 अब कूकर में दाल / चावल / खिचड़ी / राबड़ी आदि  बनता है, पता नही झाग कहा जाता होगा,  दाल / चावल / खिचड़ी / राबड़ी आदि खाने से अकसर पेट खराब हो जाता  हैं

डॉक्टर कहते हैं एसिडिटी है या फ़ूड प्वाइजनिंग हो गया 

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 भोजन के नियम 

साभार : प्रिंट एवं सोशल मीडिया

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