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|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

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07 February 2023

eternal knowledge

 सनातन ज्ञान 

आज का पंचांग

क्या आप जानते है .........?

✹ प्रश्न :  भगवान श्री रामचंद्र जी ने माता सीता के स्यंवर में जो धनुष तोडा था उसका क्या नाम था ?

उत्तर : माता सीता के स्यंवर की शर्त जिस धनुष पर प्रत्यंचा चढाने की थी उस धनुष का नाम "पिनाक " था । 

विवरण :  यह "पिनाक" नाम का धनुष , भगवान  शिव का था , दैत्य त्रिपुरासुर  का वध इसी धनुष से किया था यह बहुत ही शक्तिशाली धनुष था ।  इसकी एक टंकार से धरती फट सकती थी बड़े से बड़ा पर्वत रेत के समान हो सकता था । बाद में इस धनुष को राजा जनक के पूर्वज निमि के ज्येष्ठ पुत्र "देवराज" को दे दिया गया  । "पिनाक शिव-धनुष" उन्हीं की धरोहरस्वरूप राजा जनक के पास सुरक्षित था। इस विशालकाय धनुष को कोई भी उठाने की क्षमता नहीं रखता था लेकिन भगवान श्री रामचंद्र जी ने इसे उठाकर इसकी प्रत्यंचा चढ़ानी  चाही तब यह एक झटके में टूट गया अर्थात खंडित हो गया । 


✹ प्रश्न : जैसे श्री गणेश जी का वाहन चुहा है वैसे हनुमान जी का वाहन क्या है ?

उत्तर : श्री हनुमान जी का वाहन " वायु " है  

विवरण : 'हनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्र' के 72वें श्‍लोक में उन्हें 'वायुवाहन:' कहा गया है 


✹ प्रश्न :  श्री हनुमान जी की गदा का क्या नाम है ?

उत्तर : हनुमान जी की गदा का नाम "कौमोदकी" है।

विवरण :  उनको यह गदा धनपति कुबेर ने दी थी ।

खड्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशाङ्कुशसुपर्वतम् ।

मुष्टिद्रुमगदाभिन्दिपालज्ञानेन संयुतम् ॥ ८॥

एतान्यायुधजालानि धारयन्तं यजामहे ।

प्रेतासनोपविष्टं तु सर्वाभरणभूषितम् ॥ ९॥

Battery के जनक "अगस्त्य ऋषि" के अनुसार हनुमान जी 10 अस्त्र शस्त्र धारण करते है 

 1.खड्ग (तलवार ),  2.त्रिशूल,  3.खट्वांग,  4.पाश,  5.पर्वत,  6.अंकुश,  7.स्तम्भ, 8.मुष्टि,  9.गदा और 10.वृक्ष 

नोट : अगस्त्य संहिता में "विद्युत का उपयोग" यानि  इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating) के लिए करने का विवरण है।


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