जेबीटी भर्ती : गले की फांस बना एकल मेरिट सूची बनाना
चार मार्च को होनी है मामले की सुनवाई, सरकार ने मांगा था एक माह का समय
हाईकोर्ट ने 13 साल से नौकरी कर रहे जेबीटी (जूनियर बेसिक ट्रेंड) शिक्षकों की नियुक्ति पिछले माह रद्द कर दी थी। हाईकोर्ट ने एकल मेरिट सूची बनाने का प्रदेश सरकार को आदेश दिया था। सरकार के लिए अब हाईकोर्ट में जबाव देना गले की फांस बना हुआ है। सरकार ने एक माह का समय मांगा है। मामले की अगली सुनवाई चार मार्च को होगी। विजय कुमार एवं अन्य की ओर से दाखिल इस केस में हरियाणाा सरकार को पार्टी बनाया था।
हाईकोर्ट ने करीब 13 साल बाद फैसला दिया-
इसी मामले मे सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद जहां पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला दस-दस साल की सजा काट रहे हैं। वहीं अब जेबीटी शिक्षकों के भविष्य पर तलवार लटकी हुई है। प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट में जबाव देना है। मैरिट के आधार पर सूची बनाकर हाईकोर्ट में देनी है। लेकिन इसेलेकर सरकार असमंजस में हैं। जो जेबीटी अध्यापक लगे हुए हैं
सरकार इस लिस्ट को सही मानती है तो इसका सीधा फायदा पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला सहित केस में फंसे सभी लोगों को होगा। यदि दोनों लिस्टों की
स्क्रीनिंग कर एकल मैरिट सूची बनाती है तो इसमें 500 से 600 नौकरी कर रहे
टीचर बाहर हो सकते हैं। लोकसभा चुनाव होने के कारण सरकार किसी को नाराज भी नहीं करना चाहती। सरकार को किस तरह इसका राजनीतिक लाभ मिल सकता है। इस पर विचार किया जा रहा है। इसी आधार पर काननूी राय
ली जा रही है।
एससी-बीसी वर्ग की याचिका -
सुरेश द्रविड़ ने बताया कि एससी व बीसी वर्ग के टीचर हाईकोर्ट में अपनी अलग से याचिका डालेंगे। इस बारे में उनकी पहले भी बैठक हो चुकी है। उनका कहना है कि वे अपनी पैरवी अलग से करेंगे। उनका कहना है कि भर्ती के दौरान नुकसान एससी व बीसी वर्ग को ज्यादा हुआ है। सीबीआई ने अपने फैसले में कई जगह इसका उल्लेख किया किया है। भर्ती में हुई थी धांधली भर्ती में बड़े स्तर पर धांधली हुई। यही हाईकोर्ट और सीबीआई कोर्ट के फैसले में इसका विस्तार से जिक्र किया गया है। पहली वाली लिस्ट में जिन उम्मीद्वारों के नंबर कम थे, दूसरी लिस्ट में उनके नंबर बढ़ा दिए गए पहले की लिस्ट में सतबीर के इंटरव्यू के 7 नंबर लगे हुए थे। लेकिन दूसरी लिस्ट में उसके 17 नंबर लगा दिए। इसी तरह शारदा के सात नंबर की जगह 13 नंबर, प्रदीप के 7 की जगह 18 नंबर और घनश्याम के 7 की जगह 17 नंबर इंटव्यू में लगाए हुए हैं। सीबीआई कोर्ट ने अपने फैसले में भी इसका जिक्र किया है। इसके अलावा भिवानी जिला में 60 पोस्टें थी, इसके लिए 335 उम्मीद्वारों ने आवेदन किया। यहां पर 60 पोस्ट होने के बावजूद 312 टीचर लगा दिए। करनाल जिला में 384 पोस्टे थी, इसके लिए 408 ने आवेदन किया था। लेकिन यहां पर १४६ टीचर लगाए। इस तरह भर्ती में खूब धांधली की गई। धांधली के कारण बीसी ए के उम्मीद्वारों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। इस श्रेणी में से काफी जनरल मैरिट में आ सकते थे। लेकिन उनके इंटव्यू में कम अंक लगाकर उन्हें मेरिट सूची से बाहर कर दिया।
सरकार ले रही सलाह- भुक्कल
"हाईकोर्ट ने जवाब दायर करने लिए एक माह का समय दिया है। इस मसले परल सरकार कानूनी सलाह ले रही है। ज्यादातर टीचर ओवरेज हो चुके हैं। उनका भी ध्यान रखा जाएगा। सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जल्द ही कोई निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद ही हाईकोर्ट में जबाव दिया जाएगा।" --
गीता भुक्कल,
शिक्षा मंत्री हरियाणा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सम्बंधित जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे
JBT Scam News
JBT SCAM
Selection criteria
3206 JBT
2000 Batch
JBT scam Order
P&H high court judgement
Promotion Case
Promotion Order Letter
चार मार्च को होनी है मामले की सुनवाई, सरकार ने मांगा था एक माह का समय
हाईकोर्ट ने 13 साल से नौकरी कर रहे जेबीटी (जूनियर बेसिक ट्रेंड) शिक्षकों की नियुक्ति पिछले माह रद्द कर दी थी। हाईकोर्ट ने एकल मेरिट सूची बनाने का प्रदेश सरकार को आदेश दिया था। सरकार के लिए अब हाईकोर्ट में जबाव देना गले की फांस बना हुआ है। सरकार ने एक माह का समय मांगा है। मामले की अगली सुनवाई चार मार्च को होगी। विजय कुमार एवं अन्य की ओर से दाखिल इस केस में हरियाणाा सरकार को पार्टी बनाया था।
हाईकोर्ट ने करीब 13 साल बाद फैसला दिया-
इसी मामले मे सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद जहां पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला दस-दस साल की सजा काट रहे हैं। वहीं अब जेबीटी शिक्षकों के भविष्य पर तलवार लटकी हुई है। प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट में जबाव देना है। मैरिट के आधार पर सूची बनाकर हाईकोर्ट में देनी है। लेकिन इसेलेकर सरकार असमंजस में हैं। जो जेबीटी अध्यापक लगे हुए हैं
सरकार इस लिस्ट को सही मानती है तो इसका सीधा फायदा पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला सहित केस में फंसे सभी लोगों को होगा। यदि दोनों लिस्टों की
स्क्रीनिंग कर एकल मैरिट सूची बनाती है तो इसमें 500 से 600 नौकरी कर रहे
टीचर बाहर हो सकते हैं। लोकसभा चुनाव होने के कारण सरकार किसी को नाराज भी नहीं करना चाहती। सरकार को किस तरह इसका राजनीतिक लाभ मिल सकता है। इस पर विचार किया जा रहा है। इसी आधार पर काननूी राय
ली जा रही है।
एससी-बीसी वर्ग की याचिका -
सुरेश द्रविड़ ने बताया कि एससी व बीसी वर्ग के टीचर हाईकोर्ट में अपनी अलग से याचिका डालेंगे। इस बारे में उनकी पहले भी बैठक हो चुकी है। उनका कहना है कि वे अपनी पैरवी अलग से करेंगे। उनका कहना है कि भर्ती के दौरान नुकसान एससी व बीसी वर्ग को ज्यादा हुआ है। सीबीआई ने अपने फैसले में कई जगह इसका उल्लेख किया किया है। भर्ती में हुई थी धांधली भर्ती में बड़े स्तर पर धांधली हुई। यही हाईकोर्ट और सीबीआई कोर्ट के फैसले में इसका विस्तार से जिक्र किया गया है। पहली वाली लिस्ट में जिन उम्मीद्वारों के नंबर कम थे, दूसरी लिस्ट में उनके नंबर बढ़ा दिए गए पहले की लिस्ट में सतबीर के इंटरव्यू के 7 नंबर लगे हुए थे। लेकिन दूसरी लिस्ट में उसके 17 नंबर लगा दिए। इसी तरह शारदा के सात नंबर की जगह 13 नंबर, प्रदीप के 7 की जगह 18 नंबर और घनश्याम के 7 की जगह 17 नंबर इंटव्यू में लगाए हुए हैं। सीबीआई कोर्ट ने अपने फैसले में भी इसका जिक्र किया है। इसके अलावा भिवानी जिला में 60 पोस्टें थी, इसके लिए 335 उम्मीद्वारों ने आवेदन किया। यहां पर 60 पोस्ट होने के बावजूद 312 टीचर लगा दिए। करनाल जिला में 384 पोस्टे थी, इसके लिए 408 ने आवेदन किया था। लेकिन यहां पर १४६ टीचर लगाए। इस तरह भर्ती में खूब धांधली की गई। धांधली के कारण बीसी ए के उम्मीद्वारों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। इस श्रेणी में से काफी जनरल मैरिट में आ सकते थे। लेकिन उनके इंटव्यू में कम अंक लगाकर उन्हें मेरिट सूची से बाहर कर दिया।
सरकार ले रही सलाह- भुक्कल
"हाईकोर्ट ने जवाब दायर करने लिए एक माह का समय दिया है। इस मसले परल सरकार कानूनी सलाह ले रही है। ज्यादातर टीचर ओवरेज हो चुके हैं। उनका भी ध्यान रखा जाएगा। सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जल्द ही कोई निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद ही हाईकोर्ट में जबाव दिया जाएगा।" --
गीता भुक्कल,
शिक्षा मंत्री हरियाणा
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