बाबा सायर मंदिर, डहीना
ब्रह्मलीन बाबा सायर
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मकर संक्रांति महोत्सव 14 जनवरी 2025 (मंगलवार)
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बाबा सायर का इतिहास 
गाँव डहीना रेवाड़ी जिले में स्थित है , पहले यह गाँव महेंद्रगढ़ जिले में आता था उससे पहले यह गाँव गुरुग्राम (गुड़गाँवा) जिले में आता था | ऐसा कहा जाता है कि गाँव डहीना "दादा रंगराज" ( कई लोग "दादा दुर्गा प्रसाद" नाम भी बताते है) ने बसाया था |  जिनकी याद में "बाबा भैया" का मंदिर बनाया हुआ है | जिसे "खेड़ा का धनि" भी कहते है अर्थात इन्होने ही यह खेड़ा (गाँव ) बसाया था | 
इनके चार पुत्र थे, कहीं कहीं सुनने में आता है कि इनके पांच पुत्र थे 
1. राजू 
2. पेचू 
3. सायर 
4. ना औलाद (नाम ज्ञात नहीं है)
5. जैना (सुनने आता है कि जैना उनका पाँचवा पुत्र था )
1. राजू के नाम  से राजास  पट्टी है , इस पट्टी में बाबा राजू की संताने बसती है  |
2. पेचू  के नाम  से पचायन पट्टी है , इस पट्टी में बाबा पेचू की संताने बसती है |
3. सायर के नाम  से सायर पट्टी है , इस पट्टी में बाबा सायर की संताने बसती है |
............ ऐसा सुना है बाबा सायर ने अपने, नाऔलाद मृत्यु को प्राप्त भाई की जमीन गऊओं के लिए छोड़ने को कहा था लेकिन बाबा  राजू और बाबा पेचू नहीं माने और जमींन राजास और पचायन पट्टी ने आपस में बाँट ली , बाबा सायर ने  उसकी जमीन  लेने से इंकार कर दिया इसी  कारण यदि कुल 100 एकड़ जमीन  माने  तो राजास के पास 37.5 एकड़ (3/8हिस्सा) , पचायन  के पास 37.5 एकड़ (3/8हिस्सा)  और सायर के पास 25 एकड़ (1/4 हिस्सा ) जमीन है |
" बाबा सायर "
 "दादा रंगराज" उर्फ़  "दादा दुर्गा प्रसाद" जी का एक  पुत्र  "शेर सिंह" था जिसका नाम अपभ्रंश होते हुए "सायर सिंह" हुआ और बाद उन्हें लोग "सायर" के नाम से जानने लगे जिसे अब हम "बाबा सायर" कहते है  | जिनकी याद में "बाबा सायर वाला जोहड़ और मंदिर" आज भी गाँव डहीना में स्थित है |
 सायर बाबा की याद  97 कनाल 15 मरला जमीन पर सायरवाला जोहड़ और बाबा सायर की यादगार बनी हुई थी , सायरवाला जोहड़ में उस समय कृष्णावती ( कंसावती नदी ) आकर गिरती थी जो बुचारा बांध ( जो जयपुर के नजदीक राजस्थान राज्य में स्थित है ) बनने से आणि बंद हो गयी , जिसकी अब सन 2025 में  निमोठ गाँव तक खुदाई की जा चुकी है |
1960-61
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