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|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

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07 January 2024

बाबा सायर

     बाबा सायर मंदिर, डहीना    

ब्रह्मलीन बाबा सायर 

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बाबा सायर मंदिर, डहीना 

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सतगुरु जी मेरे साथ हैं अब डरने की क्या बात  New

तुम साथ हो जो मेरे किस चीज है 

भोले तेरे दरबार में 

सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि

मेरे शम्भू मेरे संग रहना 

लौट के मुश्किल मेरा घर को जाना हो गया 

जय जय शम्भू 

हम तो बाबा के भरोसे

भोले का भक्त 

बाबा सायर धाम

दादा सायर

जहाँ जहाँ तेरे पांव पड़े 

लाडला चेला 

तेरा नशा है 

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तीज मेला 2024

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मकर सक्रांति महोत्सव 2024 



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बाबा सायर का इतिहास 
गाँव डहीना रेवाड़ी जिले में स्थित है , पहले यह गाँव महेंद्रगढ़ जिले में आता था उससे पहले यह गाँव गुरुग्राम (गुड़गाँवा) जिले में आता था | ऐसा कहा जाता है कि गाँव डहीना "दादा रंगराज" ( कई लोग "दादा दुर्गा प्रसाद" नाम भी बताते है) ने बसाया था |  जिनकी याद में "बाबा भैया" का मंदिर बनाया हुआ है | जिसे खेड़ा का धनि भी कहते है अर्थात इन्होने ही यह खेड़ा (गाँव ) बसाया था | 
इनके चार पुत्र थे, कहीं कहीं सुनने में आता है कि इनके पांच पुत्र थे 
1. सायर 
2. राजू 
3. पेचू 
4. ना औलाद (नाम ज्ञात नहीं है)

5. जैना (सुनने आता है कि जैना उनका पाँचवा पुत्र था )

1. सायर : "दादा रंगराज" उर्फ़  "दादा दुर्गा प्रसाद" जी का सबसे बड़ा पुत्र  "शेर सिंह" था जिसका नाम अपभ्रंश होते हुए "सायर सिंह" हुआ और बाद उन्हें लोग "सायर" के नाम से जानने लगे जिसे अब हम "बाबा सायर" कहते है  | जिनकी याद में "बाबा सायर वाला जोहड़ और मंदिर" आज भी गाँव डहीना में स्थित है 
continue................

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