rameshkhola

|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

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11 July 2014

NUMBERS

NUMBER SCALES :-
In the Metric system unwieldy small and large numbers can be represented using words.

=========================================

Small Numbers Scales -


Number....................NameSymbolDescription (Short Scale)Description (Long Scale)
0.1decidTenthTenth
0.01centicHundredthHundredth
0.001millimThousandthThousandth
0.000 001microuMillionthMillionth
0.000 000 001nanonBillionthThousand Millionth
0.000 000 000 001picopTrillionthBillionth
0.000 000 000 000 001femtofQuadrillionthThousand Billionth
0.000 000 000 000 000 001attoaQuitillionthTrillionth
0.000 000 000 000 000 000 001zeptozSextillionthThousand Trillionth
0.000 000 000 000 000 000 000 001yoctoySeptillionthQuadrillionth



Large Numbers Scales -

Number....................NameSymbolDescription (Short Scale)Description (Long Scale)
1,000,000,000,000,000,000,000,000yottaYSeptillionQuadrillion
1,000,000,000,000,000,000,000zettaZSextillionThousand Trillion/Trilliard
1,000,000,000,000,000,000exaEQuintillionTrillion
1,000,000,000,000,000petaPQuadrillionThousand Billion/Billiard
1,000,000,000,000teraTTrillionBillion
1,000,000,000gigaGBillionThousand Million/Milliard
1,000,000megaMMillionMillion
1,000kilokThousandThousand
100hectohHundredHundred
10decadaTenTen>

08 July 2014

JAI SHREE SHYAM

नाम : बर्बरीक 
माता का नाम : मोर्वी ( कामकटंकटा )
 पिता का नाम : घटोत्कच
 दादी का नाम : हिडिम्बा
दादा का नाम :  भीम ( पांडव )
       महाभारत का युद्घ आरंभ होने वाला था और भगवान श्री कृष्ण युद्घ में पाण्डवों के साथ थे । जिससे यह निश्चित जान पड़ रहा था कि कौरव सेना भले ही अधिक शक्तिशाली है, लेकिन जीत पाण्डवों की ही होगी । ऐसे समय में भीम का पौत्र और घटोत्कच का पुत्र " बर्बरीक" ने अपनी माता से युद्ध देखने की इच्छा प्रकट की और  माता को वचन दिया कि युद्घ में जो पक्ष कमज़ोर होगा वह उनकी ओर से लड़ेगा, उसकी माता भी प्रसन्न थी क्योंकि वह मानती थी की पांडव कौरवो के सामने बहुत कमजोर हैं , इसके लिए बर्बरीक ने महादेव को प्रसन्न करके उनसे "तीन अजेय" बाण प्राप्त किये थे। 
परन्तु  भगवान श्री कृष्ण को जब बर्बरीक की योजना का पता चला तब वे वेश बदलकर बर्बरीक के मार्ग में आ गये। श्री कृष्ण ने बर्बरीक को उत्तेजित करने हेतु उसका मजाक उड़ाया कि वह तीन वाण से भला क्या युद्घ लड़ेगा । कृष्ण की बातों को सुनकर बर्बरीक ने कहा कि उसके पास अजेय बाण है और वह एक बाण से ही पूरी शत्रु सेना का अंत कर सकता है तथा सेना का अंत करने के बाद उसका बाण वापस अपने स्थान पर लौट आएगा। इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि हम जिस पीपल के वृक्ष के नीचे खड़े हैं
 अगर अपने बाण से उसके सभी पत्तों में छेद कर दो तो मैं मान जाउंगा कि तुम एक बाण से युद्घ का परिणाम बदल सकते हो। इस पर बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार करके भगवान शिव का स्मरण किया और बाण चला दिया । जिससे पेड़ पर लगे सभी पत्तों में छेद हो गया इसके बाद वो दिव्य बाण भगवान श्री कृष्ण के पैरों के चारों ओर घूमने लगा क्योंकि एक पत्ता भगवान कृष्ण ने चुपके से अपने पैरों के नीचे दबा लिया था भगवान श्री कृष्ण जानते थे कि धर्मरक्षा के लिए इस युद्घ में विजय पाण्डवों की होनी चाहिए और माता को दिये वचन के अनुसार अगर बर्बरीक कौरवों की ओर से लड़ेगा तो अधर्म की जीत हो जाएगी , इसलिए इस अनिष्ट को रोकने के लिए छदम वेश धारी श्री कृष्ण ने बर्बरीक से दान की इच्छा प्रकट की । जब बर्बरीक ने दान देने का वचन दिया तब श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उसका सिर / शीश मांग लिया जिससे बर्बरीक समझ गया कि ऐसा दान मांगने वाला कोई साधारण व्यक्ति नहीं हो सकता और बर्बरीक ने छदम वेश धारी श्री कृष्ण से वास्तविक परिचय माँगा तो श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि  वे "वासुदेव श्री कृष्ण" हैं। सच जानने के बाद भी बर्बरीक सिर का दान देने के प्रण पर अडिग था  लेकिन एक शर्त रखी कि वह उनके विराट रूप के दर्शन चाहता है तथा महाभारत युद्घ को शुरू से लेकर अंत तक देखने की इच्छा रखता है। तब श्री कृष्ण ने कहा हे परमवीर बर्बरीक आपका ये दान युगो युगो तक याद  जायेगा और आज के बाद आप मेरे श्याम नाम से जाने जाओगे
 तुम हारे के सहारे बनकर भक्तो को जीत दिलवाओगे और कलियुग में आप मेरे भक्तो की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हुए लखदातार कहलाओगे यह वरदान पाकर वीर बर्बरीक ने अपने शीश का दान कर दिया इसके बाद भगवान श्री कृष्ण जी ने वीर बर्बरीक (श्री श्याम जी ) के शीश पर अमृत का छिड़काव कर उसे अमर बना दिया  और एक पहाड़ी के ऊंचे स्थान पर विराजित कर दिया जहाँ से बर्बरीक के अमर शीश ने महाभारत का पूरा युद्घ देखा । युद्ध समाप्ति के पश्चात श्री कृष्ण के आदेश से "श्री श्यामजी" ( वीर बर्बरीक ) के शीश को तीर पर रखकर, तीर अज्ञात लक्ष्य की ओर छोड़ दिया जो जाकर राजस्थान के खाटू नामक गांव में स्थापित हो गया, जहां आज मेरे लखदातार श्री खाटूश्याम जी का परम धाम है 
.............. ये सारी घटना आधुनिक वीर बरबरान नामक जगह पर हुई थी जो हरियाणा के हिसार जिले में हैं अब ये स्पष्ट बात है कि इस जगह का नाम वीर बरबरान वीर बर्बरीक के नाम पर ही पड़ा है I 
दुःख तो इस बात का है कि जब आपके साथी रमेश खोला ने जून 2014 में मास्टर गजराज सिंह व् अन्य मित्रो के साथ इस "परम पवित्र धाम , श्री श्याम मंदिर " की यात्रा की, उससे लगभग एक माह पहले सुबह तीन बजे अचानक वो विशाल वृक्ष गिर गया था हैरानी की बात ये थी कि उस वक्त न आंधी थी और न तूफान, यह सूचना मंदिर के पुजारी व अन्य भक्तजनो ने हमे दी .......... बस सौभाग्य की बात ये है की गिरे हुए विशाल वृक्ष के दर्शन का तो मौका तो हमें मिला आज उस विशाल पेड़ की जड़ो से नए पौधे उग रहे है और आज भी इन नए उगे पेड़ के पत्तो में भी छेद है साथ ही सबसे बड़ी बात तो यह  है कि जब जब नए पत्ते भी निकलते है तो उनमे भी छेद होता है - रमेश खोला , 08 July 2014
बोलो शीश के दानी की जय 
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 अब यह विशाल पीपल वृक्ष गिर चुका  है 
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नया पौधा 
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मंदिर
इस मंदिर की यात्रा पर जाना चाहते है तो आपकी सुविधा के लिए नीचे गूगल मैप का लिंक दिया है 
Google Map Link
(जहाँ दिया था शीश का दान , वही है.....यह दिव्य अस्थान )
बोलो खाटू नरेश की .....जय 
बोलो शीश के दानी की .....जय 
बोलो तीन बाण धारी की .....जय 
बोलो हारे  के सहारे की .....जय 
बोलो मोर मुकुट-बंसी वाले की .....जय 
~~~~~~~~~
कब स्थापित हुआ था- खाटू धाम 
प्रश्न  : खाटू धाम , कब स्थापित हुआ था ?
उत्तर : सन 1777 में 

23 June 2014

108 Names of LORD SHIVA

हर हर महादेव……..जय महाकाल………जय जय श्री राम……

चार धाम की यात्रा के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 

केदार नाथ धाम की यात्रा में हेलीकाप्टर सुविधा के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 

🙏ॐ नमः शिवाय 🙏
🚩 बाबा बर्फानी के दर्शन 🚩

भगवान शिव के 108 नाम -

01-शिव अर्थात जो कल्याण स्वरूप
02-महेश्वर अर्थात जो माया के अधीश्वर
03-शम्भू अर्थात जो आनंद स्वरूप वाले
04-पिनाकी अर्थात जो पिनाक धनुष धारण करने वाले
05-शशिशेखर अर्थात जो सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले
06-वामदेव अर्थात जो अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
07-विरूपाक्ष अर्थात जो भौंडी आँख वाले
08-कपर्दी अर्थात जो जटाजूट धारण करने वाले
09-नीललोहित अर्थात जो नीले और लाल रंग वाले

10-शंकर अर्थात जो सबका कल्याण करने वाले
11-शूलपाणी अर्थात जो हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
12-खटवांगी अर्थात जो खटिया का एक पाया रखने वाले
13-विष्णुवल्लभ अर्थात जो भगवान विष्णु के अतिप्रेमी
14-शिपिविष्ट अर्थात जो सितुहा में प्रवेश करने वाले
15-अंबिकानाथ अर्थात जो भगवति के पति
16-श्रीकण्ठ अर्थात जो सुंदर कण्ठ वाले
17-भक्तवत्सल अर्थात जो भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
18-भव अर्थात जो संसार के रूप में प्रकट होने वाले

19-शर्व अर्थात जो कष्टों को नष्ट करने वाले
20-त्रिलोकेश अर्थात जो तीनों लोकों के स्वामी
21-शितिकण्ठ अर्थात जो सफेद कण्ठ वाले
22-शिवाप्रिय अर्थात जो पार्वती के प्रिय
23-उग्र अर्थात जो अत्यंत उग्र रूप वाले
24-कपाली अर्थात जो कपाल धारण करने वाले
25-कामारी अर्थात जो कामदेव के शत्रुअंधकार
26-सुरसूदन अर्थात जो अंधक दैत्य को मारने वाले
27-गंगाधर अर्थात जो गंगा जी को धारण करने वाले

28-ललाटाक्ष अर्थात जो ललाट में आँख वाले
29-कालकाल अर्थात जो काल के भी काल
30-कृपानिधि अर्थात जो करूणा की खान
31-भीम अर्थात जो भयंकर रूप वाले
32-परशुहस्त अर्थात जो हाथ में फरसा धारण करने वाले
33-मृगपाणी अर्थात जो हिरण चर्म पहनने वाले
34-जटाधर अर्थात जो जटा रखने वाले
35-कैलाशवासी अर्थात जो कैलाश के निवासी
36-कवची अर्थात जो कवच धारण करने वाले

37-कठोर अर्थात जो अत्यन्त मजबूत देह वाले
38-त्रिपुरांतक अर्थात जो त्रिपुरासुर को मारने वाले
39-वृषांक अर्थात जो बैल के चिह्न वाली झंडा वाले
40-वृषभारूढ़ अर्थात जो बैल की सवारी वाले
41-भस्मोद्धूलितविग्रह अर्थात जो सारे शरीर में भस्म लगाने वाले
42-सामप्रिय अर्थात जो सामगान से प्रेम करने वाले
43-स्वरमयी अर्थात जो सातों स्वरों में निवास करने वाले
44-त्रयीमूर्ति अर्थात जो वेदरूपी विग्रह करने वाले
45-अनीश्वर अर्थात जो जिसका और कोई मालिक नहीं है

46-सर्वज्ञ अर्थात जो सब कुछ जानने वाले
47-परमात्मा अर्थात जो सबका अपना आपा
48-सोमसूर्याग्निलोचन अर्थात जो चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आँख वाले
49-हवि अर्थात जो आहूति रूपी द्रव्य वाले
50-यज्ञमय अर्थात जो यज्ञस्वरूप वाले
51-सोम अर्थात जो उमा के सहित रूप वाले
52-पंचवक्त्र अर्थात जो पांच मुख वाले
53-सदाशिव अर्थात जो नित्य कल्याण रूप वाल
54-विश्वेश्वर अर्थात जो सारे विश्व के ईश्वर

55-वीरभद्र अर्थात जो बहादुर होते हुए भी शांत रूप वाले
56-गणनाथ अर्थात जो गणों के स्वामी
57-प्रजापति अर्थात जो प्रजाओं का पालन करने वाले
58-हिरण्यरेता अर्थात जो स्वर्ण तेज वाले
59-दुर्धुर्ष अर्थात जो किसी से नहीं दबने वाले
60-गिरीश अर्थात जो पहाड़ों के मालिक
61-गिरिश अर्थात जो कैलाश पर्वत पर सोने वाले
62-अनघ अर्थात जो पापरहित
63-भुजंगभूषण अर्थात जो साँप के आभूषण वाले

64-भर्ग अर्थात जो पापों को भूंज देने वाले
65-गिरिधन्वा अर्थात जो मेरू पर्वत को धनुष बने वाले
66-गिरिप्रिय अर्थात जो पर्वत प्रेमी
67-कृत्तिवासा अर्थात जो गजचर्म पहनने वाले
68-पुराराति अर्थात जो पुरों का नाश करने वाले
69-भगवान् अर्थात जो सर्वसमर्थ षड्ऐश्वर्य संपन्न
70-प्रमथाधिप अर्थात जो प्रमथगणों के अधिपति
71-मृत्युंजय अर्थात जो मृत्यु को जीतने वाले
72-सूक्ष्मतनु अर्थात जो सूक्ष्म शरीर वाले

73-जगद्व्यापी अर्थात जो जगत् में व्याप्त होकर रहने वाले
74-जगद्गुरू अर्थात जो जगत् के गुरू
75-व्योमकेश अर्थात जो आकाश रूपी बाल वाले
76-महासेनजनक अर्थात जो कार्तिकेय के पिता
77-चारुविक्रम अर्थात जो सुन्दर पराक्रम वाले
78-रूद्र अर्थात जो भक्तों के दुख देखकर रोने वाले
79-भूतपति अर्थात जो भूतप्रेत या पंचभूतों के स्वामी
80-स्थाणु अर्थात जो स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
81-अहिर्बुध्न्य अर्थात जो कुण्डलिनी को धारण करने वाले

82-दिगम्बर अर्थात जो नग्न, आकाशरूपी वस्त्र वाले
83-अष्टमूर्ति अर्थात जो आठ रूप वाले
84-अनेकात्मा अर्थात जो अनेक रूप धारण करने वाले
85-सात्त्विक अर्थात जो सत्व गुण वाले
86-शुद्धविग्रह अर्थात जो शुद्धमूर्ति वाले
87-शाश्वत अर्थात जो नित्य रहने वाले
88-खण्डपरशु अर्थात जो टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
89-अज अर्थात जो जन्म रहित
90-पाशविमोचन अर्थात जो बंधन से छुड़ाने वाले

91-मृड अर्थात जो सुखस्वरूप वाले
92-पशुपति अर्थात जो पशुओं के मालिक
93-देव अर्थात जो स्वयं प्रकाश रूप
94-महादेव अर्थात जो देवों के भी देव
95-अव्यय अर्थात जो खर्च होने पर भी न घटने वाले
96-हरि अर्थात जो विष्णुस्वरूप
97-पूषदन्तभित् अर्थात जो पूषा के दांत उखाड़ने वाले
98-अव्यग्र अर्थात जो कभी भी व्यथित न होने वाले
99-दक्षाध्वरहर अर्थात जो दक्ष के यज्ञ को नष्ट करने वाल

100-हर अर्थात जो पापों व तापों को हरने वाले
101-भगनेत्रभिद् अर्थात जो भग देवता की आंख फोड़ने वाले
102-अव्यक्त अर्थात जो इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
103-सहस्राक्ष अर्थात जो अनंत आँख वाले
104-सहस्रपाद अर्थात जो अनंत पैर वाले
105-अपवर्गप्रद अर्थात जो कैवल्य मोक्ष देने वाले
106-अनंत अर्थात जो देशकालवस्तुरूपी परिछेद से रहित
107-तारक अर्थात जो सबको तारने वाला
108-परमेश्वर अर्थात जो सबसे परे ईश्वर



हर हर महादेव……..जय महाकाल………जय जय श्री राम……
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है, जो सनातन धर्म में हजारों सालों से मानते आ रहे हैं। जब पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायी गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला
वास्तव में ऐसा प्रतीत हो है कि शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे! भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है।
शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्युक्लियर रिएक्टर्स ही तो हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वो शांत रहें। महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं। क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता। एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही होता है ।


03 June 2014

GAYATRI MANTRA

                                                                RAMESHKHOLA

  गायत्री मंत्र -

" ॐ भूर्भुवः स्वःतत्सवितुर्वरेण्यंभर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः 

प्रचोदयात् "

गायत्री मंत्र संक्षेप में
गायत्री (वेद ग्रंथ की माता) मंत्र को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान 

करता है. इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, कृपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का 

सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है.
हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं

आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं

आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं

हे संसार के विधाता

हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें

कृपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या
गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
इस प्रकार से कहा जा सकता है कि गायत्री मंत्र में तीन पहलूओं क वर्णं है - स्त्रोत, ध्यान और प्रार्थना

===================================================================

02 June 2014

Run Commands

Basic Run Command

Run Calculatorcalc
Run Command Promptcmd
Run Firefox (if installed)firefox
Run Internet Exploreriexplore
Run Microsoft Word (if installed)winword
Run Microsoft Excel (if installed)excel
Run Microsoft Outlook (if installed)outlook
Run Notepadnotepad
Run Wordpadwordpad
Open Control Panelcontrol panel
Open Program Files folder%programfiles%
Shutdown Windowsshutdown
Restart Windowsshutdown -r
Log Off Windowslogoff
Registry Editorregedit
Task Managertaskmgr




Other  Run Command

Programs

Character Mapcharmap
Check Disk Utilitychkdsk
Clipboard Viewerclipbrd
Free Cellfreecell
Hearts Cardmshearts
Microsoft Chatwinchat
Minesweeperwinmine
On Screen Keyboardosk
Remote Desktopmstsc
Spider Solitarespider
Telnet Clienttelnet
Windows Magnifiermagnify


Control Panels

Accessibility Controlsaccess.cpl
Add Hardware Wizardhdwwiz.cpl
Add/Remove Programsappwiz.cpl
Administrative Toolscontrol admintools
Automatic Updateswuaucpl.cpl
Date and Timetimedate.cpl
Display Propertiesdesk.cpl
Folders Propertiescontrol folders
Fontscontrol fonts
Fonts Folderfonts
Game Controllersjoy.cpl
Internet Propertiesinetcpl.cpl
Keyboard Propertiescontrol keyboard
Mouse Propertiescontrol mouse
Network Connectionscontrol netconnections
Network Setup Wizardnetsetup.cpl
ODBC Data Source Administratorodbccp32.cpl
Password Propertiespassword.cpl
Phone and Modem Optionstelephon.cpl
Power Configurationpowercfg.cpl
Printers and Faxescontrol printers
Printers Folderprinters
Regional Settingsintl.cpl
Scanners and Camerassticpl.cpl
Security Centerwscui.cpl
Sounds and Audiommsys.cpl
User Account Managementnusrmgr.cpl
Windows Firewallfirewall.cpl


Computer Administration Tools

Computer Managementcompmgmt.msc
Device Managerdevmgmt.msc
Disk Cleanup Utilitycleanmgr
Disk Defragmentdfrg.msc
Disk Managementdiskmgmt.msc
Disk Partition Managerdiskpart
Dr. Watson System Troubleshootingdrwtsn32
Driver Verifier Utilityverifier
Event Viewereventvwr.msc
Group Policy Editor (XP Prof)gpedit.msc
Local Security Settingssecpol.msc
Local Users and Groupslusrmgr.msc
Performance Monitorperfmon
Resultant Set of Policyrsop.msc
Scheduled Taskscontrol schedtasks
Servicesservices.msc
Shared Foldersfsmgmt.msc
System Configuration Editorsysedit
System Configuration Utilitymsconfig
Utility Managerutilman
Windows System Security Toolsyskey


Computer Administration Tools


Application Data Folder%appdata%
Home Directory Drive%homedrive%
Home Directory%homepath%
Shared Home Directory%homeshare%
Temporary Folder%temp%
Windows Root Drive%systemdrive%
Windows Root Directory%windir%

07 May 2014

Full form of some words

Full form of some words -

🔗 News = North East West South
🔗  Paper = past and present events report.
🔗 Chess = Chariot, Horse, Elephant, Soldiers.
🔗 Cold =Chronic Obstructive Lung Disease.
🔗 Joke =Joy of Kids Entertainment.
🔗 Aim =Ambition in Mind.
🔗 Date =Day and Time Evolution.
🔗 Eat =Energy and Taste.
🔗 Tea =Taste and Energy Admitted.
🔗 Pen =Power Enriched in Nib.
🔗 Smile =Sweet Memories in Lips Expression.
🔗 Bye =Be with you Every-time.

09 April 2014

रेलवे में, सी/फा (W/L) का अर्थ

     आपने अक्सर देखा होगा  कि रेलवे लाइन पर लगे बोर्ड पर 
 
 सी / फा 

       या 

  W / L 

 लिखा होता है  ,  सी/फा  का अर्थ है - सीटी फाटक 

और  W/L का अर्थ है - सीटी स्तर पार ( whistle 

level-crossing ) 

यह बोर्ड लगाने का अर्थ  / मकसद यह  है कि रेलवे ड्राइवर मुक्त रूप से 

सीटी बजायें, क्योकि आगे मानव रहित फाटक है अर्थात  आगे आने 

वाले  फाटक पर रेल विभाग द्वारा कोई गेट और गेटमैन नही लगाया 

गया है , अतः ड्राइवर के लिए यह एक निर्देश बोर्ड है कि गाड़ी कि सिटी   

लगातार बजाते  रहे ताकि कोई दुर्घटना घटित ना हो।   

        जनहित में  विशेष विनती : -  आप जब भी किसी मानव रहित 

फाटक से गुजरे तो आपने वाहन से उतर कर पहले  रेलवे लाइन पर दोनों
और देख कर सावधानी पूर्वक फाटक पार  करे - रमेश खोला 

विजिटर्स के लिए सन्देश

साथियो , यहां डाली गयी पोस्ट्स के बारे में प्रतिक्रिया जरूर करें , ताकि वांछित सुधार का मौका मिले : रमेश खोला

संपर्क करने का माध्यम

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