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|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

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27 May 2023

scepter of india

 भारत का राजदंड



सेंगोल तमिल भाषा के 'सेम्मई' शब्द से बना है जिसका अर्थ धर्म / सच्चाई या न्याय परायणता है |
देश को आजादी देने से पहले भारत के अंतिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन ने जवाहरलाल नेहरू से पूछा, 'क्या सत्ता हस्तांतरण की कोई प्रक्रिया या समारोह होता है ?'
फिर जवाहरलाल नेहरू जी बोले, "राजाजी" (चक्रवर्ती राजगोपालाचारी) से बेहतर कौन बता सकता है | 
तब 'राजाजी' यानी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने बताया कि चोल वंश की एक परंपरा है जिसमें 'सेंगोल' ( राजदंड ) को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता है | सत्ता से हटने वाला राजा, सत्ता में आने वाले राजा को पुजारियों द्वारा विधि विधान से पूजित "सेंगोल" (राजदंड ) सौंपता है और आदेश देता है कि नया राजा अपनी प्रजा पर 'उचित और न्यायसंगत' तरीक़े से राज करे | यहां विदित रहे की राजा जब जब राजकार्य  के लिए अपने सिंहासन पर बैठता था, तब तब उसके हाथ में संगोल ( राजदंड ) धारण करता था यानि संगोल सत्ता का प्रतीक है सभी की सहमति के बाद राजाजी ने इसे बनवाने के लिए तमिलनाडु के थिरुवदुथुराई अधीनम (मठ) को इसका ज़िम्मा सौंपा गया | मठाधीश ने मद्रास के "वुमुदी बंगारू चेट्टी ज्वैलर्स'"को सेंगोल बनाने को कहा |  तब सुधाकर तथा एथिराजुलू नाम के दो कारीगर इस काम पर लगे और अंततः 5 फ़ुट लम्बा सेंगोल बन कर तैयार हो गया इसके बाद इस संगोल को दिल्ली लाया गया | 14 अगस्त 1947 की रात गाजे-बाजे के साथ चांदी के थाल पर सजा और पीताम्बर में लिपटा हुआ सेंगोल नेहरू जी के घर '17 यॉर्क रोड' पहुंचा. पुजारी ने नेहरू पर जल छिड़का, उनके माथे पर भस्म रगड़ी, कंधों पर पीताम्बर लपेटा और करीब रात " दस बजकर पैंतालीस मिनट" पर सेंगोल उन्हें थमा दिया.
  बताया जाता है कि बाद में इस सेंगोल को नेहरु जी वाकिंग स्टिक के रूप में "नेहरू  म्यूज़ीयम" में रखवा दिया गया था 
 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' मनाते हुए तमिलनाडु में सेंगोल का जिक्र छिड़ा जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने  सुन लिया | इसके बाद सेंगोल को अपने निश्चत स्थान पर स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हुई और अंततः काली सम्वत 5124 / विक्रम संवत 2080 , ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि  (Date 28.05.2023 ) को नए संसद भवन उद्धघाटन के समय नए संसद में माननीय अध्यक्ष जी आसन के  पास प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा इसे स्थापित कर दिया गया  - रमेश खोला 



15 May 2023

BSEH

 BSEH              All Imp Links on One Place              BSEH


12th Result 2024

12th Result 2024 (Open School)

School Login For Admit Card etc


 Affiliation / Enrollment / Marks / Subject Change :  Schools Login


Session Login for Board exam Centre Superintendent
    


12th 2023 :   Link -1       Link-2              
   
10th 2023 :  Link-1      Link-2 




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01 May 2023

SHREE JANKI STUTI



Shree Ram

 जय श्री राम

श्री राम जन्म भूमि "अयोध्या धाम" में पौष मास की शुक्लपक्ष द्वादशी,विक्रम सम्वत 2080 (ग्रेगोरियन तारीख़  22 जनवरी 2024) वार सोमवार को श्री राम लला के नए भव्य और दिव्य मंदिर में माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने प्राण प्रतिष्ठा करवाई  

श्रीराम दरबार

17.12.2023 

भगवान श्री राम चंद्र जी की के पूर्वज 
भगवान श्रीराम चंद्र जी के पिता {माता } नाम : राजा दशरथ {माता कौशल्या }
राजा दशरथ जी के पिता {माता } नाम : राजा अज {माता इन्दुमती}
{महान पत्नी प्रेमी (पत्नी के मृत्यु वियोग में प्राण त्याग दिए थे)}
 राजा अज के पिता  नाम :  राजा नाभाग (द्वितीय )
 राजा नाभाग के पिता  नाम :  राजा ययाति 
 राजा ययाति के पिता  नाम :  राजा नहुष 
 राजा नहुष के पिता  नाम : राजा अम्ब
राजा अम्ब के पिता  नाम : राजा प्रशुश्रुक 
 राजा प्रशुश्रुक के पिता  नाम : राजा मरू 
 राजा मरू के पिता  नाम : राजा शिगरग 
 राजा शिगरग के पिता  नाम : राजा अग्निवर्ण 
राजा अग्निवर्ण के पिता  नाम : राजा सुदर्शन 
 राजा सुदर्शन के पिता  नाम :  राजा शंखण 
 राजा शंखण के पिता  नाम :  राजा प्रवर्ध 
 राजा प्रवर्ध के पिता  नाम :  राजा अंशुमान 
  राजा अंशुमान के पिता  नाम :  राजा दिलीप 
 राजा दिलीप के पिता  नाम : राजा  दीर्घवाहु
राजा  दीर्घवाहु के पिता  नाम : राजा  खटवाँग
राजा  खटवाँग के पिता  नाम : राजा विश्वसह
राजा  विश्वसह के पिता  नाम : राजा  सतरथ
राजा  सतरथ के पिता  नाम : राजा  मूलक
राजा मूलक के पिता  नाम : राजा  अश्मक
राजा अश्मक के पिता  नाम :राजा सौदास
राजा सौदास के पिता  नाम : राजा सुदास
राजा सुदास के पिता  नाम : राजा सर्वकाम
 राजा सर्वकाम के पिता  नाम : राजा  ऋतुपर्ण
राजा ऋतुपर्ण के पिता  नाम : राजा अयुतायुष
राजा अयुतायुष के पिता  नाम : राजा सिन्धुदीप
राजा सिन्धुदीप के पिता  नाम : राजा नाभ
राजा नाभ के पिता  नाम : राजा श्रुत
 राजा श्रुत के पिता  नाम :  महाराजा भगीरथ 
{ जो माँ गंगा (नदी ) को धरती पर लाये थे }
 महाराजा भगीरथ जी के पिता  नाम :  राजा कुकुस्थ 
राजा कुकुस्थ के पिता  नाम : राजा दिलीप 
राजा दिलीप के पिता  नाम : राजा अंशुमान
राजा अंशुमान के पिता  नाम :  राजा रघु 
( जिनके नाम से वचन पालन के लिए मुहावरा, आज भी प्रचलित है " रघुकुल रीत सदा चली आई , प्राण जाये पर वचन न जाई" )
 राजा रघु जी के पिता  नाम :  राजा असमञ्ज (अमंजस)
 राजा असमञ्ज  जी के पिता  नाम :  राजा सगर
राजा सगर के पिता  नाम :  राजा बाहु (बाहुक)
राजा बाहु के पिता  नाम :  राजा वारिक (वृक)
राजा वारिक (वृक) के पिता  नाम : राजा असित  
  राजा असित के पिता  नाम :  महाराजा भरत 
( जिनके नाम पर हमारे देश का नाम " भारत " पड़ा )
महाराजा भरत के पिता  नाम :  राजा ध्रुवसन्धि 
राजा ध्रुवसन्धि के पिता  नाम :  राजा सुसन्धि 
राजा सुसन्धि के पिता  नाम : राजा भसक
राजा भसक के पिता  नाम :  राजा विजय
राजा विजय के पिता  नाम :  राजा वसुदेव
राजा वसुदेव के पिता  नाम :राजा चम्प
राजा चम्प के पिता  नाम : राजा रोहिताश
रोहिताश के पिता  नाम :  राजा हरिश्चन्द्र (सत्यवादी)
राजा हरिश्चन्द्र के पिता  नाम : राजा सत्यवृत (त्रिशंकु)
राजा सत्यवृत (त्रिशंकु) के पिता  नाम : राजा निबंधन
राजा निबंधन के पिता  नाम : राजा अरुण
राजा अरुण के पिता  नाम : राजा हर्यश्व
राजा हर्यश्व के पिता  नाम : राजा अनरण्य
राजा अनरण्य के पिता  नाम : राजा त्रसदस्यु
राजा त्रसदस्यु के पिता  नाम : राजा पुरुकुत्स
राजा पुरुकुत्स के पिता  नाम :  महाराजा मान्धाता
 (त्रेता युग के प्रथम राजा)
 राजा मान्धाता जी के पिता  नाम : राजा युवनाश्व (द्वितीय )
राजा युवनाश्व के पिता  नाम :राजा सेनजीत 
राजा सेनजीत  के पिता  नाम : राजा कृशाष्व
राजा कृशाष्व के पिता  नाम : राजा वर्हणाश्व
राजा वर्हणाश्व के पिता नाम : राजा निकुम्भ
 राजा निकुम्भ के पिता  नाम : राजा हर्यश्व
राजा हर्यश्व के पिता  नाम : राजा दृढाश्व
राजा दृढाश्व के पिता  नाम :   राजा धुन्धुमार 
  राजा धुन्धुमार जी के पिता  नाम :  राजा वृहदश्व
राजा वृहदश्व के पिता  नाम : युवनाश्व (प्रथम)
युवनाश्व (प्रथम) के पिता  नाम : राजा हरीश चंद्र (प्रथम)
 हरीश चंद्र के पिता  नाम :राजा विश्वरन्धि
राजा विश्वरन्धि के पिता  नाम :  महाराजा पृथु 
( जिनका पूरी धरती पर राज था और इन्ही के नाम पर धरती का नाम "पृथ्वी" पड़ा )
  महाराजा पृथु के पिता  नाम :  राजा अनरण्य (प्रथम)
 राजा अनरण्य (प्रथम) के पिता  नाम : राजा पुरन्जय
राजा पुरन्जय के पिता  नाम : राजा विकुक्षि 
राजा विकुक्षि के पिता  नाम : राजा कुक्षी 
राजा कुक्षी  के पिता  नाम :राजा इक्ष्वाकु
कोसल राज्य की राजधानी साकेत (अयोध्या) को बनाया
राजा इक्ष्वाकु के पिता  नाम : राजा रथीतर
राजा रथीतर के पिता  नाम : राजा पृषदश्व
राजा पृषदश्व के पिता  नाम : राजा विरुप 
राजा विरुप  के पिता  नाम : राजा अम्बरीष
राजा अम्बरीष के पिता  नाम : राजा नाभाग (प्रथम)
राजा नाभाग के पिता  नाम : राजा  मनु 
 { प्रथम मानव : धरती पर प्रथम मानव मनु ही थे , धरती के सभी मानव मनु की संतानें है,  विज्ञानं जिन्हे होमो सेपियन्स (Homo sapiens) मनुष्य अथवा मानव कहती है वे सभी मनु की संताने है , मनु से ही मनुष्य और मानव शब्दों का निर्माण हुआ है , मनु ने  "मनु संहिता" के रूप में मनुष्य के लिए प्रथम "Rule Book " ( नियम/कानून की पुस्तक / संविधान ) का निर्माण किया था }
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राजा मनु के पिता नाम : विवस्वान (सूर्य
विवस्वान (सूर्य) के पिता  नाम :  कशयप ऋषि 
 कशयप ऋषि के पिता  नाम : मारीचि ऋषि 
 मारीचि ऋषि के पिता  नाम : भगवान ब्रह्मा जी 
( सृष्टि के रचयिता )

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BHAJAN

भजन : वह राम भक्त तुलसी ब्रज धाम जा रहा है .........

वृंदावन के वृक्ष को मरम ना जाने कोई
जहां डाल डाल और पात पात पर राधे राधे होए ।।

वह राम भक्त तुलसी ब्रज धाम जा रहा है
जहां राधे राधे राधे, हर कोई गा रहा है।।

धुन राधे राधे मानो पत्तो से आ राही है
जन जन से आ रही है कण कण से आ रही है।।

क्या दिव्य कीर्तन है आनंद सा आ रहा है
क्या दिव्य कीर्तन है आनंद सा आ रहा है
जहां राधे राधे राधे, हर कोई गा रहा है।।

तुलसी या ब्रज भूमि में कहाँ राम संग बैर 
जहाँ राधे राधे रटत हैं आक ढाक और कैर 

गोविंद को तुलसी ने माथा झुका दिया क्या
बोला पुजारी हंसकर पाला बदल दिया क्या।।

भक्ति में कितना बल है , तुलसी बता रहा है।।
वह राम भक्त तुलसी ब्रज धाम जा रहा है
जहां राधे राधे राधे, हर कोई गा रहा है।।

का कहु छवि आपकी भले बने हो नाथ
तुलसी मस्तक तभी नवे जब धनुष बाण हो हाथ।।

प्रबल प्रेम के पाले पढ़ते 
प्रभु को नियम बदलते देखा।।

अपना मान टले  टल  जाए
पर भक्त का मान ना टलते देखा।।

कित गई चंद्रिका कित गई मुरली 
कित गोपिन को साथ।।

अपने भक्त के करण
श्रीकृष्ण बने रघुनाथ।।

गोविंद कृष्ण देखो अब राम बन गए हैं
उनको प्रणाम करके तुलसी भी कह रहे हैं।।

मेरा राम ही यहां पर
मुरली बजा रहा है।।

मुरली बजा रहा है।।
माखन चुरा रहा है 
जहां राधे राधे राधे हर कोई गा रहा है।।

मेरा राम ही गऊ  सेवक, जो कृष्ण बनके आया
मुरली पे जिसने देखो बस राधे  राधे गाया।।

तब रार हो रही थी अब रास हो रहा है
अब राधे राधे राधे हर कोई गा रहा है।।

वह राम भक्त तुलसी ब्रज धाम जा रहा है
जहां राधे राधे राधे, हर कोई गा रहा है।।

नोट : ब्लॉग आनर (रमेश खोला ) उपर्युक्त "वेब सामग्री" की पुष्टि नहीं करता है. ये केवल सुने हुए/पढ़े हुए ज्ञान व  सोसल मिडिया / प्रिंट मिडिया / डिजिटल वर्ड पर आधारित है |  इस बारे संबधित विशेषज्ञ / पुस्तकों / साहित्यों / वेब साइट  आदि से उपर्युक्त सामग्री के तथ्यों की सत्यता के बारे में जानकारी जरूर प्राप्त कर लें  - रमेश खोला 

25 March 2023

MAA

 नवरात्री स्पेशल कहानी 

माँ के चमत्कार 

माँ नयना देवी 

सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह ने "माता नयना देवी के मंदिर" में तपस्या की और एक साल से अधिक समय तक मंदिर में हवन किया था। मान्यता है कि तपस्या व हवन से खुश होकर मां भवानी ने स्वयं प्रकट होकर गुरु जी को प्रसाद के रूप में तलवार भेंट की। हवन के बाद जब गुरु गोबिंद सिंह जी "आनंदपुर साहिब" जाने लगे तब माता नयना देवी ने "अपने तीर की नोक से तांबे की एक प्लेट पर अपने पुरोहित को हुक्मनामा लिखकर दिया" , जो आज भी सुरक्षित है ।

जय भवानी .........जय वरदानी 

17 March 2023

Counseling

Filling the preferences for Temporary posting of Principal

See Vacancies for Principal

Fill Preferences

Filling the preferences upto 05.05.2023 (11:59:59 midnight)

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Online Counseling for Different Posts in Education Department Haryana

Notice and Vacancies for Headmaster (High School) (PHC Quota)

Online Counselling for Head Master

Last Date : 19.03.2023 (11:59:59 midnight)

07 February 2023

eternal knowledge

 सनातन ज्ञान 

आज का पंचांग

क्या आप जानते है .........?

✹ प्रश्न :  भगवान श्री रामचंद्र जी ने माता सीता के स्यंवर में जो धनुष तोडा था उसका क्या नाम था ?

उत्तर : माता सीता के स्यंवर की शर्त जिस धनुष पर प्रत्यंचा चढाने की थी उस धनुष का नाम "पिनाक " था । 

विवरण :  यह "पिनाक" नाम का धनुष , भगवान  शिव का था , दैत्य त्रिपुरासुर  का वध इसी धनुष से किया था यह बहुत ही शक्तिशाली धनुष था ।  इसकी एक टंकार से धरती फट सकती थी बड़े से बड़ा पर्वत रेत के समान हो सकता था । बाद में इस धनुष को राजा जनक के पूर्वज निमि के ज्येष्ठ पुत्र "देवराज" को दे दिया गया  । "पिनाक शिव-धनुष" उन्हीं की धरोहरस्वरूप राजा जनक के पास सुरक्षित था। इस विशालकाय धनुष को कोई भी उठाने की क्षमता नहीं रखता था लेकिन भगवान श्री रामचंद्र जी ने इसे उठाकर इसकी प्रत्यंचा चढ़ानी  चाही तब यह एक झटके में टूट गया अर्थात खंडित हो गया । 


✹ प्रश्न : जैसे श्री गणेश जी का वाहन चुहा है वैसे हनुमान जी का वाहन क्या है ?

उत्तर : श्री हनुमान जी का वाहन " वायु " है  

विवरण : 'हनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्र' के 72वें श्‍लोक में उन्हें 'वायुवाहन:' कहा गया है 


✹ प्रश्न :  श्री हनुमान जी की गदा का क्या नाम है ?

उत्तर : हनुमान जी की गदा का नाम "कौमोदकी" है।

विवरण :  उनको यह गदा धनपति कुबेर ने दी थी ।

खड्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशाङ्कुशसुपर्वतम् ।

मुष्टिद्रुमगदाभिन्दिपालज्ञानेन संयुतम् ॥ ८॥

एतान्यायुधजालानि धारयन्तं यजामहे ।

प्रेतासनोपविष्टं तु सर्वाभरणभूषितम् ॥ ९॥

Battery के जनक "अगस्त्य ऋषि" के अनुसार हनुमान जी 10 अस्त्र शस्त्र धारण करते है 

 1.खड्ग (तलवार ),  2.त्रिशूल,  3.खट्वांग,  4.पाश,  5.पर्वत,  6.अंकुश,  7.स्तम्भ, 8.मुष्टि,  9.गदा और 10.वृक्ष 

नोट : अगस्त्य संहिता में "विद्युत का उपयोग" यानि  इलेक्ट्रोप्लेटिंग (Electroplating) के लिए करने का विवरण है।


19 January 2023

SHREE SHYAM SHIVIR

छठा , श्री श्याम सेवा शिविर  

विक्रम सम्वत- 2080 (सन 2024)
फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष चतुर्थी  (13 March )
से
फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष एकादशी (20 March) तक
 स्थान : बाबा शांतिनाथ मंदिर, मोहल्ड़ा (महेंद्रगढ़)
 visit on Google Map
आयोजक : श्री श्याम-शिव सेवा मंडल , डहीना-निमोठ-मोहल्ड़ा-कपूरी 
9868760658,  9812468936,  9416329702, 9306407445, 9050899274,9050842121.9466792329,8818071565.9416439073
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हम सेवक  Video Song















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Kanhaiya Mittal @ Dahina : 18 Sept 2023 LIVE Location

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पाँचवा, श्री श्याम सेवा शिविर  

विक्रम सम्वत- 2079 (सन 2023)
फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष षष्टी (25 February )
से
फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष एकादशी (3 March) तक
 स्थान : बाबा शांतिनाथ मंदिर, मोहल्ड़ा ( महेंद्रगढ़ ) 

आयोजक : श्री श्याम-शिव सेवा मंडल , डहीना-निमोठ -मोहल्ड़ा 
9868760658,  9466792329,  9466896693, 9306407445, 9306639005
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25 November 2022

200000 Visitors

मार्गशीर्ष मास , शुक्लपक्ष द्वितीया , विक्रम सम्वत- 2079  (25 November 2022)


विजिटर्स के लिए सन्देश

साथियो , यहां डाली गयी पोस्ट्स के बारे में प्रतिक्रिया जरूर करें , ताकि वांछित सुधार का मौका मिले : रमेश खोला

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