rameshkhola

|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

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21 March 2024

Road_Safety

 सड़क सुरक्षा 



क्या आप जानते है ? 

आपके वाहन के टायर पर उसकी गति सीमा अंकित होती है 


प्रत्येक वाहन के टायर पर चार अंकों की संख्या लिखी होती है, पहले दो अंक निर्माण के सप्ताह, को दर्शाते हैं जबकि आखिरी दो, वर्ष को दर्शाते हैं। टायर खरीदते वक़्त ये जरूर ध्यान रखे , जैसे 0724 का अर्थ है यह टायर साल 2024 के 7 वें सप्ताह में बना था 

आप अपने वाहन के टायरों पर दिए गए लेटर को चेक कर लें प्रत्येक टायर की एक निश्चित गति सीमा के कोड लेटर उस पर लिखे होते है | 

 जो इस प्रकार से है 

अक्षर J का अर्थ है अधिकतम 100 किमी की गति।

अक्षर K का अर्थ है अधिकतम 110 किमी की गति।

अक्षर L का अर्थ है अधिकतम 120 किमी की गति।

 अक्षर M का अर्थ है अधिकतम130 किमी की गति।

अक्षर N का अर्थ है अधिकतम 140 किमी की गति ।

 अक्षर Pका अर्थ है अधिकतम 150 किमी की गति ।

 अक्षर Q का अर्थ है अधिकतम 160 किमी की गति।

अक्षर R का अर्थ है अधिकतम 170 किमी की गति ।

अक्षर S का अर्थ है अधिकतम 180 किमी की गति।

अक्षर T का अर्थ है अधिकतम 190 किमी की गति।

अक्षर U का अर्थ है अधिकतम 200 किमी की गति।

अक्षर H का अर्थ है अधिकतम 210 किमी की गति ।

अक्षर V का अर्थ है अधिकतम 240 किमी की गति ।

अक्षर W का अर्थ है अधिकतम 270 किमी की गति ।

अक्षर Y का अर्थ है अधिकतम 300 किमी की गति ।

अक्षर VR का अर्थ है अधिकतम 210+ किमी की गति।

अक्षर ZR का अर्थ है अधिकतम 240+ किमी की गति।



टायर अधिक से अधिक कितना लोड सहन कर सकते है यह भी टायर पर लिखा होता है 


सड़क सुरक्षा संकेत 


04 March 2024

asth_siddhi

 आठ सिद्धियाँ एवं साधक को प्राप्त होने वाले फल

आठ सिद्धियों स्वामी, माता सीता जी  और श्रीराम जी के प्यारे जी हनुमान जी 



1.  अणिमा :  प्रथम सिद्धि "अणिमा" होती है

 फल: इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक  अपने शरीर को एक अणु के समान सूक्ष्म बनाने की शक्ति प्राप्त कर लेता है।


2. महिमा : दूसरी सिद्धि "महिमा" होती है

फल:  इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक अपने शरीर को असीमित बढ़ाने में सक्षम होता हैं, यह सिद्धि साधक  सरीर को विशाल से विशाल करते मदद करती है 


3.  गरिमा : तीसरी सिद्धि "गरिमा"  होती है 

फल:  इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक अपने शरीर के भार को असीमित तरीके से बढ़ा सकता हैं। साधक का आकार तो वही  रहता हैं, परन्तु उसके शरीर का भार इतना बढ़ जाता हैं कि उसे कोई भी बड़ी से बड़ी शक्ति हिला तक नहीं सकती।


4.  लघिमा : चतुर्थ सिद्धि "लघिमा" होती है

फल:  इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक अपने शरीर को हल्का कर सकता है, अर्थात अपने भार को ना  के बराबर कर सकता है जिससे साधक वह पवन गति से उड़ सकता हैं। 


5. प्राप्ति : पंचम सिद्धि "प्राप्ति" होती है 

फल:  इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक बिना किसी रोक-टोक के किसी भी स्थान पर, कहीं भी आ-जा सकता हैं। अपनी इच्छानुसार अन्य मनुष्यों के सनमुख अदृश्य होकर, जहाँ जाना चाहें वहा जा सकता हैं तथा उसे कोई देख नहीं सकता हैं।


6. प्राकाम्य : छठी सिद्धि "प्राकाम्य" होती है 

फल :  इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक  किसी के मन की बात को जान सकता हैं, फिर चाहे सामने वाला व्यक्ति अपने मन की बात की अभिव्यक्ति करें या न करे , साधक सब जान लेता है 


7.  वशित्व : सातवीं सिद्धि "वशित्व" होती है 

फल :  इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक  किसी भी व्यक्ति को अपने वश में कर सकता हैं। इसे वशीकरण सिद्धि भी कह सकते है 


8.  ईशित्व : आठवीं और अंतिम सिद्धि "ईशित्व" होती है 

फल :  इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक जन्म मरण के चक्र से विमुक्त हो जाता है अर्थात इसे मोक्ष दायिनी सिद्धि भी कह सकते हैं  

28 January 2024

Tiger

सरिस्का से फिर आया बाघ हरियाणा के रेवाड़ी जिले में 17.08.2024 

🔴सावधान🔴

*झाबुआ में पहुंचा टाइगर*


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सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण से आया हुआ बाघ रेवाड़ी में ही घूम रहा है या राजस्थान लौट गया है 

इस अनिश्चितता की स्थिति में रेवाड़ी जिले के नांगल जमालपुर के खेतों में बाघ (शेर) के पैरों के निशान देखने का दावा किया जा रहा है यदि आप में से कोई बाघ के पदचिन्हों को पहचान सकते है तो इस वीडियो को देख कर कमेंट में लिखें कि ये बाघ (शेर) के पैरों के निशान है या किसी अन्य जानवर के,  ताकि लोगों को सही जानकारी मिल सके 

वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें 

Video

 पदचिन्ह

 पदचिन्ह
 पदचिन्ह

...... कमेंट में लिखें , ये किस जानवर के पैरों के निशान (पदचिन्ह) हो सकते है  

27 January 2024

Important Judgement

 न्यायालय (कोर्ट) के कुछ महत्वपूर्ण फैसले की न्यूज़  






07 January 2024

बाबा सायर

     बाबा सायर मंदिर, डहीना    

ब्रह्मलीन बाबा सायर 

   ज्वाइन व्हाट्सप्प ग्रुप 


बाबा सायर मंदिर, डहीना 

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मकर संक्रांति महोत्सव 14 जनवरी 2025 (मंगलवार)


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VIDEOS

सतगुरु जी मेरे साथ हैं अब डरने की क्या बात  New

तुम साथ हो जो मेरे किस चीज है 

भोले तेरे दरबार में 

सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि

मेरे शम्भू मेरे संग रहना 

लौट के मुश्किल मेरा घर को जाना हो गया 

जय जय शम्भू 

हम तो बाबा के भरोसे

भोले का भक्त 

बाबा सायर धाम

दादा सायर

जहाँ जहाँ तेरे पांव पड़े 

लाडला चेला 

तेरा नशा है 

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तीज मेला 2024

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मकर सक्रांति महोत्सव 2024 



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बाबा सायर का इतिहास 

गाँव डहीना रेवाड़ी जिले में स्थित है , पहले यह गाँव महेंद्रगढ़ जिले में आता था उससे पहले यह गाँव गुरुग्राम (गुड़गाँवा) जिले में आता था | ऐसा कहा जाता है कि गाँव डहीना "दादा रंगराज" ( कई लोग "दादा दुर्गा प्रसाद" नाम भी बताते है) ने बसाया था |  जिनकी याद में "बाबा भैया" का मंदिर बनाया हुआ है | जिसे "खेड़ा का धनि" भी कहते है अर्थात इन्होने ही यह खेड़ा (गाँव ) बसाया था | 
इनके चार पुत्र थे, कहीं कहीं सुनने में आता है कि इनके पांच पुत्र थे 
1. राजू 
2. पेचू 
3. सायर 
4. ना औलाद (नाम ज्ञात नहीं है)

5. जैना (सुनने आता है कि जैना उनका पाँचवा पुत्र था )


1. राजू के नाम  से राजास  पट्टी है , इस पट्टी में बाबा राजू की संताने बसती है  |
2. पेचू  के नाम  से पचायन पट्टी है , इस पट्टी में बाबा पेचू की संताने बसती है |
3. सायर के नाम  से सायर पट्टी है , इस पट्टी में बाबा सायर की संताने बसती है |

............ ऐसा सुना है बाबा सायर ने अपने, नाऔलाद मृत्यु को प्राप्त भाई की जमीन गऊओं के लिए छोड़ने को कहा था लेकिन बाबा  राजू और बाबा पेचू नहीं माने और जमींन राजास और पचायन पट्टी ने आपस में बाँट ली , बाबा सायर ने  उसकी जमीन  लेने से इंकार कर दिया इसी  कारण यदि कुल 100 एकड़ जमीन  माने  तो राजास के पास 37.5 एकड़ (3/8हिस्सा) , पचायन  के पास 37.5 एकड़ (3/8हिस्सा)  और सायर के पास 25 एकड़ (1/4 हिस्सा ) जमीन है |

" बाबा सायर "
 "दादा रंगराज" उर्फ़  "दादा दुर्गा प्रसाद" जी का एक  पुत्र  "शेर सिंह" था जिसका नाम अपभ्रंश होते हुए "सायर सिंह" हुआ और बाद उन्हें लोग "सायर" के नाम से जानने लगे जिसे अब हम "बाबा सायर" कहते है  | जिनकी याद में "बाबा सायर वाला जोहड़ और मंदिर" आज भी गाँव डहीना में स्थित है |

 सायर बाबा की याद  97 कनाल 15 मरला जमीन पर सायरवाला जोहड़ और बाबा सायर की यादगार बनी हुई थी , सायरवाला जोहड़ में उस समय कृष्णावती ( कंसावती नदी ) आकर गिरती थी जो बुचारा बांध ( जो जयपुर के नजदीक राजस्थान राज्य में स्थित है ) बनने से आणि बंद हो गयी , जिसकी अब सन 2025 में  निमोठ गाँव तक खुदाई की जा चुकी है |

1960-61

continue................ plz visit again

18 December 2023

Beneshwar

                हम भारतीय इतने नादान है कि कोई नस्त्रेदमंन जैसा विदेशी कुछ भविष्यवाणी कर दे दो उसे ढोल बजा बजा कर अपनी पीडियो तक इस बात को पहुंचाते है कि विदेशी कितने विद्वान होते है और हम कितने बुद्धू हैं  जबकि हमारे देश के भविष्यवक्ताओं के बारे में हम जानते नहीं है या जानना नहीं चाहते है या जान जाते है तो उसका जिक्र किसी से नहीं करते है , ऐसी प्रवृति ने ही भारत की अतुल्य ज्ञान संस्कृति को नष्ट कर दिया है 

मैं ( RAMESH KHOLA ) आपको यहाँ राजस्थान की मरू भूमि में वागड़ धाम (नजदीक बांसवाड़ा-डूंगरपुर) में स्थित बेणेश्वर धाम (त्रिवेणी संगम) के " महंत मावजी महाराज" के बारे में कुछ बताना चाहता हूँ  | बेणेश्वर धाम (त्रिवेणी संगम) महंत मावजी महाराज द्वारा  विक्रम संवत 1784 में  बेणेश्वर में "गद्दी" स्थापित कर माव परंपरा आरंभ की ,जो माही नदी त्रिवेणी पर स्थित है । " महंत मावजी महाराज" को भगवान विष्णु के अंशावतार के रूप में भी जाना जाता है | 

चित्र साभार : सोशल मीडिया

जन्म : इनका जन्म औदीच्य ब्राह्मण (दालम ऋषि) के घर में विक्रम सम्वंत 1771, के माघ मास की शुक्ल पक्ष पंचमी को हुआ , इनकी माता का नाम केशर था | 12 वर्ष की आयु में घोर तपस्या के बाद विक्रम सम्वंत 1784 , के माघ मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को संत रूप में प्राकट्य हुआ | 

मावजी महाराज ने चादर पर चित्रों के माध्यम से भी भविष्य की तस्वीर बनाई थी 

चित्र साभार : सोशल मीडिया

ध्यान से देखने पर आप पाएंगे  कि गोल चकरीनुमा आकृति , आदमी के हाथ में माउस जैसा है सामने कम्प्यूटर, की-बोर्ड जैसा है, रॉकेट, मिसाइल, अंतरिक्ष यान , सेटेलाइट, लोग फोन पर बात कर रहे हैं।

भविष्यवाणियां : मावजी महाराज ने बांस की कलम और लाक्षा (लाख) की स्याही से 72 लाख 66 हजार भविष्यवाणियां अपने हाथ से बागड़ी भाषा में लिखी जो आज भी साबला (डूंगरपुर) स्थित मावजी महाराज के जन्म स्थान पर बने मंदिर में सजोकर रखी गई हैं।

बागड़ी भाषा में लिखी हस्तलिपियाँ 

बागड़ी भाषा में महंत मावजी महाराज द्वारा लिखी कुछ भविष्यवाणियां :

भविष्यवाणी बागड़ी भाषा  : धरती तो तांबा वरणी होसी  

अर्थ हिंदी भाषा  : धरती तपकर तांबे के रंग की हो जाएगी, धरती का तापमान बढ़ना  अर्थात ग्लोबलवार्मिंग )

भविष्यवाणी बागड़ी भाषा  : पर्वत गिरी ने पाणी होसी 

अर्थ हिंदी भाषा : पर्वत पिघलकर पानी बनेंगे (ग्लेसियर पिघलना ) 

भविष्यवाणी बागड़ी भाषा  : जमीन आसमान का पर्दा टूटेगा 

अर्थ हिंदी भाषा : जमीन और आसमान के बीच की दीवार टूटेगी (ओजोन मंडल में छेद )

भविष्यवाणी बागड़ी भाषा  : भेंत में भभुका फूटेगा

अर्थ हिंदी भाषा : दीवारों से पानी आएगा (घरों में नल)

भविष्यवाणी बागड़ी भाषा  : डोरिये दीवा बरेंगा

अर्थ हिंदी भाषा : डोरियों से दीपक जलेंगे (बिजली) 

विष्यवाणी बागड़ी भाषा  : परिऐ पाणी वेसाएगा

अर्थ हिंदी भाषा : पानी बेचा जाएगा (बोतलों में पानी बिकता है ) 

भविष्यवाणी बागड़ी भाषा  : वायरे बात होवेगा 

अर्थ हिंदी भाषा : हवा के माध्यम से बात होगी (मोबाइल) 

भविष्यवाणी बागड़ी भाषा  : बग सरणे हंस बिसती, हंस करे बग नी सेवा 

अर्थ हिंदी भाषा : बगुले की शरण में हंस बैठेगा और हंस, बगुले की सेवा करेगा (अयोग्य व्यक्ति की सेवा योग्य व्यक्ति करेगा ) 

भविष्यवाणी बागड़ी भाषा  : चार जुगना बंधन तोड़ी

अर्थ हिंदी भाषा : चार युगों से चले आ रहे जाति-धर्म के बंधन टूटेंगे (अन्तर्जातीय विवाह) 

भविष्यवाणी बागड़ी भाषा  : बधनि सिर थकी भार उतरयसी 

अर्थ हिंदी भाषा : बैलों के सिर पर बोझ हल्का होगा (ट्रेक्टर आदि मशीनों का प्रयोग ) 

भविष्यवाणी बागड़ी भाषा  : बहू बेटी काम भारे, सासु पिसणा पिसेगा 

अर्थ हिंदी भाषा : बहू बेटियां बाहर के काम करेंगी और सास घर का (नौकरीपेशा कामकाजी महिलाएं ) 

ऐसी 72 लाख 66 हजार भविष्यवाणियां मावजी महाराज के द्वारा की गयी जिन सभी का वर्णन यहां करना संभव नहीं है - रमेश खोला, 18.12.2023

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बेणेश्वर धाम पहुंचने के लिए

 Google Map Link

01 December 2023

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Result:

30 November 2023

कटु वचन


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29.11.2023
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🚩जय सनातन🚩
*अहिंसा परमो धर्म:*
हमें ये अधूरा श्लोक रटाया गया और हमारे मन मस्तिष्क में अहिंसा के नाम पर भिरुता को भर दिया गया , यानी अहिंसा की आड़ में  कायरता हमारे अंदर भर दी गई 

अब पूरे श्लोक का अर्थ देखे

*अहिंसा परमो धर्म:,*
*धर्म हिंसा तथैव च ।*

अर्थ सहित व्याख्या :

 'अहिंसा परमो धर्म:' 
अर्थात :
*अहिंसा ही परम धर्म है*

 "धर्म हिंसा तथैव च" अर्थात :
 *धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना भी परम धर्म है*

🚩🚩🚩🚩🚩
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ऐसा बटन दबाना 
घर भी बने गरीब का , कुटिया की रक्षा हो |
मंदिर तिलक कमंडल , चुटिया (चोटी ) की रक्षा हो ||
खेत में लगे किसान की , खटिया की रक्षा हो |
ऐसा बटन दबाना कि , बिटिया की रक्षा हो ||
                                                                                             - 23.11.2023
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विदेशी बम्भो पर भारी भारतीय पटाखे 
एक साल से ज्यादा समय हो गया रूस यूकेन युद्ध को और एक मास से ज्यादा समय हो गया इजरायल और हमास युद्ध को , लेकिन पर्यावरण दूषित होने की केवल एकमात्र वजह एक दिन पूरा नहीं बल्कि 3 -4 घण्टे की पटाखे बाजी है वो भी केवल दीपावली की , तो इससे हम ये कह सकते है कि विदेशी बम्भो पर भारी भारतीय पटाखे ,  अभी 23 नवम्बर से शादियाँ  शुरू हो रही है , वो पटाखे और अन्य धर्म / मजहब के उत्सवों में छूटने वाले पटाखे , पर्यावरण को बिलकुल भी दूषित नहीं करते |
आप कभी विचार करना कि दीपावली से लगभग 1 महीना पहले और लगभग 15 -20 दिन बाद कोई टीवी News चैनल पर्यावरण पर चर्चा करता हो , या दीपावली के बाद प्रदूषण दूर करने के लिए कोई विशेष अभियान जैसे वृक्षारोपन आदि चलाया जाता हो , 10 महीने किसी को चिंता है 
दूसरी बात ध्यान से देखना होली के समय जल ख़त्म हो जाता है , सभी टीवी News चैनल अपना ज्ञान देना शुरू कर देते है , वैसे साल भर खुले नल चलते है किसी का ध्यान नहीं लेकिन होली के दिन , तो बस मानो समुद्र ही सूख  गया हो 
अब आप विचार करो कि वास्तव में पर्यावरण /  जल के हितेषी हैं  या कोई और छिपा एजेंडा हम पर थोपने की कोशिश है
अपनी संस्कृति की रक्षा करो  - रमेश खोला , 13.11.2023






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केतली गर्भ संभूतं , शक्कर पत्ती मिश्रतम
कप मध्य विराजते , चाय चण्डिकाय नमो नमः 
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जिंदगी किस्मत से चलती है,
दिमाग से चलती तो बीरबल बादशाह होता, अकबर नहीं ।
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 ये प्रदूषण केवल दीपावली के पटाखों से ही क्यों बढ़ता है ?
 किसी चुनावी जीत या अन्य आयोजनों पर छूटने वाले  पटाखों से क्यों नहीं बढ़ता ? लाखों टन रोज कोयला फूँक  कर बिजली बनती है , अरबो खरबो  साधन दिनरात चलते है , अरबों फैक्ट्रियां चलती है उनसे प्रदुषण नहीं होता , केवल दीपावली के 10-15 दिन पहले ये नाटक शुरू होता है और दीपावली के बाद ये खत्म हो जायेगा , फिर अगली दीपावली का इन्तजार रहेगा और तो और  यूक्रेन युद्ध में लगभग 10 महीनों से अनगिनत बम  गिराए जा रहे है उनसे किसी वैशविक संस्था का दम  नहीं घुट रहा ? - रमेश खोला , 25.10.2022
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रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 से युद्ध शुरू हुआ था और अब भी चल रहा है , इन 7-8 महीनो में न जाने कितने हजार टन विस्फोटक का प्रयोग हुआ है , लेकिन कमाल का विस्फोटक है कि पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहा क्योकि न भारत के सनातन विरोधियों का ब्यान आया और न ही वैश्विक पर्यावरण रक्षक संस्थाए इसे पर्यावण पर बहुत बड़ा खतरा मान इस युद्ध के विरुद्ध संसार को खड़ा कर पायी और भारत में देखो दिपावली के पटाखे न जाने किस प्रकार के बारूद से बने होते है कि बजने से पहले ही कुछ सनातन संस्कृति विरोधियो की साँस फूला देते है - रमेश खोला , 02.10.2022
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दीपावली आने वाली है , अभी से ही कुछ सनातन और संस्कृति के विरोधी अपनी नाक खुजलाना शुरू कर देंगे , ताकि दीपावली तक पटाखों पर बैन करवा सके | पूरे साल किसी भी उत्सव, ब्याह-शादी , पार्टियों में चलने वाले पटाखे उनकी नज़र में पर्यावरण हितैषी और दीपावली की रात 2-3 घंटे चलने वाले पटाखे उनका दम घोटने वाले होते है - रमेश खोला , 02.10.2022
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भूला बिसरा और वास्तविक अंबेडकर
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पटाखे और उनके प्रकार
( यह एक व्यंग्य है , कोई समझ सके तो अच्छा और न समझे तो और भी अच्छा)
साल के 365 दिनों में केवल 1 दिन (बल्कि पूरा दिन भी नहीं मात्र 4-5 घंटे ) दीपावली की आतिशबाजी - वायु प्रदुषण करती है
364 दिनों में इलेक्शन में जीत के पटाखे - वायु प्रदुषण नहीं करते
364 दिनों में भारत की हार पर चलने वाले पटाखे - वायु प्रदुषण नहीं करते
364 दिनों में हिन्दू धर्म को छोड़ कर अन्य धर्मो के उत्सवों में होने वाली आतशबाजी - वायु प्रदुषण नहीं करती
364 दिनों में वाहन , फैक्ट्रियां आदि - वायु प्रदुषण नहीं करते
  - रमेश खोला  01.11.2021
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भारत और भारत की राष्ट्रवादी सरकार (मोदी सरकार) का डर चीन में इतना है कि  कभी "वन चाइल्ड पॉलिसी" अपनाने वाले चीन  ने 2016 में "टू चाइल्ड पॉलिसी" और 2021 में "थ्री चाइल्ड पॉलिसी" अपना ली है 
  - रमेश खोला  02.10.2021
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विजय विट्ठल मंदिर ( कर्नाटक )
इस मंदिर में 56 संगीतीय स्तंभ जिनसे सात स्वरों का संगीत निकलता है केंद्र में  एक मुख्य स्तम्भ है (केंद्रीय स्तम्भ को एक वाद्ययंत्र के रूप में बनाया गया है ) इसके चारों और छोटे छोटे 7 स्तम्भ हैं, जब आप इन्हें चंदन की लकड़ी से छूते हो तो इनसे "सा रे गा मा" के स्वर निकलते हैं
रिसर्च से पता चला है कि ये खम्भे ग्रेनाइट के एक उन्नत मिश्रण Geo Polymer में सिलिकॉन पार्टिकल्स और दूसरे मिश्र धातुओं से मिलकर बने हैं, लेकिन वैज्ञानिक हैरान हैं कि Geo Polymer का अविष्कार तो 1950 के दशक में ( 20 वीं शताब्दी में ) सोवियत यूनियन में हुआ था पर ये स्तम्भ तो 15 वीं शताब्दी के हैं यानि की लगभग 500 साल पुराने हैं. अब आप बताओ कि Geo Polymer का आविष्कार कहाँ हुआ था ?
अब तो मानोगे की भारत ही विश्व गुरु था                     - रमेश खोला  27.09.2021
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देह धरे को दण्ड है, सब काहू को होय।
ज्ञानी कटे ज्ञान से, मूरख काटे रोय।। 
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अपने भाई को जी भर दुलार देती है ,
अपनी खुशियाँ भी भाई पर वार देती है !
लड़ता है भाई बेशक़, वजह - बेवजह,
बहने तो बस स्नेह और प्यार देती है !! 
- रमेश खोला , 22.08.2021
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दीपावली आ रही है, हिन्दू त्यौहार विरोधी लॉबी जिन्हे होली के अवसर पर पानी डालने से धरती के पानी ख़त्म होने का अहसाह होता है, उनकी नाक में दिवाली के पटाखे का धुंआ पटाख़े छूटने  से पहले ही घुस जायेगा और पटाखों का विरोध शुरू कर देंगे - रमेश खोला , 07.11.2020
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खाके देशी रोट , कमाऊँ खेतां मै ,
फौजी बन, मैं आन बचाऊँ  देशां मै  I 
चौपाला में हंसी-ठठ्ठा और सांग चले ,
नंबर वन हरियाणा सै यो किस्सां मै  II
                                     - रमेश खोला , 01.11.2020
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कर्तव्य हमारी संस्कृति है , प्राचीन काल से हमारे पूर्वज अपने कर्तव्यों के लिए अपने निजी जीवन को भी देश / समाज हित  में लगा देते थे राजा शिवि ने अपने कर्तव्य पालन करते हुए अपना स्वयं का मांस दान कर दिया , राजा हरिश्चंद्र , राजा श्री राम चंद्र ( भगवान  राम ) आदि अनेको उदाहरण है अर्थात अधिकार से पहले कर्तव्य का स्थान है। संविधान में मौलिक कर्तव्य सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर  सन  1976 में 42वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया,  वर्तमान समय में  प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह संविधान और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्र गान  आदि राष्ट्रीय प्रतीकों का आदर करते हुए वह भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे - रमेश खोला 02.10.2020
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खबर - दुनिया को अगली महामारी के लिए तैयार रहना चाहिए, कोरोना आखिरी नहीं-विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख
खबर का जवाब - जब तक धरती पर चीन का अस्तित्व है तब तक तैयार ही रहना चाहिए , "विश्व की बीमारी चीन" का अंत जरुरी है, चोर को नहीं चोर की माँ का खात्मा जरुरी है ताकि आगे जन्म ही न दे सके , बीमारी की जड को काटना जरुरी है - रमेश खोला , 08.09.2020
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जो भारतीय सेना के शौर्य का सबूत मांगते है उन्हें फाइटर प्लेन से सबूत वाली जगह पर ड्रॉप करने की व्यवस्था कर दी जाये तो अपनी आँखों से हमारे शूर वीरो के पराक्रम का सबूत देख कर संतुष्ट हो जायेंगे - रमेश खोला , 02.09.2020
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लोकतंत्र का हृदय " ‘राइट-टू-रिकॉल’ " ग्राम पंचायत स्तर पर , लाने वाला हरियाणा भारत का प्रथम राज्य होगा , माननीय प्रधानमंत्री जी से निवेदन है कि केवल ग्राम पंचायत स्तर पर ही नहीं बल्कि विधानसभा , लोकसभा में भी इसे लागू किया जाये
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         भारत का यही दुर्भाग्य रहा है कि हम अपनी उपलब्धियों को स्वयं ही नकार देते है जबकि दूसरे देश अपनी अदनी सी उपलब्धि को भी हम पर थोपने में सफल  हो जाते है  जैसे हनुमान चालीसा में लिखी गयी धरती से सूरज की दूरी "जुग सहस्त्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।। " को स्वीकार नहीं करते बल्कि उसके हजारो वर्ष बाद दूसरे देश के लोगो द्वारा बताई गयी उसी दूरी  को सही मान लेते है ,रामसेतु जो समुद्र पर संसार का प्रथम सबसे लम्बा मानव निर्मित पुल है जिसका निर्माण भारत ने ( श्रीराम ने नल-नील और वानर सेना की सहायता से ) करवाया था , इस गर्व की बात को मानने की बजाय श्रीराम को ही काल्पनिक मानना ही थाकथित बुद्धिजीवियों को सरल काम लगा तभी विदेशियों ने रामसेतु को Adam's Bridge कहना शुरू कर दिया , आओ Adam के बारे में कुछ जाने, कि ये कौन थे ?  

                ईसाई और इस्लामी परंपराओं के अनुसार  Adam और Eve (एडम और ईव) मूल मानव युगल यानि धरती पर प्रथम मानव जोड़ा या यूँ कहें कि  ईसाई और इस्लामी परंपराओं के अनुसार मानव जाति के माता-पिता थे , यहाँ आपको ये भी  भी याद दिलाना जरुरी है कि  भारत के मत्स्य पुराण के अनुसार मनु और अनंति को मूल मानव युगल यानि  प्रथम मानव जोड़ा या यूँ कहें कि मानव जाति के माता-पिता माना जाता है , ऐसे ही कोरोना की दवा रूस से पहले भारत (पतंजलि/ बाबा रामदेव) ने बना ली थी लेकिन WHO के मना करने पर भी हम भारतवासी रूस द्वारा कोरोना की दवा बनाने के दावे को सही मान रहे है , भारवासियों में आत्मविश्वास की इस कमी को कुछ गुलामीपसंद सदा बनाये रखना चाहते है , परन्तु वास्तव में भारत विश्व गुरु था , है और रहेगा " जय भारत - जय भारती " वन्दे  मातरम  - रमेश खोला, 12.08.2020

                            

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वाह ! क्या बात है .........................मानव स्वभाव भी अजीब ही है....................

   "किसी व्यक्ति को जानवर कहो तो वो नाराज हो जाता है

और उसे शेर कह दो तो फूला नहीं समाता है" - रमेश खोला, 08.08.2020 

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सोवा साधु जगाइए, करे नाम का जाप ।

यह तीनों सोते भले, सकित,सिंह और साप ॥
01.08.2020

27 November 2023

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17 November 2023

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