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|| A warm welcome to you, for visiting this website - RAMESH KHOLA || || "बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है"- चाणक्य ( कौटिल्य ) || || "पुरुषार्थ से दरिद्रता का नाश होता है, जप से पाप दूर होता है, मौन से कलह की उत्पत्ति नहीं होती और सजगता से भय नहीं होता" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए, उसे जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए" - चाणक्य (कौटिल्य ) || || "कुमंत्रणा से राजा का, कुसंगति से साधु का, अत्यधिक दुलार से पुत्र का और अविद्या से ब्राह्मण का नाश होता है" - विदुर || || सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास - गोस्वामी तुलसीदास (श्रीरामचरितमानस, सुंदरकाण्ड, दोहा संख्या 37) || || जब आपसे बहस (वाद-विवाद) करने वाले की भाषा असभ्य हो जाये, तो उसकी बोखलाहट से समझ लेना कि उसका मनोबल गिर चुका है और उसकी आत्मा ने हार स्वीकार कर ली है - रमेश खोला ||

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02 October 2025

haryana GK

Haryana current general knowledge  
     
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    Last Update on :    04 Oct 2025         

हरियाणा राज्य का गठन :1 नवंबर, 1966   ( मंगलवार )

 हरियाणा राज्य का क्षेत्रफल :  44,212 वर्ग किलोमीटर

हरियाणा राज्य का क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा जिला : सिरसा

हरियाणा राज्य का क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे छोटा जिला : फरीदाबाद

प्रश्न : वर्तमान में हरियाणा में कितने जिले है ?
उत्तर : 22 ( नीचे मानचित्र देखे)
मानचित्र साभार  : मैप्स ऑफ़ इंडिया . कॉम 
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     Sh Ashim Kumar Ghosh
 Hon'ble  Governor of Haryana

   हरियाणा का मंत्रिमंडल 

Nayab 2.0 Chief Minister & Cabinet/State Ministers


1. Shri Nayab Singh, (श्री नायब सिंह सैनी)
Chief Minister (मुख्यमंत्री)

1. Home (गृह)
2. Finance, Institutional Finance & Credit Control (वित्त, संस्थागत वित्त और ऋण नियंत्रण)
3. Planning (योजना)
4. Excise and Taxation (आबकारी एवं कराधान)
5. Town & Country Planning and Urban Estates (नगर एवं ग्राम नियोजन और शहरी संपदा)
6. Information, Public Relations, Language and Culture (सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति)
7. Administration of Justice (न्याय प्रशासन)
8. General Administration (सामान्य प्रशासन)
9. Housing for All (सभी के लिए आवास)
10. Criminal Investigation / C.I.D (सीआईडी)
11. Personnel & Training (कार्मिक एवं प्रशिक्षण)
12. Law and Legislative (विधि एवं विधायी)
13. Any other department not allotted to any other
Minister. (कोई अन्य विभाग जो किसी अन्य मंत्री को आवंटित न हो)


2. Shri Anil Vij,
Cabinet Minister

1. Energy (बिजली)
2. Transport (परिवहन)
3. Labour (श्रम)


3. Shri Krishan Lal Panwar,
Cabinet Minister

1. Development & Panchayat (विकास एवं पंचायत)
2. Mines & Geology (खान एवं भूविज्ञान)


4. Shri Rao Narbir Singh,
Cabinet Minister

1. Industries & Commerce ( उद्योग एवं  वाणिज्य)
2. Environment, Forests and Wild Life (पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव)
3. Foreign Cooperation (विदेशी सहयोग)
4. Sainik & Ardh Sainik Welfare (सैनिक एवं अर्ध सैनिक कल्याण)



5. Shri Mahipal Dhanda,
Cabinet Minister

1. School Education (स्कूल शिक्षा)
2. Higher Education (उच्च शिक्षा)
3. Archives (अभिलेखागार)
4. Parliamentary Affairs (संसदीय मामले)


6. Shri Vipul Goel,
Cabinet Minister

1. Revenue & Disaster Management (राजस्व एवं आपदा प्रबंधन)
2. Urban Local Bodies (शहरी स्थानीय निकाय)
3. Civil Aviation (नागरिक उड्डयन)


7. Shri Arvind Kumar Sharma,
Cabinet Minister

1. Co-operation (सहकारिता)
2. Jails (जेल)
3. Elections (चुनाव)
4. Heritage & Tourism ( विरासत एवं पर्यटन)


8. Shri Shyam Singh Rana,
Cabinet Minister

1. Agriculture & Farmers Welfare (कृषि एवं किसान कल्याण)
2. Animal Husbandry & Dairying (पशुपालन एवं डेयरी)
3. Fisheries (मत्स्य पालन)


9. Shri Ranbir Gangwa,
Cabinet Minister

1. Public Health Engineering (पब्लिक हेल्थ)
2. Public Works (Building & Roads)/ पी डब्ल्यू डी (भवन एवं सड़क)


10. Shri Krishan Kumar,
Cabinet Minister

1. Social Justice, Empowerment, SCs & BCs Welfare
and Antyodaya (SEWA) (.सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति  पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं अंत्योदय (सेवा))
2. Hospitality (आतिथ्य सत्कार)
3. Architecture (वास्तुकला)


11. Smt. Shruti Choudhry,
Cabinet Minister

1. Women & Child Development (महिला एवं बाल विकास)
2. Irrigation & Water Resources (सिंचाई एवं जल संसाधन)


12. Ms. Arti Singh Rao,
Cabinet Minister

1. Health (स्वास्थ्य)
2. Medical Education & Research (चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान)
3. Ayush (आयुष)


13. Shri Rajesh Nagar,
Minister of State

1. Food, Civil Supplies & Consumer Affairs (खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले)
(Independent charge) (स्वतंत्र प्रभार)
2. Printing & Stationery (मुद्रण एवं लेखन सामग्री)
(Independent Charge) (स्वतंत्र प्रभार)


14. Shri Gaurav Gautam,
Minister of State

1. Youth Empowerment & Entrepreneurship युवा सशक्तिकरण एवं उद्यमशीलता
(Independent Charge) (स्वतंत्र प्रभार) 
2. Sports (खेल)
(Independent Charge) (स्वतंत्र प्रभार) 
3. Law & Legislative विधि एवं विधायी 
(Attached) (जुड़ा हुआ)



2024 Election Result

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हरियाणा के राज्यपाल : माननीय श्री असीम कुमार घोष ( 21 July 2025 to Till Date )

 हरियाणा के मुख्यमंत्री : श्री नायब सिंह सैनी    BJP ( 12 March 2024 to Till Date )

 हरियाणा के उपमुख्यमंत्री :  कोई नहीं 

 हरियाणा के प्रथम मुख्य सचिव कौन थे - श्री सरूप कृशेन ICS ,  (01 Nov 1966 to 28 March 1972)

मुख्य सचिव हरियाणा :  श्री अनुराग रस्तोगी  ( 20 Feb 2025 to Till Date)

हरियाणा की वर्तमान में कौन सी विधानसभा है : 15 वीं  ( 08 Oct 2024 )

हरियाणा विधानसभा में कितनी शीटें है : 90 शीटें  ( 73 सामान्य  + 17 SC रिजर्व )
सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र (मतदाता संख्या के आधार पर) - बादशाहपुर 
(2024 में लगभग 5,21,000 मतदाता)  Poll 282285 in 2024 Election

सबसे छोटा  विधानसभा क्षेत्र (मतदाता संख्या के आधार पर) - नारनौल (2019 में गभग 1,44,066 मतदाता )  Poll 106576 in 2024 Election

हरियाणा से लोक सभा में कितनी शीटें है : 10

हरियाणा से राज्य सभा में कितनी शीटें है : 5

हरियाणा विधानसभा के आगामी चुनाव कब होंगे :  2029 में  संभावित 

 हरियाणा विधान सभा के अध्यक्ष कौन हैं? —- श्री हरविंदर कल्याण

 हरियाणा विधान सभा अध्यक्षश्री हरविंदर कल्याण किस विधान सभा सीट से MLA हैं ? — घरौंदा

 हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष: ........डॉ कृष्ण मिड्ढा (जींद )
हरियाणा विधान सभा में प्रतिपक्ष (विपक्ष) का नेता कौन हैं? —- श्री भूपेंद्र सिंह हुड़्डा (कांग्रेस पार्टी)

 हरियाणा विधान सभा की 90 सीटों में से कितनी महिलाएं हैं ? —- 13 महिला MLA ( 14.44% )

 हरियाणा के चुनाव आयुक्त ( State Election Commissioner ) कौन है? —-श्री देवेंद्र सिंह कल्याण , IRS (Retd)
हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (Chief Electoral Officer) कौन हैं? — श्री पंकज अग्रवाल  IAS

 हरियाणा राज्य चुनाव आयोग(  State Election Commission ) कब बनाया गया? — 18 November 1993 
( Article 243K read with Article 243ZA of the Constitution of India )

 वर्तमान में हरियाणा के लोकायुक्त कौन हैं ? —- लोकायुक्त न्यायमूर्ति हरि पाल वर्मा
 
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (स्थापित - 5 April 1948) के चीफ जस्टिस कौन है? —- माननीय न्यायमूर्ति शील नागू
 
वर्तमान में हरियाणा का महान्यायवादी (Advocate General) कौन हैं? —- श्री प्रविंद्र सिंह चौहान 
( 23 Dec 2024 to Till Date )

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   हरियाणा सामान्य ज्ञान के लिए यहाँ क्लिक कर








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नोट : शेयर की गयी सभी जानकारी बहुत सावधानी से दी है, गलतियों की सम्भावना से इंकार नहीं जा सकता , आप अपने स्तर पर जाँच कर लें | यदि आपकी नजर में सुधार की जरूरत है तो कमेंट जरूर करें , ताकि सुधार किया जा सके यहाँ दी गई किसी भी जानकारी के लिए "मैं" किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं  हूँ - रमेश खोला 

01 October 2025

19 September 2025

27 March 2025

Tree Pension

 Tree Pension (वृक्ष पेंशन ) Haryana

हरियाणा सरकार "प्राणवायु देवता" स्कीम के तहत 75 साल पुराने सभी पेड़ों की पेंशन बनाकर उसके मालिक को उसका संरक्षण करने के लिए सहायता प्रदान करती है  

जरुरी बातें :

1. सभी पेड़ 75 साल या इससे अधिक उम्र के हो |

2. जांटी (खेजड़ी) रोहिडा, लेसवा (लसूड़ा), जाल, धौंक, गूगल ,इन्द्र, जोक,  कैर (खैर) , खैरनी , जाल आदि - मोटाई लगभग 140 सेंटीमीटर या इससे अधिक हो  |

3. रोज़, कीकर ,नीम, फ्रांस,  जामुन, शीशम, सागौन, सिरस  आदि -  मोटाई लगभग 280 सेंटीमीटर या इससे अधिक हो  |

4. बड़ (बरगद ), पीपल, गूलर, पिलखन आदि - मोटाई लगभग 400 सेंटीमीटर या इससे अधिक हो  |

वृक्ष की पेंशन बनवाने के लिए फॉर्म 

   नोट :     जांटी (खेजड़ी) रोहिडा लसुडा धौंक गूगल सोलर इन्द्र जोक रोज़ कीकर जाल आदि  वृक्ष जो किसान के खेतों में खड़े हैं उनको लुप्त प्रजाति में शामिल कर के "किसान वृक्ष प्रोत्साहन योजना" चालू की गई है इस  स्कीम में सभी वृक्ष जिनकी मोटाई 60 सेंटीमीटर या इससे ज्यादा है वह सभी इसमें शामिल किए गए जो प्रतिवर्ष एक वृक्ष के किसान को ₹500 प्रथम वर्ष दूसरे वर्ष ₹600 तीसरे वर्ष ₹700 इसके बाद ₹1000 किये जाएंगे , अतः  किसान इस योजना का भी लाभ ले सकते है 

अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के वन संरक्षक अधिकारी कार्यालय में सम्पर्क करें - रमेश खोला 

13 March 2025

Panchang

पंचांग



 साल  2082

मुबारक हो तुम्हे नया साल,
फलो फूलो , जैसे आम का फाल 
पतझर न आये जिन्दगी में कभी ,
प्रभु की माया कर दे आपको निहाल - रमेश खोला , 30.03.2025
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        वर्ष 2081 समाप्त होने वाला है यानी "चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा / प्रथमा / एकम" को हमारा "नया साल2082" शुरू हो जायेगा, ग्रगोरियन (अंग्रेजी) कैलेंडर के अनुसार 30 मार्च 2025 को हमारा नया साल शुरू होने जा रहा है, ग्रगोरियन ( अंग्रेजी ) साल शुरू होने हफ्तों पहले wish करने वाले भारवासियों अपने नव वर्ष 2082 को क्यों भूल रहे हो - रमेश खोला 






कलि सम्वत ( प्राचीन भारतीय साल ) :- 5127  

भारतीय शास्त्रों एवं धर्मग्रंथों के अनुसार : कलियुग की शुरुआत, कलि सम्वत प्रथम, फाल्गुन मास, शुक्ल पक्ष सप्तमी (18 फरवरी 3102 ईसा पूर्व ) की मध्य रात्रि को हुई थी। इस दिन योगेशवर भगवान श्री कृष्ण जी ने वैकुंठ लौटने के लिए पृथ्वी छोड़ी थी।
आधुनिक विज्ञान के अनुसार : खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट्ट के अनुसार कलियुग की शुरुआत 3102 ईसा पूर्व में हुई थी। 

सप्तर्षि संवत् :  5101 

  सप्तऋषि संवत 3076 ईसा पूर्व से आरम्भ होता है। महाभारत काल तक इस संवत् का प्रयोग होता था। वर्तमान में कश्मीर में सप्तर्षि संवत् को 'लौकिक संवत्' कहते हैं और जम्मू व हिमाचल प्रदेश में 'शास्त्र संवत्' के नाम से जानते है


विक्रम सम्वत ( आधुनिक भारतीय साल ) :- 2081


 ईशा मसीह वर्ष अंग्रेजी सा ) :- 2024-2025
 ( नोट : अंग्रेजी कलेंडर पोप ग्रेगरी XIII द्वारा सन 1577-1582 में बनाया गया )

शक सम्वत (भारतीय सरकारी साल ) :- 1946


महीनों के नाम
1. चैत्र (चैत ) शुक्लपक्ष (अर्धमास ) ,  
{चैत्र मास का शुक्लपक्ष (अर्धमास) हमारा प्रथम मास होता है,  चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (एकम) को हम नववर्ष मानते हैं }
बैसाख (वैशाख  
ज्येष्ठ (जेठ) , 
 4 आषाढ़ (साढ़) , 
 5 श्रावण (सावन) , 
श्रावण अधिमास
श्राव(सावन)
6 भाद्रपद (भादवा) ,  
 7 अश्विन (आशोज) , 
 8 कार्तिक (कातक) , 
मार्गशीर्ष (मंगसिर /गहन ) 
 10  पौष (पौह) , 
11. माघ (माह) ,  
12. फाल्गुन (फागण 
13. चैत्र (चैत ) कृष्णपक्ष  (अर्धमास ) 
(चैत्र मास का कृष्णपक्ष (अर्धमास) हमारा अंतिम मास होता है)



हमारे मासों (महीनों ) के नाम नक्षत्रों के नामों पर रखे गये हैं।
जिस मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उसी नक्षत्र के नाम पर उस मास का नाम है
1. चित्रा नक्षत्र से चैत्र मास
2. विशाखा नक्षत्र से वैशाख मास
3. ज्येष्ठा नक्षत्र से ज्येष्ठ मास
4. पूर्वाषाढा नक्षत्र / उत्तराषाढा नक्षत्र  से आषाढ़
5. श्रावण नक्षत्र से श्रावण मास 
6. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र  / उत्तराभाद्रपद नक्षत्र  से भाद्रपद 
7. अश्विनी नक्षत्र से अश्विन मास 
8. कृत्तिका नक्षत्र से कार्तिक मास 
9. मृगशिरा नक्षत्र से मार्गशीर्ष मास 
10. पुष्य नक्षत्र से पौष मास 
11. माघा नक्षत्र से माघ मास
12. पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र / उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र  से फाल्गुन मास

विदेशियों ने भारत के ज्ञान को चुरा कर,  अपने नाम करना चाहा  जिसे आप नीचे  दिया गया विवरण पढ़कर खुद समझ जाओगे 
विदेशियों ने भारत की नक़ल कि लेकिन नक़ल में  अक्ल की जरुरत होती है 

1. जनवरी महीने का नाम रोमन के देवता 'जेनस' के नाम पर रखा गया | हम नक्षत्रों के नाम पर नामकरण करें तो भी पिछड़े और अंधविश्वासी और वो देवी देवताओं के नाम पर नामकरण करें तो ज्ञानी ..... उन्हें तब तक शायद नक्षत्रों का ज्ञान भी नहीं था

2. फरवरी महीने का नाम रोम की देवी 'फेब्रुएरिया' के नाम पर रखा गया | हम नक्षत्रों के नाम पर नामकरण करें तो भी पिछड़े और अंधविश्वासी और वो देवी देवताओं के नाम पर नामकरण करें तो ज्ञानी ..... उन्हें तब तक शायद नक्षत्रों का ज्ञान भी नहीं था

3. मार्च महीने का नाम रोमन देवता 'मार्स' के नाम पर रखा गया | हम नक्षत्रों के नाम पर नामकरण करें तो भी पिछड़े और अंधविश्वासी और वो देवी देवताओं के नाम पर नामकरण करें तो ज्ञानी ..... उन्हें तब तक शायद नक्षत्रों का ज्ञान भी नहीं था

4. अप्रैल महीने का नाम लेटिन शब्द 'ऐपेरायर' से बना है, जिसका मतलब है 'कलियों का खिलना'ऐसा लगता है उन्हें ऋतु (महीनों का समूह) और महीने का अंतर् तक नहीं पता था | रोम में इस महीने में बसंत मौसम की शुरुआत होती है जिसमें फूल और कलियां खिलती हैं , वो हमारी बसन्त ऋतु को नहीं मानते क्योकि हम तो पिछड़े और अंधविश्वासी हैं उनकी नज़र में और हमारे कुछ ज्यादा पढ़े लिखे लोगो की नज़र में भी 

5. मई महीने का नाम रोमन के देवता 'मरकरी' की माता 'माइया' के नाम पर रखा गया |  हम नक्षत्रों के नाम पर नामकरण करें तो भी पिछड़े और अंधविश्वासी और वो देवी देवताओं के नाम पर नामकरण करें तो ज्ञानी ..... उन्हें तब तक शायद नक्षत्रों का ज्ञान भी नहीं था

6. जून महीने का नाम रोम के सबसे बड़े देवता 'जीयस' की पत्नी 'जूनो' के नाम पर रखा गया | हम नक्षत्रों के नाम पर नामकरण करें तो भी पिछड़े और अंधविश्वासी और वो देवी देवताओं के नाम पर नामकरण करें तो ज्ञानी ..... उन्हें तब तक शायद नक्षत्रों का ज्ञान भी नहीं था

7. जुलाई महीने का नाम रोमन साम्राज्य के शासक 'जुलियस सिजर' के नाम पर रखा गया क्योकि जुलियस का जन्म और मृत्यु इसी महीने में हुई थी , जरा सोचो की "जूलियस सीजर" से पहले इस महीने का नाम क्या होगा ? 

8. अगस्त महीने का नाम 'सैंट आगस्ट सिजर' के नाम पर रखा गया,  जरा सोचो की 'सैंट आगस्ट सिजर से पहले इस महीने का नाम क्या होगा ? 

यहाँ तक तो उन्होंने अपने लोगो और देवी देवताओ के नाम पर, हमारे महीनो के नाम छाप लिए .... अब आगे के महीने देखो 

9. सितंबर महीने का नाम लेटिन शब्द 'सेप्टेम' से बना है, सेप्टै लेटिन शब्द है जिसका अर्थ है सात यानि भारतीय महीनो के हिसाब से अश्वनी मास, साल का सातवां महीना होता है रोम में सितंबर को सप्टेम्बर कहा जाता है। ग्रेगोरियन कलेण्डर के हिसाब से सितम्बर नौवा महीना होता है , अब आप सोचो की नकल तो की पर अक्ल नहीं लगाई , भला नौवे महीने को उन्होंने सातवाँ क्यों माना ?

10. अक्टूबर महीने का नाम लेटिन के 'आक्टो' शब्द से लिया गया , 'आक्टो' लेटिन शब्द है जिसका अर्थ है आठ यानि भारतीय महीनो के हिसाब से कार्तिक मास, साल का आठवां महीना होता है , ग्रेगोरियन कलेण्डर के हिसाब से अक्टूबर दसवाँ महीना होता है , अब आप सोचो की नकल तो की पर अक्ल नहीं लगाई , भला दसवेँ महीने को उन्होंने आठवाँ क्यों माना ?

11. नवंबर महीने का नाम लेटिन के 'नवम' शब्द से लिया गया , 'नवम' शब्द का अर्थ है नौ यानि भारतीय महीनो के हिसाब से मार्गशीष मास, साल का नौवा महीना होता है , ग्रेगोरियन कलेण्डर के हिसाब से नवम्बर ग्यारहवां महीना होता है , अब आप सोचो की नकल तो की पर अक्ल नहीं लगाई , भला ग्यारहवें महीने को उन्होंने नौवा क्यों माना ?
 
12. दिसंबर महीने का नाम लेटिन के 'डेसम' शब्द से लिया गया , ''डेसम' शब्द का अर्थ है दस यानि भारतीय महीनो के हिसाब से पौष मास, साल का दसवाँ महीना होता है ग्रेगोरियन कलेण्डर के हिसाब से दिसम्बर बारहवाँ महीना होता है , अब आप सोचो की नकल तो की पर अक्ल नहीं लगाई , भला बारहवें महीने को उन्होंने दसवाँ  क्यों माना ?

क्या अब भी आप ये मानते है कि भारत विश्व गुरु नहीं था ?

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राशि
मेष 🐐  (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
वृष 🐂  (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी ,वु , वे, वो)
मिथुन 👫  (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
कर्क 🦀  (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
सिंह 🦁  (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
कन्या 👩  (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
तुला ⚖️ ( रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
वृश्चिक 🦂  (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
धनु 🏹  (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
मकर 🐊  (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
कुंभ 🍯  (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
मीन 🐳  (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
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इन चार रात्रियों को जागरण करना चाहिए अर्थात सोना नहीं चाहिए , भजन कीर्तन प्रभु गुणगान पूरी रात करना चाहिए , 
जन्माष्टमी , दीपावली , महाशिवरात्रि ,  होली (दहन)


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सूर्यग्रहण

प्राचीन परम्परा के अनुसार ग्रहण के समय क्या करें ?
ग्रहण के समय रुद्राक्ष की माला धारण करने से पाप नाश हो जाते हैं
ग्रहण लगने के पहले खान - पान ऐसा करिए कि आपको बाथरूम में ना जाना पड़े
ग्रहण के समय हज़ार काम छोड़ कर मौन और जप करिए
ग्रहण के समय दीक्षा अथवा दीक्षा लिए हुए मंत्र का जप करने से सिद्धि हो जाती है
ग्रहण के समय भगवान का चिंतन, जप, ध्यान करने पर उसका लाख गुना फल मिलता है
ग्रहण के समय अपने घर की चीज़ों में कुश, तुलसी के पत्ते अथवा तिल डाल देने चाहिए
प्राचीन परम्परा के अनुसार ग्रहण के समय क्या न करें ?
ग्रहण के समय मूत्र त्याग नहीं करना चाहिए, दरिद्रता आती है
ग्रहण के समय शौच नहीं जाना चाहिए, वर्ना पेट में कृमि होने लगते हैं
ग्रहण के समय सोने से रोग बढ़ते हैं
ग्रहण के समय धोखाधड़ी और ठगाई करने से सर्पयोनि मिलती है
ग्रहण के समय सम्भोग करने से सुअर की योनि मिलती है
ग्रहण के समय जीव-जंतु या किसी की हत्या हो जाय तो नारकीय योनि में जाना पड़ता है
ग्रहण के समय भोजन व मालिश करने वाले को कुष्ट रोग हो जाता है
ग्रहण के समय पत्ते, तिनके, लकड़ी, फूल आदि नहीं तोड़ने चाहिए
ग्रहण के समय दूसरे का अन्न खाने से 12 साल का किया हुआ जप, तप, दान स्वाहा हो जाता है- स्कन्द पुराण

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दीपावली
दीपावली की संध्या को तुलसी जी के निकट दिया जलायें, लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने में मदद मिलती है
दिवाली के दिन अपने घर के बाहर सरसों के तेल का दिया जला देना, इससे गृहलक्ष्मी बढ़ती है
दीपावली की रात का जप हज़ार गुना फलदाई होता है
दीपावली की रात का जप हज़ार गुना फलदाई होता है
दिवाली के दिन अपने घर के मुख्य द्वार पर नीम व अशोक (आसोपाल ) के पत्तों का तोरण लगा देना , इस पर से पसार होने वाले की रोग प्रतिकारक शक्ति बढेगी
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मास एवं उनका महत्व

कार्तिक मास

स्नानं च दीपदानं च तुलसीवनपालनम् । भूमिशय्या ब्रह्मचर्य्यं तथा द्विदलवर्जनम् । कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले स्नान तीर्थ स्नान के समान होता है , जप :- "ॐ नमो नारायणाय"

स्कंद पुराण में लिखा है : ‘कार्तिक मास के समान कोई और मास नहीं हैं, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान दूसरा कोई तीर्थ नहीं है ’ – ( वैष्णव खण्ड, का.मा. : १.३६-३७)

*विष्णुसंकीर्तनं सत्यं पुराणश्रवणं तथा । कार्तिके मासि कुर्वंति जीवन्मुक्तास्त एव हि ” - (स्कन्दपुराण, वैष्णवखण्ड, कार्तिकमासमाहात्म्यम, अध्याय 03)

"हरिजागरणं प्रातःस्नानं तुलसिसेवनम् । उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके" - (पद्मपुराण, उत्तरखण्ड, अध्याय 115)

महापुण्यदायक तथा मोक्षदायक कार्तिक के मुख्य नियमों में सबसे प्रमुख नियम है : दीपदान । दीपदान का अर्थ होता है आस्था के साथ दीपक प्रज्वलित करना। कार्तिक में प्रत्येक दिन दीपदान जरूर करना चाहिए। पद्मपुराण उत्तरखंड, अध्याय 121 में कार्तिक में दीपदान की तुलना अश्वमेघ यज्ञ से की है सूर्यग्रहे कुरुक्षेत्रे नर्मदायां शशिग्रहे ।। तुलादानस्य यत्पुण्यं तदत्र दीपदानतः । अर्थात कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय और नर्मदा में चन्द्रग्रहण के समय अपने वजन के बराबर स्वर्ण के तुलादान करने का जो पुण्य है वह केवल दीपदान से मिल जाता है। कार्तिक में प्रतिदिन दो दीपक जरूर जलाएं । एक गाय के घी का श्रीहरि नारायण के समक्ष तथा दूसरा तेल का शिवलिंग के समक्ष ।

दातव्यो न तु भूमौ कदाचन।* *सर्वसहा वसुमती सहते न त्विदं द्वयम्।।
अकार्यपादघातं च दीपतापं तथैव च। तस्माद् यथा तु पृथ्वी तापं नाप्नोति वै तथा।। - कालिका पुराण
( दीपक रखने से पहले उसको चावल अथवा गेहूं अथवा सप्तधान्य का आसन दें। दीपक को भूल कर भी सीधा पृथ्वी पर न रखें)


 मार्गशीर्ष (मंगसिर) 
मार्गशीर्ष मास में विश्वदेवताओं का पूजन किया जाता है कि जो गुजर गये उनके आत्मा शांति हेतु ताकि उनको शांति मिले
“पूर्णे वर्षसहस्रे तु तीर्थराजे तु यत्फलम् । तत्फलं लभते पुत्र सहोमासे मधोः पुरे ।।” - स्कन्दपुराण
( तीर्थराज प्रयाग में एक हजार वर्ष तक निवास करने से जो फल प्राप्त होता है, वह मथुरापुरी में केवल अगहन (मार्गशीर्ष) में निवास करने से मिल जाता है )
“मार्गशीर्षे ऽन्नदस्यैव सर्वमिष्टफलं भवेत् ॥ पापक्षयं चेष्टसिद्धिं चारोग्यं धर्ममेव च॥” - विश्वेश्वर संहिता , शिवपुराण
( मार्गशीर्ष मास में अन्न का दान करने वाले मनुष्यों को ही सम्पूर्ण अभीष्ट फलों की प्राप्ति हो जाती है | मार्गशीर्ष मास में अन्न का दान करने वाले मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं )
“मार्गशीर्षं तु वै मासमेकभक्तेन यः क्षिपेत्। भोजयेच्च द्विजाञ्शक्त्या स मुच्येद्व्याधिकिल्बिषैः।।
सर्वकल्याणसम्पूर्णः सर्वौषधिसमन्वितः। कृषिभागी बहुधनो बहुधान्यश्च जायते।।” - अध्याय 106 , अनुशासन पर्व , महाभारत
(जो मार्गशीर्ष मास को एक समय भोजन करके बिताता है और अपनी शक्ति के अनुसार ब्राह्माण को भोजन कराता है, वह रोग और पापों से मुक्त हो जाता है । वह सब प्रकार के कल्याणमय साधनों से सम्पन्न होता है। मार्गशीर्ष मास में उपवास करने से मनुष्य दूसरे जन्म में रोग रहित और बलवान होता है। उसके पास खेती-बारी की सुविधा रहती है तथा वह बहुत धन-धान्य से सम्पन्न होता है )
“मासानां मार्गशीर्षोऽहं नक्षत्राणां तथाभिजित्” - श्रीकृष्ण , श्रीमद्भागवतगीता
(मैं महीनों में मार्गशीर्ष और नक्षत्रों में अभिजित् हूँ)
“मार्गशीर्षोऽधिकस्तस्मात्सर्वदा च मम प्रियः ।।
उषस्युत्थाय यो मर्त्यः स्नानं विधिवदाचरेत् ।।
तुष्टोऽहं तस्य यच्छामि स्वात्मानमपि पुत्रक ।।” - वैष्णवखण्ड ,स्कन्दपुराण
( मार्गशीर्ष मास मुझे सदैव प्रिय है। जो मनुष्य प्रातःकाल उठकर मार्गशीर्ष में विधिपूर्वक स्नान करता है, उस पर संतुष्ट होकर मैं अपने आपको भी उसे समर्पित कर देता हूँ)
मार्गशीर्ष में सप्तमी, अष्टमी मासशून्य तिथियाँ हैं। मासशून्य तिथियों में मंगलकार्य करने से वंश तथा धन का नाश होता है।

                                                  संकलनकर्ता  - रमेश खोला ,  10.10.2022

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वार एवं उनका महत्व
रविवार : 
रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं- स्कंद पुराण
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए - ब्रह्मवैवर्त पुराण (श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए - ब्रह्मवैवर्त पुराण (श्रीकृष्ण खंडः 75)
रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है - ब्रह्मवैवर्त पुराण ( ब्रह्म खंडः 27.29-38)
                                                          संकलनकर्ता   - रमेश खोला ,  21.08.2022

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तिथि एवं उनका महत्व
 प्रतिपदा (एकम ) : धार्मिक अनुष्ठान के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देव : अग्नि देव )
“ऊँ महाज्वालाय विद्महे अग्नि मध्याय धीमहि ।
तन्नो: अग्नि प्रचोदयात ।।”

द्वितीया ( दौज ) : नव निर्माण शुरू  करने के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देव : ब्रह्मा जी )
दौज को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥ 

तृतीया ( तीज ) : मुंडन आदि कार्यों के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देवी : माता गौरी )
 या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

चतुर्थी ( चौथ ) : बाधा दूर करने के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देव : श्री गणेश जी और यमदेव )
वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज।

पंचमी ( पांचे ) : सर्जरी / चिकित्सा आदि के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देव : नागदेव )

 नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वीमनु। येऽ अंतरिक्षे ये दिवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम:।।


षष्टी ( छठ ) : उत्सव मनाने के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देव : कार्तिकेय )
ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात'
षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है- (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

सप्तमी ( सातै) : खरीददारी / यात्रा शुरू करने के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देव : सूर्य देव )
ॐ हृां मित्राय नम:
ॐ हृीं रवये नम:
 ॐ हूं सूर्याय नम:
ॐ ह्रां भानवे नम:
ॐ हृों खगाय नम:
ॐ हृ: पूषणे नम:
ॐ ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः
ॐ मरीचये नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ सवित्रे नमः
ॐ अर्काय नमः
ॐ भास्कराय नमः

अष्टमी ( आठै ) : जीत दिलाने के लिए उत्तम तिथि , केवल कृष्ण पक्ष में पूजा लाभ कारी होगी , शुक्ल पक्ष में वर्जित ( अधिपति देव : रूद्रदेव )
ॐ नमो भगवते रुद्राय।।

नवमी ( नौमी ) : युद्ध शुरुआत के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देवी  : अम्बिका )
ह्रीं श्री अम्बिकायै नम: ।
नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है - ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34

दशमी : धार्मिक / आध्यात्मिक कार्यों के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देव : धर्मराज )
ऊँ धर्मराजाय नम:

एकादशी ( ग्यारस ) : पूजा / व्रत / धर्मस्थान यात्रा / दान आदि के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देव : महादेव )
एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है । जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, सूर्यग्रहण में दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है | एकादशी के व्रत से कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है | एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं ।
।।ॐ नम: शिवाय।।
 ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्

द्वादशी : धार्मिक अनुष्ठान के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देव : भगवान विष्णु )
सच्चिदानंदरूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे |
तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः ||
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

एकोऽपि कृष्णस्य कृतः प्रणामो दशाश्वमेधावभृथेन तुल्यः ।
दशाश्वमेधी पुनरेति जन्म कृष्णप्रणामी न पुनर्भवाय ॥
- महाभारत, शान्तिपर्व॰ ४७/९२
एको हि कृष्णस्य कृतः प्रणामो दशाश्वमेधावभृथेन तुल्यः ।।
दशाश्वमेधी पुनरेति जन्म कृष्णप्रणामी न पुनर्भवाय ।। ६-३ ।।
- नारदपुराण , उत्तरार्ध, ६/३
एकोऽपि गोविन्दकृतः प्रणामः शताश्वमेधावभृथेन तुल्यः ।।
यज्ञस्य कर्त्ता पुनरेति जन्म हरेः प्रणामो न पुनर्भवाय ।।
- स्कन्दपुराण, वैष्णवखण्ड
अर्थात ... भगवान्‌ श्रीकृष्ण की शरण में जाना तो. दस अश्वमेघ यज्ञों के अन्त में किये गये दिव्य स्नान के समान फलदायक होता है। दस अश्वमेघ करने वाला तो संसार के बन्धनों (आवागमन) से मुक्त भी नहीं होता है, परंतु श्री कृष्ण की शरण में जाने वाला संसार के बन्धनों से मुक्त हो जाता है ।

त्रयोदशी ( तेरस) : प्रेम / प्यार / मित्रता के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देव : कामदेव )
'ऊँ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्। '

चतुर्दशी ( चौदस ) प्रेत बाधा दूर / सिद्धि प्राप्त करने के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देवी : काली मैय्या )
”ॐ क्रीं कालिकायै नमः”

अमावस्या ( मावस ) : पितृ पूजन / पिंड दान / दान धर्म आदि के लिए उत्तम तिथि ( अधिपति देव : पितृदेव )
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदया

पूर्णिमा ( पूर्णमासी ) : व्रत /  यज्ञ / कथा आदि के लिए उत्तम तिथि , पूर्णिमा और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38) ( अधिपति देव  : चन्द्रमा )
ॐ सों सोमाय नम:।
                                                         
                                                                  ~~~~~~~~~~~~~~~~~~

महत्वपूर्ण बातें

क्या आप जानते है ? पांडवों ने ये 5 गांव कौरवो से मांगे थे - पांडुप्रस्थ (पानीपत), स्वर्णप्रस्थ (सोनीपत) , व्याघ्रप्रस्थ (बागपत), वारणावर्त (बरनावा , हिण्डन/, यहाँ लाक्षागृह बनाया था ) और वरुपत (तिलपत , फरीदाबाद)

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क्या आप जानते है ? , ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से तथा पूजा के स्थान पर गंगाजल रखने से घर में लक्ष्मी की वृद्धि होती है | घर के अंदर, लक्ष्मी जी बैठी हों ऐसा फोटो रखना चाहिए और दुकान के अंदर, लक्ष्मी जी खड़ी हों ऐसा फोटो रखना चाहिए

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।। अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन्ह जानकी माता ।। - तुलसीदास जी (श्री हनुमान चालीसा)

आठ सिद्धियाँ इस प्रकार हैं :- (1) अणिमा (2) महिमा (3) गरिमा (4) लघिमा (5) प्राप्ति (6) प्राकाम्य (7) वशित्व (8) ईशित्व ।

आठ सिद्धियों के प्राप्ति फल के बारे में जानने के लिए नीचे क्लिक करें 

अष्ठ सिद्धि प्राप्ति फल

नौ निधियां इस प्रकार है :- (1) पद्म निधि (2) महाप निधि (3) मकर निधि (4) कच्छप निधि (5) मुकुन्द निधि (6) कुन्द (नन्द) निधि (7) नील निधि (8) शंख निधि (9) मिश्र निधि

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10 इन्द्रियां एवं उनके स्वामी 

पांच ज्ञानेंद्रियां एवं उनके देवता चक्षु (नेत्र) : भास्कर (सूर्य ) कर्ण (कान) : आकाश (दिशा ) नासिका (नाक) : पृथ्वी ( अश्वनी कुमार ) रसना (जिह्वा ) : वरुण (जल ) त्वक (चर्म/खाल/त्वचा ) : वायु ( पवन )

पांच कर्मेंद्रियां एवं उनके देवता हस्त (हाथ ) : इंद्र चरण : उपेंद्र ( विष्णु ) वाणी (मुँह ) : अग्नि उपस्थेन्द्रिय / लिंग (लघुशंका इंद्री ) : प्रजापति पायु /गुदा (निव्रतेंद्री ) : यमराज (मृत्यु)

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संकलनकर्ता  रमेश खोला ,  06.05.2022

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20 October 2024

Karwachauth

  करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं


चौथ माता की जय 

करवा चौथ की कहानी 

        एक सेठ के सात बेटे और एक बेटी थी।  कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सेठानी सहित उसकी सातों बहुओ और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब सेठ के सभी बेटे भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे "अर्घ्य" देकर ही मैं भोजन करूंगी। 

            सेठ के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। सेठ के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पहाड़ के पीछे आग जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम "अर्घ्य" देकर भोजन ग्रहण करो। ।सेठ की बेटी ने अपने भाइयों की बात पर विश्वास कर चाँद को "अर्घ्य" देकर भोजन कर लिया |  सेठ की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी "अर्घ्य" देकर भोजन कर लो ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई पहाड़ के पीछे  आग जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।

         सेठ की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने चौथ माता जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। 

10 October 2024

BJP

 माननीय श्री @narendramodi जी,मै हरियाणा के चुनावों के बारे में बताता हूँ कि जनता ने वोट मोदी के नाम पर दिया है,वर्ना आपकी पार्टी के ज्यादातर पन्ना प्रमुख, ब्लॉक/जिला पदाधिकारी, पूर्व MLA, सत्ता मलाई के लालच में जिसकी सरकार आती दिख रही थी उस पाले में खड़े थे

जीत केवल आपकी है

Example
ढोंग ऐसा कि बीजेपी को ये ही चला रहे थे
( कृपया पढ़ कर निष्कर्ष निकाले )


सोर्स : सोसल मिडिया (व्हाट्सप्प)

बहुत से स्वयंभू नेता और भी है .......................


23 September 2024

Famous quotes

 Famous quotes  (प्रसिद्ध उद्धरण)

1. जननी जने तो भक्त जन, कै दाता कै सूर , नहीं तो जननी बांझ रहै व्यर्थ गवावहिं नूर 

- महाकवि तुलसीदास

2. जिस प्रकार एक सूखा पेड़ आग लगने पर पूरे जंगल को जला देता है, उसी प्रकार एक दुष्ट पुत्र पूरे परिवार को नष्ट कर देता है। - चाणक्य 

3. सोवत साध जगाइए, करे हरि का जाप । यह तीनों सोते भले, सकित, सिंह और साप ॥ - प्राचीन भारतीय कहावत 

4. अगर सांप जहरीला न भी हो तो भी उसे जहरीला होने का ढोंग करना चाहिए। - चाणक्य 

5. अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो, तो सूरज की तरह जलना सीखो। - डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम 

6. जब तक शत्रु की दुर्बलता का पता न चल जाए, तब तक उसे मित्रता की दृष्टि से रखना चाहिए।- चाणक्य 

7. किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए , आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत रस्ते पर चल रहे हैं । - स्वामी विवेकानंद

8. साँप के दाँत में, मक्खी और बिच्छू के डंक में ज़हर होता है, परन्‍तु दुष्‍ट मनुष्‍य इससे परिपूर्ण है। - चाणक्य 

   9.        हम भारत भाग्य विधाता है, हमसे ही लोकतंत्र आता है, 

एक अच्छी सी सरकार चुने

हम भारत के मतदाता हैं - रमेश खोला , 04.10.2024             


10.   "शठे शाठ्यम समाचारेत" अर्थ: दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिये - विदुर                                                                                                                                  

                                                                                                                 संकलनकर्ता - रमेश खोला

विजिटर्स के लिए सन्देश

साथियो , यहां डाली गयी पोस्ट्स के बारे में प्रतिक्रिया जरूर करें , ताकि वांछित सुधार का मौका मिले : रमेश खोला

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